अप्रगामी तरंगें: Difference between revisions
Listen
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 18: | Line 18: | ||
== संक्षेप में == | == संक्षेप में == | ||
स्थिर तरंगों को समझने से हमें तरंग व्यवहार और व्यतिकरण घटनाक्रम को समझने में मदद मिलती है। वे तरंग ,में एक मौलिक अवधारणा हैं और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कई क्षेत्रों में इनका व्यापक अनुप्रयोग है। | स्थिर तरंगों को समझने से हमें तरंग व्यवहार और व्यतिकरण घटनाक्रम को समझने में मदद मिलती है। वे तरंग ,में एक मौलिक अवधारणा हैं और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कई क्षेत्रों में इनका व्यापक अनुप्रयोग है। | ||
[[Category:तरंगे]][[Category:कक्षा-11]] | [[Category:तरंगे]][[Category:कक्षा-11]][[Category:भौतिक विज्ञान]] |
Revision as of 11:49, 3 August 2023
Stationary waves
भौतिकी में, स्थिर तरंगें, जिन्हें अप्रगामी (खड़ी) तरंगों के रूप में भी जाना जाता है, एक अद्वितीय प्रकार का तरंग विन्यास (पैटर्न) है, जो तब बनता है, जब विपरीत दिशाओं में प्रवाह करने वाली समान आवृत्ति और आयाम वाली दो तरंगें एक दूसरे पर आरोपित (संयोजन) होती हैं । एक दूसरे के प्रावह में हस्तक्षेप कर रहे इस तरंग विन्यास से उत्पन्न व्यतिकरित तरंग व्यवस्था ही इन अप्रगामी तरंगों का परिणाम हैं। फैलने वाली या गति करने वाली अन्य तरंगों के विपरीत, स्थिर तरंगें "स्थिर" या जगह पर स्थिर दिखाई देती हैं।
अवधारणा का विवरण
यहां अवधारणा का विवरण दिया गया है:
अध्यारोपण (सुपरपोजिशन) और व्यतिकरण (इंटरफेरेंस) : स्थिर तरंगें एक ही माध्यम के साथ विपरीत दिशाओं में प्रवाहित, दो तरंगों के अध्यारोपण (सुपरपोजिशन) और हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं। इन तरंगों को आपतित तरंग और परावर्तित तरंग कहा जाता है। जब वे मिलते हैं, तो वे एक-दूसरे के साथ व्यतिकरित होते हैं, रचनात्मक व्यतिकरण क्षेत्र (जहां आयाम जुड़ते हैं) और विनाशकारी व्यतिकरण क्षेत्र (जहां आयाम रद्द हो जाते हैं) के क्षेत्र बनाते हैं।
स्पंद (नोड्स) और प्रस्पंद (एंटीनोड्स): अप्रगामी तरंगों का तरंग विन्यास (पैटर्न) के साथ विशिष्ट बिंदुओं द्वारा चित्रित किया जाता है। स्पंद वे बिंदु हैं,जहां तरंग का विस्थापन हमेशा शून्य होता है। दूसरे शब्दों में, माध्यम के कण स्पंद पर गति नहीं करते हैं। दूसरी ओर, प्रस्पंद अधिकतम विस्थापन के बिंदु हैं, जहां माध्यम के कण अधिकतम आयाम के साथ दोलन करते हैं।
गठन और कारक: स्थिर तरंगें तब बनती हैं जब विपरीत दिशाओं में यात्रा करने वाली समान आवृत्ति और आयाम वाली तरंगें मिलती हैं और हस्तक्षेप करती हैं। स्थिर तरंगों का निर्माण माध्यम की लंबाई और आपतित एवं परावर्तित तरंगों की तरंगदैर्घ्य पर निर्भर करता है। स्थिर तरंगों के निर्माण का समर्थन करने के लिए माध्यम की निश्चित सीमाएँ होनी चाहिए या एक निश्चित लंबाई के भीतर सीमित होनी चाहिए।
गुणवृत्ति (हार्मोनिक) आवृत्तियाँ: स्थिर तरंगों में विशिष्ट आवृत्तियाँ होती हैं, जिन्हें गुणवृत्ति आवृत्तियाँ या अनुनाद आवृत्तियाँ कहा जाता है। ये आवृत्तियाँ माध्यम की लंबाई और सीमा स्थितियों से निर्धारित होती हैं। किसी दिए गए माध्यम में स्थिर तरंगों के निर्माण के लिए केवल विशिष्ट तरंग दैर्ध्य और आवृत्तियों की अनुमति है।
अनुप्रयोग: स्थिर तरंगों के विभिन्न व्यावहारिक अनुप्रयोग होते हैं। वे तार,पाइप और ड्रम जैसे संगीत वाद्ययंत्रों में आवश्यक हैं, जहां विशिष्ट आवृत्तियों और स्पंद अलग-अलग ध्वनियां उत्पन्न करते हैं। स्थिर तरंगों का उपयोग ध्वनिकी, दूरसंचार और यहां तक कि इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी जैसे क्षेत्रों में भी किया जाता है।
संक्षेप में
स्थिर तरंगों को समझने से हमें तरंग व्यवहार और व्यतिकरण घटनाक्रम को समझने में मदद मिलती है। वे तरंग ,में एक मौलिक अवधारणा हैं और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कई क्षेत्रों में इनका व्यापक अनुप्रयोग है।