वर्चुअल रियलिटी (आभासी वास्तविकता): Difference between revisions
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वर्चुअल रियलिटी दो शब्दों से मिलकर बना है एक वर्चुअल और दूसरा | वर्चुअल रियलिटी दो शब्दों से मिलकर बना है एक वर्चुअल और दूसरा रियलिटी अर्थात तकनीकी की मदद से करीब करीब वास्तविक अनुभव लेना। वर्चुअल रियलिटी में तकनीकी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों तरीके से काम आती है। कंप्यूटर तकनीकी की सहायता से इस आभासी दुनिया का निर्माण किया जाता है इसी को वर्चुअल रियलिटी कहा जाता है ये कंप्यूटर जनरेटेड एक काल्पनिक दुनिया है जिससे इलेक्ट्रॉनिक वस्तु का उपयोग करके 3D वातावरण उत्पन्न किया जाता है। वर्चुअल रियलिटी का सबसे ज्यादा उपयोग गेम्स में किया जाता है लेकिन आजकल जैसे जैसे तकनीकी का विकास हो रहा है वैसे वैसे 3D तकनीकी इतनी विकसित हो गई है की वर्चुअल रियलिटी की सहायता से 3D मूवीज और बाकी चीज़ो का भी मज़ा लिया जा सकता है।वर्चुअल रियलिटी की दुनिया में मनुष्य को वास्तविक दुनिया का आभास होता है और ऐसा महसूस होता है की जो भी घटनायें हो रही हैं वो सभी हमारे सामने हो रही हैं न की किसी स्क्रीन के अंदर हो रही हैं। | ||
== वर्चुअल रियलिटी का इतिहास == | == वर्चुअल रियलिटी का इतिहास == | ||
वर्चुअल रियलिटी का इतिहास बहुत बड़ा है। 1950 में तकनीकी की मदद से 3D ग्राफ़िक्स का अविष्कार हुआ 1957 में मॉर्टन हेलिंग ने सेंसोरामा का अविष्कार किया था सेंसोरामा की मदद से 3D मूवीज को देखा जाता था। लेकिन सेंसोरामा का अविष्कार उतना प्रभावी नहीं रहा। उसी समय '''हेड माउंटेड डिस्प्ले''' का अविष्कार हुआ ये एक ऐसा डिवाइस होता था जिसे सिर पर हेलमेट की तरह पहना जाता था इसके सामने का डिस्प्ले होता था | वर्चुअल रियलिटी का इतिहास बहुत बड़ा है। 1950 में तकनीकी की मदद से 3D ग्राफ़िक्स का अविष्कार हुआ 1957 में मॉर्टन हेलिंग ने सेंसोरामा का अविष्कार किया था सेंसोरामा की मदद से 3D मूवीज को देखा जाता था। लेकिन सेंसोरामा का अविष्कार उतना प्रभावी नहीं रहा। उसी समय '''हेड माउंटेड डिस्प्ले''' का अविष्कार हुआ ये एक ऐसा डिवाइस होता था जिसे सिर पर हेलमेट की तरह पहना जाता था इसके सामने का डिस्प्ले होता था जोकी दोनों आँखों के ठीक सामने होता है 1980 के आस पास वर्चुअल रियलिटी शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकन राइटर जारोन लेनियर ने किया। | ||
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शुरुआत में वर्चुअल रियलिटी का उपयोग गेमिंग के लिए किया जाता था लेकिन जैसे जैसे नए अविष्कार होते गए वैसे वैसे वर्चुअल रियलिटी में भी कई नयी तकनीक जुड़ती चली गई। 3D सिनेमा के जरिये वर्चुअल रियलिटी का उपयोग एकदम से बहुत बढ़ गया है 3D सिनेमा का लाइट और साउंड इफ़ेक्ट हमें ऐसा आभास कराता है की जो भी मूवी में हो रहा है वो सब हमारे सामने ही हो रहा है। वर्चुअल रियलिटी का उपयोग रोड ड्राइविंग का एक्सपीरियंस लेने में भी किया जा सकता है बहुत सारे | [[File:Vertual-reality.jpg|thumb]] | ||
