ग्रेफाइट: Difference between revisions
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ग्रेफाइट (Graphite) ग्रीक भाषा का शब्द है जिसे ग्रेफो से लिया गया है। ग्रेफो का अर्थ होता है लिखना अर्थात इसके द्वारा कागज पर निशान बनाया जा सकता है। ग्रेफाइट (Graphite) को कार्बन का अपरूप पदार्थ माना जाता है। ग्रेफाइट को काला सीसा और प्लबगो के नाम से भी जाना जाता है। यह कार्बन का ही एक खनिज है। ग्रेफाइट एक आधातु पदार्थ है जो विद्युत और ताप का सुचालक होता है। ग्रेफाइट को जब 700℃ का ताप दिया जाता है तो यह जल जाती है और जलकर कार्बन डाइऑक्साइड बनाती है। यह एक परत संरचना होती है जिसमें अनेक परतें होती हैं ये सभी परतें वान्डरवाल बल द्वारा जुडी रहती हैं। ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन sp<sup>2</sup> संकरित होता है। ग्रेफाइट कार्बन का दूसरा अपररूप होता है। इसमें कार्बन परमाणु समान्तर परतों में व्यवस्थित होते हैं। ग्रेफाइट अधातु होकर भी मुलायम और विद्युत का चालक होता है। ग्रेफाइट की संरचना षटकोणीय जालक परत के रूप में होती है। ग्रेफाइट में मुक्त इलेक्ट्रान पाए जाते हैं। जो सम्पूर्ण जालक के रूप में गमन करते हैं। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु विभिन्न परतों में व्यवस्थित होते हैं। जिनमे प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंध के द्वारा जुड़कर षट्कोणीय रेखीय संरचना बनता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु का चौथा इलेक्ट्रान मुक्त होता है। जो इसे विद्युत का अच्छा चालक बनाता है। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु की विभिन्न परते एक दूसरे स कमजोर बांडर वाल बलों द्वारा जुड़ी होती हैं। अतः ये एक दुसरे पर फिसल सकती हैं। इसलिए जब हम ग्रेफाइट को छूते हैं तो यह फिसलता है। इसे काला लेड भी कहते हैं। | ग्रेफाइट (Graphite) ग्रीक भाषा का शब्द है जिसे ग्रेफो से लिया गया है। ग्रेफो का अर्थ होता है लिखना अर्थात इसके द्वारा कागज पर निशान बनाया जा सकता है। ग्रेफाइट (Graphite) को कार्बन का अपरूप पदार्थ माना जाता है। ग्रेफाइट को काला सीसा और प्लबगो के नाम से भी जाना जाता है। यह कार्बन का ही एक खनिज है। ग्रेफाइट एक आधातु पदार्थ है जो विद्युत और ताप का सुचालक होता है। ग्रेफाइट को जब 700℃ का ताप दिया जाता है तो यह जल जाती है और जलकर कार्बन डाइऑक्साइड बनाती है। यह एक परत संरचना होती है जिसमें अनेक परतें होती हैं ये सभी परतें वान्डरवाल बल द्वारा जुडी रहती हैं। ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन sp<sup>2</sup> संकरित होता है। ग्रेफाइट कार्बन का दूसरा अपररूप होता है। इसमें कार्बन परमाणु समान्तर परतों में व्यवस्थित होते हैं। ग्रेफाइट अधातु होकर भी मुलायम और विद्युत का चालक होता है। ग्रेफाइट की संरचना षटकोणीय जालक परत के रूप में होती है। ग्रेफाइट में मुक्त इलेक्ट्रान पाए जाते हैं। जो सम्पूर्ण जालक के रूप में गमन करते हैं। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु विभिन्न परतों में व्यवस्थित होते हैं। जिनमे प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंध के द्वारा जुड़कर षट्कोणीय रेखीय संरचना बनता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु का चौथा इलेक्ट्रान मुक्त होता है। जो इसे विद्युत का अच्छा चालक बनाता है। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु की विभिन्न परते एक दूसरे स कमजोर बांडर वाल बलों द्वारा जुड़ी होती हैं। अतः ये एक दुसरे पर फिसल सकती हैं। इसलिए जब हम ग्रेफाइट को छूते हैं तो यह फिसलता है। इसे काला लेड भी कहते हैं। | ||
=== ग्रेफाइट के गुण === | |||
* यह मुलायम होता है तथा ताप व विद्युत का सुचालक होता है। | |||
* ग्रेफाइट को 3000 K ताप और 125×10<sup>3</sup> बार से अधिक दाब पर रखने पर ये हीरे में परिवर्तित हो जाता है। | |||
