जल चक्र: Difference between revisions

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* संघनन - ठंडी हवा के संपर्क में आते ही वाष्प फिर से तरल रूप में परिवर्तित हो जाती है।जलवाष्प 0° तापमान पर पहुंचने के बाद तरल में परिवर्तित हो जाता है और मिलकर पानी की बूंदें बनाता है।वायु धाराएं वायुमंडल में चारों ओर जमा नमी को स्थानांतरित कर देती हैं, जिससे बादलों का निर्माण होता है।
* संघनन - ठंडी हवा के संपर्क में आते ही वाष्प फिर से तरल रूप में परिवर्तित हो जाती है।जलवाष्प 0° तापमान पर पहुंचने के बाद तरल में परिवर्तित हो जाता है और मिलकर पानी की बूंदें बनाता है।वायु धाराएं वायुमंडल में चारों ओर जमा नमी को स्थानांतरित कर देती हैं, जिससे बादलों का निर्माण होता है।
* वर्षण - ये बादल हवा की गति के कारण एक-दूसरे से टकराते हैं। चूंकि इनमें पानी भरा होता है, ये बारिश वाले बादलों में बदल जाते हैं और बारिश के रूप में पृथ्वी की सतह पर वापस गिर जाते हैं।
* वर्षण - ये बादल हवा की गति के कारण एक-दूसरे से टकराते हैं। चूंकि इनमें पानी भरा होता है, ये बारिश वाले बादलों में बदल जाते हैं और बारिश के रूप में पृथ्वी की सतह पर वापस गिर जाते हैं।
* सतही अपवाह और अंतःस्यंदन - जब वर्षा जल जल निकायों में गिरता है, तो इस प्रक्रिया को "अपवाह" कहा जाता है।जब पानी जमीन की सतह तक पहुंचता है या मिट्टी में अवशोषित हो जाता है तो इसे अंतःस्यंदन कहा जाता है।
== जल चक्र का महत्व ==
* यह सभी जीवित जीवों के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
* अप्रत्यक्ष रूप से हमारे ग्रह पर मौसम के पैटर्न को नियंत्रित करता है।
* यदि जल चक्र नहीं होगा, तो हमारे पास स्वच्छ जल नहीं बचेगा, जो जीवन के लिए आवश्यक है।
* जल चक्र जल के शुद्धतम रूप को प्रकृति में पुनः भर देता है।


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[[File:Watercyclesummary.jpg|thumb|जल चक्र]]
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Revision as of 23:36, 26 August 2023

जल चक्र पृथ्वी की सतह के भीतर और पृथ्वी की सतह के ऊपर पानी की निरंतर गति है।इसे वाष्पीकरण, संघनन और वर्षा की प्रक्रिया के माध्यम से पृथ्वी के अंदर पानी की गोलाकार गति के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है।

जल चक्र की प्रक्रिया

  • वाष्पीकरण - जल निकायों के ऊपर सूर्य की गर्मी पानी को वाष्पित कर देती है। बढ़ती वायु धाराएँ वाष्प को आकाश में ले जाती हैं। इस प्रक्रिया में वाष्पोत्सर्जन से वायुमंडल में पानी भी जुड़ जाता है।
  • संघनन - ठंडी हवा के संपर्क में आते ही वाष्प फिर से तरल रूप में परिवर्तित हो जाती है।जलवाष्प 0° तापमान पर पहुंचने के बाद तरल में परिवर्तित हो जाता है और मिलकर पानी की बूंदें बनाता है।वायु धाराएं वायुमंडल में चारों ओर जमा नमी को स्थानांतरित कर देती हैं, जिससे बादलों का निर्माण होता है।
  • वर्षण - ये बादल हवा की गति के कारण एक-दूसरे से टकराते हैं। चूंकि इनमें पानी भरा होता है, ये बारिश वाले बादलों में बदल जाते हैं और बारिश के रूप में पृथ्वी की सतह पर वापस गिर जाते हैं।
  • सतही अपवाह और अंतःस्यंदन - जब वर्षा जल जल निकायों में गिरता है, तो इस प्रक्रिया को "अपवाह" कहा जाता है।जब पानी जमीन की सतह तक पहुंचता है या मिट्टी में अवशोषित हो जाता है तो इसे अंतःस्यंदन कहा जाता है।

जल चक्र का महत्व

  • यह सभी जीवित जीवों के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
  • अप्रत्यक्ष रूप से हमारे ग्रह पर मौसम के पैटर्न को नियंत्रित करता है।
  • यदि जल चक्र नहीं होगा, तो हमारे पास स्वच्छ जल नहीं बचेगा, जो जीवन के लिए आवश्यक है।
  • जल चक्र जल के शुद्धतम रूप को प्रकृति में पुनः भर देता है।
जल चक्र