शुरुआत में वर्चुअल रियलिटी का उपयोग गेमिंग के लिए किया जाता था लेकिन जैसे जैसे नए अविष्कार होते गए वैसे वैसे वर्चुअल रियलिटी में भी कई नयी तकनीक जुड़ती चली गई। 3D सिनेमा के जरिये वर्चुअल रियलिटी का उपयोग एकदम से बहुत बढ़ गया है 3D सिनेमा का लाइट और साउंड इफ़ेक्ट हमें ऐसा आभास कराता है की जो भी मूवी में हो रहा है वो सब हमारे सामने ही हो रहा है। वर्चुअल रियलिटी का उपयोग रोड ड्राइविंग का एक्सपीरियंस लेने में भी किया जा सकता है बहुत सारे संस्थान इसे कार सिखाने के लिए भी उपयोग करते हैं जिससे एक्सीडेंट से बचा जा सके इसका उपयोग एस्ट्रोनॉट को स्पेस ट्रेनिंग देने के लिए भी किया जाता है। वर्चुअल रियलिटी में वर्चुअल रिस्क लेके कई तरह की ट्रेनिंग दी जाती है जिससे रियल रिस्क से बचा जा सकता है। थर्मो रियल वर्चुअल दुनिया में असली दुनिया का एहसास करता है। | |||
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Latest revision as of 15:32, 10 August 2023
जिन वस्तुओं को हम छू सकते है, आभास कर सकते हैं, सूंघ सकते है वो सब हमारी वास्तविक दुनिया का हिस्सा होती हैं। लेकिन जैसे जैसे तकनीकी की दुनिया में विकास हो रहा है वैसे- वैसे एक वर्चुअल दुनिया का भी विकास हो रहा है, और अब एक नई दुनिया का भी आविष्कार हो चुका है जिसे हम वर्चुअल दुनिया कहते हैं और इसे ही वर्चुअल रियलिटी भी कहा जाता है। वर्चुअल रियलिटी एक काल्पनिक दुनिया है जो वास्तविक दुनिया से अलग होती है। कंप्यूटर कृत्रिम दुनिया या आभासी दुनिया में एक गेट कीपर के रूप में कार्य करता है, और हम ऐसी चीजों का अनुभव कर सकते हैं जो वास्तविक दुनिया में नहीं हैं, जिस दुनिया में पहुंचना मुश्किल है।
वर्चुअल रियलिटी की अवधारणा
वर्चुअल रियलिटी दो शब्दों से मिलकर बना है एक वर्चुअल और दूसरा रियलिटी अर्थात तकनीकी की मदद से करीब करीब वास्तविक अनुभव लेना। वर्चुअल रियलिटी में तकनीकी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों तरीके से काम आती है। कंप्यूटर तकनीकी की सहायता से इस आभासी दुनिया का निर्माण किया जाता है इसी को वर्चुअल रियलिटी कहा जाता है ये कंप्यूटर जनरेटेड एक काल्पनिक दुनिया है जिससे इलेक्ट्रॉनिक वस्तु का उपयोग करके 3D वातावरण उत्पन्न किया जाता है। वर्चुअल रियलिटी का सबसे ज्यादा उपयोग गेम्स में किया जाता है लेकिन आजकल जैसे जैसे तकनीकी का विकास हो रहा है वैसे वैसे 3D तकनीकी इतनी विकसित हो गई है की वर्चुअल रियलिटी की सहायता से 3D मूवीज और बाकी चीज़ो का भी मज़ा लिया जा सकता है।वर्चुअल रियलिटी की दुनिया में मनुष्य को वास्तविक दुनिया का आभास होता है और ऐसा महसूस होता है की जो भी घटनायें हो रही हैं वो सभी हमारे सामने हो रही हैं न की किसी स्क्रीन के अंदर हो रही हैं।
वर्चुअल रियलिटी का इतिहास
