क्षार: Difference between revisions

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== ब्रॉन्सटेड लोरी अम्ल क्षार सिद्धांत ==
== ब्रॉन्सटेड लोरी अम्ल क्षार सिद्धांत ==
वे पदार्थ जो विलयन में प्रोटॉन (H<sup>+</sup>) देते हैं अम्ल कहलाते हैं अर्थात अम्ल प्रोटॉनदाता हैं। प्रोटॉन दाता को अम्ल तथा प्रोटॉन ग्राही को क्षार कहा जाता है।
वे पदार्थ जो विलयन में प्रोटॉन (H<sup>+</sup>) लेते हैं क्षार कहलाते हैं अर्थात क्षार को प्रोटॉन ग्राही कहा जाता है।


'''उदाहरण-'''
'''उदाहरण-'''

Revision as of 15:10, 31 May 2023

अम्ल और क्षार व्यापक रूप से प्रकृति में पाए जाते हैं। अम्ल नीले लिटमस पेपर को लाल कर देता है। इसी प्रकार क्षार लाल लिटमस को नीला कर देता है तथा स्वाद में कड़वे और स्पर्श में साबुनी होते हैं।

उदाहरण

कपडे धोने का सोडा है, जो धुलाई के लिए प्रयुक्त होता है। जब अम्ल और क्षार को आपस में मिलाते हैं तो लवण प्राप्त होता है। जैसे- सोडियम क्लोराइड, बेरियम सल्फेट, सोडियम नाइट्रेट आदि।

अम्ल एवं क्षार एक दूसरे के प्रभाव को समाप्त कर देते हैं। ये आपस में अभिक्रिया करके लवण बनाता है।

रासायनिक प्रकृति

क्षार लाल लिटमस को नीला कर देता है।

क्षार किसी भी अम्ल के साथ अभिक्रिया करके लवण बनाता है।

अम्ल क्षार अवधारणा

कुछ वैज्ञानिकों ने अम्ल एवं क्षार के कुछ सिद्धांत प्रस्तुत किये  उनमे से कुछ निम्न लिखित हैं:

  • आरेनियस धारणा
  • ब्रॉन्सटेड लोरी अम्ल क्षार सिद्धांत
  • लुईस अम्ल क्षार सिद्धांत

आरेनियस धारणा

आरेनियस के सिद्धान्तानुसार अम्ल वे पदार्थ हैं जो जल में घोलने पर H+ देते हैं अम्ल कहलाते हैं। वे पदार्थ जो जल में घोलने पर OH- देते हैं क्षार कहलाते हैं।

उदाहरण-

स्पष्टीकरण

यहाँ पर NaOH जल में घोलने पर OH- देता है अतः आरेनियस के अनुसार यह क्षार की तरह कार्य कर रहा है।

ब्रॉन्सटेड लोरी अम्ल क्षार सिद्धांत

वे पदार्थ जो विलयन में प्रोटॉन (H+) लेते हैं क्षार कहलाते हैं अर्थात क्षार को प्रोटॉन ग्राही कहा जाता है।

उदाहरण-

स्पष्टीकरण

यहाँ पर H2O, H+ दाता का कार्य कर रहा है अतः वह अम्ल की तरह कार्य कर रहा है। और NH4+ H+ ग्रहण कर रहा है अतः यह क्षार का कार्य कर रहा है।

लुईस अम्ल क्षार सिद्धांत