लीलावती में 'पाँच का नियम': Difference between revisions

From Vidyalayawiki

(added category)
No edit summary
Line 117: Line 117:


== संदर्भ ==
== संदर्भ ==
[[Category:लीलावती में गणित]]
[[Category:लीलावती में गणित]][[Category:सामान्य श्रेणी]]

Revision as of 16:49, 9 August 2023

श्लोक सं. 89

पञ्चसप्तनवराशिकादिकेऽन्योन्यपक्षनयनं फलच्छिदाम्

संविधाय बहुराशिजे वधे स्वल्पराशिवधभाजिते फलम् ॥ ८९ ॥

पांच, सात, नौ आदि के नियमों के उदाहरणों की स्थति में, अंश में सभी अनुपातों के पूर्ववर्ती रखें। वांछित परिणाम को छोड़कर अन्य सभी शर्तों को भाजक में रखा जाना चाहिए। अंशों के गुणनफल को हरों के गुणनफल से विभाजित करने पर प्राप्त परिणाम आवश्यक परिणाम है।

उदाहरण 1

मासे शतस्य यदि पञ्चकलान्तरं स्यात्

वर्षे गते भवति किं वद षोडशानाम्

कालं तथा कथय मूलकलान्तराभ्याम्

मूलं धनं गणक कालफले विदित्वा ॥ ॥

इसमें तीन समस्याएं हैं।

1. यदि 100 निष्क(N) पर प्रति माह 5 N ब्याज (M) मिलता है, तो 16 N पर एक वर्ष (12 M) के लिए ब्याज ज्ञात कीजिए।

100 N मूलधन : 16 N मूलधन प्रत्यक्ष
:: 5 N ब्याज : X
1 मास : 12 मास प्रत्यक्ष

N

2. उपरोक्त समस्या को (1) के समान दर पर परिवर्तित कर दिया गया है, 16 N पर ब्याज प्राप्त करने की अवधि प्राप्त कीजिए।

100 N : 16 N
:: 1 M : X
5N : N

M

3. मान लीजिए कि हमें अवधि और ब्याज दिया गया है और हमें मूलधन (x) ज्ञात करना है।

5N : N
:: 100N : X
1 M : 12 M

N

उदाहरण 2

सत्र्यंशमासेन शतस्य चेत्स्यात्कलान्तरं पञ्च सपञ्चमांशाः

मासैस्त्रिभिः पञ्चलवाधिकैस्तैः सार्धद्विषट्कैः फलमुच्यतां किम् ॥ ॥

यदि 100 पर महीने का ब्याज है, तो पर महीने का ब्याज कितना होगा?

टिप्पणी: पांच का नियम है:

100 : प्रत्यक्ष
:: : X
M : N प्रत्यक्ष

यह भी देखें

The Rule of Five in Līlāvatī

संदर्भ