वर्चुअल रियलिटी का इतिहास बहुत बड़ा है। 1950 में तकनीकी की मदद से 3D ग्राफ़िक्स का अविष्कार हुआ 1957 में मॉर्टन हेलिंग ने सेंसोरामा का अविष्कार किया था सेंसोरामा की मदद से 3D मूवीज को देखा जाता था। लेकिन सेंसोरामा का अविष्कार उतना प्रभावी नहीं रहा। उसी समय हेड माउंटेड डिस्प्ले का अविष्कार हुआ ये एक ऐसा डिवाइस होता था जिसे सिर पर हेलमेट की तरह पहना जाता था इसके सामने का डिस्प्ले होता था जोकी दोनों आँखों के ठीक सामने होता है 1980 के आस पास वर्चुअल रियलिटी शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकन राइटर जारोन लेनियर ने किया।
वर्चुअल रियलिटी का उपयोग
वर्चुअल रियलिटी का उपयोग अमेरिकन आर्मी द्वारा आर्मी की ट्रेनिंग में किया जाने लगा जिससे एक वर्चुअल दुनिया क्रिएट की जाती थी और आर्मी को उस वातावरण के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाता था, धीरे धीरे वर्चुअल रियलिटी का उपयोग नासा के द्वारा भी किया जाने लगा। वर्चुअल रियलिटी सर्वप्रथम कंप्यूटर पर काम करता था बाद में मोबाइल के लिए वर्चुअल रियलिटी हैंड डिवाइस बनाया गया अब वर्चुअल रियलिटी बहुत विकसित हो चुका है।
वर्चुअल रियलिटी से संबंधित उपकरण
शुरुआत में वर्चुअल रियलिटी का उपयोग गेमिंग के लिए किया जाता था लेकिन जैसे जैसे नए अविष्कार होते गए वैसे वैसे वर्चुअल रियलिटी में भी कई नयी तकनीक जुड़ती चली गई। 3D सिनेमा के जरिये वर्चुअल रियलिटी का उपयोग एकदम से बहुत बढ़ गया है 3D सिनेमा का लाइट और साउंड इफ़ेक्ट हमें ऐसा आभास कराता है की जो भी मूवी में हो रहा है वो सब हमारे सामने ही हो रहा है। वर्चुअल रियलिटी का उपयोग रोड ड्राइविंग का एक्सपीरियंस लेने में भी किया जा सकता है बहुत सारे संस्थान इसे कार सिखाने के लिए भी उपयोग करते हैं जिससे एक्सीडेंट से बचा जा सके इसका उपयोग एस्ट्रोनॉट को स्पेस ट्रेनिंग देने के लिए भी किया जाता है। वर्चुअल रियलिटी में वर्चुअल रिस्क लेके कई तरह की ट्रेनिंग दी जाती है जिससे रियल रिस्क से बचा जा सकता है। थर्मो रियल वर्चुअल दुनिया में असली दुनिया का एहसास करता है।
वर्चुअल रियलिटी के प्रकार
- नॉन इमर्सिव
- सेमी इमर्सिव
- फुल्ली इमर्सिव
नॉन इमर्सिव
नॉन इमर्सिव वर्चुअल रियलिटी में एक प्राकृतिक वातावरण बनता है, लेकिन भौतिक वातावरण का पूरी तरह नियंत्रण रहता है।
उदाहरण - वीडियो गेम
सेमी इमर्सिव
सेमी इमर्सिव वर्चुअल रियलिटी, वर्चुअल दुनिया में होते हुए रियल दुनिया से जुड़ा रहता है और उस पर नियंत्रण रख सकता है। इसमें 3D ज्यादा प्रभावी होता है इसमें ग्राफ़िक प्रभाव भी ज्यादा अच्छा होगा ग्राफ़िक प्रभाव जितना ज्यादा अच्छा होगा वर्चुअल प्रभाव भी उतना अच्छा होगा।
उदाहरण - इसमें प्रशिक्षण में प्रयोग होने वाले वर्चुअल रियलिटी तकनीकी का उपयोग किया जाता है इसका डिस्प्ले कंप्यूटर प्रोजेक्टर पर बहुत हाई रेज़लूशन का होता है।
फुल्ली इमर्सिव
इसमें वर्चुअल दुनिया का सबसे ज्यादा फील करते हैं इसमें विसुअल और साउंड प्रभाव सबसे ज्यादा होता है।
उदाहरण - इसके लिए विसुअल ग्लासेज और हेड माउंट डिस्प्लैटी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।