परमाणु कक्षकों का अतिव्यापन: Difference between revisions

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[[Category:रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना]]
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परमाणु आपस में टकराकर संयुक्त हो जाते हैं। इसमें दो परमाणु एक-दूसरे के बहुत पास आते हैं और वे एक-दूसरे की कक्षा में प्रवेश करते हैं और एक नई संकरित कक्षा बनाते हैं जहां इलेक्ट्रॉन आपस में बंध द्वारा जुड़ते है। संकरित कक्षक में परमाणु कक्षक की तुलना में ऊर्जा बहुत कम होती है और इसलिए यह स्थाई होता है। यह न्यूनतम ऊर्जा अवस्था में होता है। कक्षक के इस आंशिक प्रवेश को कक्षीय ओवरलैप के रूप में जाना जाता है।
परमाणु आपस में टकराकर संयुक्त हो जाते हैं। इसमें दो परमाणु एक-दूसरे के बहुत पास आते हैं और वे एक-दूसरे की कक्षा में प्रवेश करते हैं और एक नई संकरित कक्षा बनाते हैं जहां इलेक्ट्रॉन आपस में बंध द्वारा जुड़ते है। संकरित कक्षक में परमाणु कक्षक की तुलना में ऊर्जा बहुत कम होती है और इसलिए यह स्थाई होता है। यह न्यूनतम ऊर्जा अवस्था में होता है। कक्षक के इस आंशिक प्रवेश को कक्षीय ओवरलैप के रूप में जाना जाता है। ओवरलैप कितना होगा यह निर्भर करता है कि उसमे भाग लेने वाले दो परमाणुओं, परमाणुओं के आकार और संयोजी इलेक्ट्रॉनों पर है। ओवरलैप जितना अधिक होता है उसमे भाग लेने वाले, दो परमाणुओं के बीच बंध उतना ही मजबूत होता है। इस प्रकार, कक्षीय ओवरलैप अवधारणा के अनुसार, परमाणु अपने कक्षक को ओवरलैप करके संयोजित होते हैं और इस प्रकार एक निम्न ऊर्जा अवस्था बनाते हैं जहां उनके विपरीत स्पिन वाले संयोजी इलेक्ट्रॉन सहसंयोजक बंध बनाने के लिए जुड़ जाते हैं।

Revision as of 10:52, 27 July 2023

परमाणु आपस में टकराकर संयुक्त हो जाते हैं। इसमें दो परमाणु एक-दूसरे के बहुत पास आते हैं और वे एक-दूसरे की कक्षा में प्रवेश करते हैं और एक नई संकरित कक्षा बनाते हैं जहां इलेक्ट्रॉन आपस में बंध द्वारा जुड़ते है। संकरित कक्षक में परमाणु कक्षक की तुलना में ऊर्जा बहुत कम होती है और इसलिए यह स्थाई होता है। यह न्यूनतम ऊर्जा अवस्था में होता है। कक्षक के इस आंशिक प्रवेश को कक्षीय ओवरलैप के रूप में जाना जाता है। ओवरलैप कितना होगा यह निर्भर करता है कि उसमे भाग लेने वाले दो परमाणुओं, परमाणुओं के आकार और संयोजी इलेक्ट्रॉनों पर है। ओवरलैप जितना अधिक होता है उसमे भाग लेने वाले, दो परमाणुओं के बीच बंध उतना ही मजबूत होता है। इस प्रकार, कक्षीय ओवरलैप अवधारणा के अनुसार, परमाणु अपने कक्षक को ओवरलैप करके संयोजित होते हैं और इस प्रकार एक निम्न ऊर्जा अवस्था बनाते हैं जहां उनके विपरीत स्पिन वाले संयोजी इलेक्ट्रॉन सहसंयोजक बंध बनाने के लिए जुड़ जाते हैं।