* ग्रेफाइट का घनत्व कम होता है। | |||
* ग्रेफाइट नर्म तथा स्नेहक होता है। | |||
=== ग्रेफाइट के प्रमुख उपयोग === | === ग्रेफाइट के प्रमुख उपयोग === | ||
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* इसका उपयोग सेलो के इलेक्ट्रोड के रूप में होता है। | * इसका उपयोग सेलो के इलेक्ट्रोड के रूप में होता है। | ||
* पेंसिल के लिए लेड के रूप में होता है। | * पेंसिल के लिए लेड के रूप में होता है। | ||
* ग्रेफाइट का उपयोग कृत्रिम हीरा बनाने में भी किया जाता है। | |||
* ग्रेफाइट का उपयोग शुष्क सेलो में किया जाता है। |
Revision as of 12:15, 27 September 2023
कार्बन, सिलिकन, जर्मेनियम, टिन, लेड तथा फ्लेरोवियम समूह 14 के तत्व है। कार्बन प्रकृति में पाया जाना वाला अतिबाहुल्य तत्व है। यह प्रकृति में स्वतंत्र एवं संयुक्त अवस्था में बहुतायत में पाया जाने वाला तत्व है। यह प्रकृति में कोयला, ग्रेफाइट तथा हीरा में मिलता है, जबकि संयुक्त अवस्था में यह धातु कार्बोनेट, हाइड्रोकार्बन तथा वायु में यह कार्बनडाइ ऑक्साइड गैस के रूप में मिलता है।
कार्बन अपने दो रूपों में पाया जाता है:
- क्रिस्टलीय रूप
- अक्रिस्टलीय रूप
क्रिस्टलीय रूप
हीरा, ग्रेफाइट और फुलरीन कार्बन के दो प्रमुख क्रिस्टलीय रूप है।
अक्रिस्टलीय रूप
कोल, कोक, काष्ठ, चारकोल, जंतु चारकोल, काजल, गैस कार्बन क्रिस्टलीय रूप है।
ग्रेफाइट
ग्रेफाइट (Graphite) ग्रीक भाषा का शब्द है जिसे ग्रेफो से लिया गया है। ग्रेफो का अर्थ होता है लिखना अर्थात इसके द्वारा कागज पर निशान बनाया जा सकता है। ग्रेफाइट (Graphite) को कार्बन का अपरूप पदार्थ माना जाता है। ग्रेफाइट को काला सीसा और प्लबगो के नाम से भी जाना जाता है। यह कार्बन का ही एक खनिज है। ग्रेफाइट एक आधातु पदार्थ है जो विद्युत और ताप का सुचालक होता है। ग्रेफाइट को जब 700℃ का ताप दिया जाता है तो यह जल जाती है और जलकर कार्बन डाइऑक्साइड बनाती है। यह एक परत संरचना होती है जिसमें अनेक परतें होती हैं ये सभी परतें वान्डरवाल बल द्वारा जुडी रहती हैं। ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन sp2 संकरित होता है। ग्रेफाइट कार्बन का दूसरा अपररूप होता है। इसमें कार्बन परमाणु समान्तर परतों में व्यवस्थित होते हैं। ग्रेफाइट अधातु होकर भी मुलायम और विद्युत का चालक होता है। ग्रेफाइट की संरचना षटकोणीय जालक परत के रूप में होती है। ग्रेफाइट में मुक्त इलेक्ट्रान पाए जाते हैं। जो सम्पूर्ण जालक के रूप में गमन करते हैं। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु विभिन्न परतों में व्यवस्थित होते हैं। जिनमे प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंध के द्वारा जुड़कर षट्कोणीय रेखीय संरचना बनता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु का चौथा इलेक्ट्रान मुक्त होता है। जो इसे विद्युत का अच्छा चालक बनाता है। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु की विभिन्न परते एक दूसरे स कमजोर बांडर वाल बलों द्वारा जुड़ी होती हैं। अतः ये एक दुसरे पर फिसल सकती हैं। इसलिए जब हम ग्रेफाइट को छूते हैं तो यह फिसलता है। इसे काला लेड भी कहते हैं।
ग्रेफाइट के गुण
- यह मुलायम होता है तथा ताप व विद्युत का सुचालक होता है।
- ग्रेफाइट को 3000 K ताप और 125×103 बार से अधिक दाब पर रखने पर ये हीरे में परिवर्तित हो जाता है।
- ग्रेफाइट का घनत्व कम होता है।
- ग्रेफाइट नर्म तथा स्नेहक होता है।
ग्रेफाइट के प्रमुख उपयोग
- ग्रेफाइट के चूर्ण का उपयोग मशीनों के पुर्जो में स्नेहक के रूप में होता है।
- इसका उपयोग सेलो के इलेक्ट्रोड के रूप में होता है।
- पेंसिल के लिए लेड के रूप में होता है।
- ग्रेफाइट का उपयोग कृत्रिम हीरा बनाने में भी किया जाता है।
- ग्रेफाइट का उपयोग शुष्क सेलो में किया जाता है।