कटपयादि संकेत पद्धति: Difference between revisions
(New Mathematics Organic Hindi Translated Page Created) |
(added category) |
||
Line 159: | Line 159: | ||
==संदर्भ== | ==संदर्भ== | ||
<references /> | <references /> | ||
[[Category:गणित]] |
Revision as of 09:41, 17 June 2023
भूमिका
कटपयादि संस्कृत वर्णमाला का उपयोग करते हुए संख्याओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक संकेतन प्रणाली है। इस प्रणाली में संख्याओं को व्यक्त करने के लिए अंकों के स्थान पर व्यंजनों का प्रयोग किया जाता है।
कटपयादी संकेतन नियम
नञावचश्च शून्यानि सङ्ख्याः कटपयादयः ।
मिश्रे तूपान्त्यहल् सङ्ख्या न च चिन्त्यो हलः स्वरः ॥ 3-3॥
न, ञ और संस्कृत वर्णमाला के स्वरों का उपयोग शून्य को निरूपित करने के लिए उपयोग किया जाता है। संख्याओं की प्रारंभ का वर्ण ' क ,ट, प , य ' के साथ होता है। एक संयुक्त वर्ण में, अंतिम वर्ण के बाद के व्यंजन का ही संख्यात्मक अर्थ होता है। एक व्यंजन जिसके बाद कोई स्वर नहीं होता है, उसे किसी भी संख्या के निरूपण के लिए, संख्यात्मक अर्थ के लिए नहीं माना जाना चाहिए।
निम्नलिखित सारणी में संस्कृत वर्णमाला के अक्षर और अंक दिए गए हैं, जिन्हें वे कटपयादि संकेतन/रूपांकन के अनुसार संख्यात्मक अर्थ निरूपित करते हैं। व्यंजनों के स्वर संग उपसर्गित स्वरों को कोई संख्यात्मक अर्थ नहीं दिया जाता है। उन्हें उच्चारण के लिए ही उपसर्गित किया जाता है। यहाँ स्वर अ प्रत्यय लगा है। किसी अन्य स्वर का भी प्रयोग किया जा सकता है।
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 0 |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
क | ख | ग | घ | ङ | च | छ | ज | झ | ञ |
ट | ठ | ड | ढ | ण | त | थ | द | ध | न |
प | फ | ब | भ | म | |||||
य | र | ल | व | श | ष | स | ह | ळ | |
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, ए, ऐ, ओ, औ |
एक सामान्य नियम इस प्रकार है - "अङ्कानाम् वामतो गतिः", अर्थात संख्याएँ दाएँ से बाएँ ओर जाती हैं।
कटपयादि प्रणाली के उदाहरण
राघवाय ((एपिग्रेपाहिया इंडिका Vol.6 पृष्ठ.121"Epigrpahia Indica Vol.6 p.121") - र् + आ + घ् + अ + व् + आ + य् + अ
र् | घ् | व् | य् | अङ्कानाम् वामतो गतिः |
---|---|---|---|---|
2 | 4 | 4 | 1 | → 1442 |
क्षीराब्धिग - क्+ष्+ई+र्+आ+ब्+ध्+इ+ग्+अ
ष् | र् | ध् | ग् | अङ्कानाम् वामतो गतिः |
---|---|---|---|---|
6 | 2 | 9 | 3 | → 3926 |
भवति (भारतीय पुरावशेष खंड 2. पृष्ठ 60 "Indian Antiquary vol.2.p.60")- भ् + अ + व् + अ + त् + इ
भ् | व् | त् | अङ्कानाम् वामतो गतिः |
---|---|---|---|
4 | 4 | 6 | → 644 |
सद्रत्नमाला पाठ में 17 दशमलव स्थानों तक π (पी) के मान का उल्लेख है।
स्याद् भद्राम्बुधिसिद्धजन्मगणितश्रद्धा स्म यद् भूपगीः ।[1] ((सद्रत्नामाला IV.2, पृ.26/ Sadratnamālā IV.2, p.26)
कटपयादि प्रणाली का उपयोग कर ,भद्राम्बुधिसिद्धजन्मगणितश्रद्धा स्म यद् भूपगीः के लिए संख्या।
(भ्+अ+द्+र्+आ+म्+ब्+उ+ध्+इ+स्+इ+द्+ध्+अ+ज्+अ+न्+म्+अ+ग्+अ+ण्+इ+त्+अ+श्+र्+अ+द्+ध+आ) (स्+म्+अ) (य्+अ+द्) (भ्+ऊ+प्+अ+ग्+ईः)
भ् | र् | ब् | ध् | स् | ध् | ज् | म् | ग् | ण् | त् | र् | ध् | म् | य् | भ् | प् | ग् | अङ्कानाम् वामतो गतिः |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
4 | 2 | 3 | 9 | 7 | 9 | 8 | 5 | 3 | 5 | 6 | 2 | 9 | 5 | 1 | 4 | 1 | 3 | → 314159265358979324 |
पाठ के अनुसार इस संख्या (वृत्त की परिधि) को वृत्त के व्यास से 1017 भाग देने पर π (pi) का मान 3.14159265358979324 प्राप्त होता है।
यह भी देखें
संदर्भ
- ↑ "सद्रत्नमाला IV.2, पृ.26"(Sadratnamālā. pp. IV.2, p.26.)