विद्युत अपघटनी परिष्करण: Difference between revisions

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== अयस्क से धातु के निष्कर्षण के चरण ==
वे खनिज जिनसे धातु का निष्कर्षण सम्भव हो अयस्क कहलाते हैं। इन अयस्क से धातु का निष्कर्षण कई चरणों में किया जाता है। अयस्क में कुछ अशुद्धियाँ होती हैं जिन्हे गैंग या मैट्रिक्स कहते हैं।
अयस्क से धातु प्राप्त करने में निम्न पदों का प्रयोग किया जाता है।
* सांद्रण
* निस्तापन या भर्जन
* प्रगलन
* शोधन


== विद्युत अपघटनी परिष्करण की विधि का सिद्धांत ==
== विद्युत अपघटनी परिष्करण की विधि का सिद्धांत ==
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<chem>Zn + 2e-> Zn++  
<chem>Zn + 2e-> Zn++  
</chem>
</chem>
== अभ्यास प्रश्न ==

Revision as of 13:30, 7 June 2023


अयस्क से धातु के निष्कर्षण के चरण

वे खनिज जिनसे धातु का निष्कर्षण सम्भव हो अयस्क कहलाते हैं। इन अयस्क से धातु का निष्कर्षण कई चरणों में किया जाता है। अयस्क में कुछ अशुद्धियाँ होती हैं जिन्हे गैंग या मैट्रिक्स कहते हैं।

अयस्क से धातु प्राप्त करने में निम्न पदों का प्रयोग किया जाता है।

  • सांद्रण
  • निस्तापन या भर्जन
  • प्रगलन
  • शोधन

विद्युत अपघटनी परिष्करण की विधि का सिद्धांत

विभन्न अपचयन प्रक्रमों से प्राप्त धातुएं पूर्ण रूप से शुद्ध नही होती हैं। इनमे अनेक अशुद्धियाँ होती हैं जिन्हे हटाकर हम शुद्ध धातु प्राप्त कर सकते हैं। अशुद्ध धातु से शुद्ध धातु प्राप्त करने क लिए विधुत अपघटनी विधि का प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में, अशुद्ध धातु के बने हुए एनोड होते हैं, और कैथोड शुद्ध धातु की एक पट्टी से बना होता है। जिस धातु को शुद्ध करना है उस धातु को वैधुत अपघट्य पदार्थ की तरह प्रयोग किया जाता है। इस को चित्र के अनुसार व्यवस्थित कर लेते हैं फिर इसमें विधुत धारा प्रवाहित करते हैं विधुत धारा प्रवाहित करने पर वैधुत अपघट्य पदार्थ में उपस्थित अशुद्धियाँ कैथोड पर जाने लगती हैं धीरे धीरे अशुद्ध एनोड पिघल पिघल कर विलयन में आता जायेगा विलेय अशुद्धियाँ विलयन में चली जाती हैं तथा अविलेय अशुद्धियाँ एनोड तली पर निक्षेपित हो जाती हैं जिसे एनोड पंक कहते हैं। और विलयन से शुद्ध होकर कैथोड पर जाता जाएगा यह प्रक्रिया कुछ देर तक चलेगी थोड़ी देर बाद हम देखेंगे की अशुद्ध धातु के एनोड पतले होते जायेंगे और शुद्ध धातु के कैथोड मोटे होते चले जायेंगे। इस प्रक्रार प्राप्त शुद्ध कैथोड को विलयन से बाहर निकाल लेंगे। और हमको 99.9 % तक शुद्ध धातु कैथोड से प्राप्त हो जाएगी।

उदाहरण

अशुद्ध ज़िंक को विद्युत अपघटनी परिष्करण की विधि द्वारा निम्न प्रकार से शुद्ध किया जा सकता है:

अशुद्ध ज़िंक को शुद्ध करने के लिए हम अशुद ज़िंक के मोटे मोटे एनोड बनाते हैं और शुद्ध धातु के पतले कैथोड बनाते हैं। अम्लीय ZnSO4 का उपयोग वैधुत अपघट्य के रूप में किया जाता है। जब विधुत धारा वैधुत अपघट्य पदार्थ से होकर गुजरती है, तो एनोड से शुद्ध जिंक घुल जाता है और कैथोड पर जमा हो जाता है। घुलनशील अशुद्धियाँ विलयन में चली जाती हैं, जबकि अघुलनशील अशुद्धियाँ एनोड मड के रूप में नीचे बैठ जाती हैं।

कैथोड पर होने वाली अभिक्रिया:


एनोड पर होने वाली अभिक्रिया:

अभ्यास प्रश्न