द्विपदनाम पद्धति: Difference between revisions
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पृथ्वी पर लाखों पौधे और जानवर हैं। हम अपने क्षेत्र के पौधों और जानवरों को उनके स्थानीय नामों से जानते हैं। ये स्थानीय नाम प्रत्येक स्थान और क्षेत्र में भिन्न-भिन्न होंगे।संभवतः हम उस नाम को पहचानेंगे जो हमारे द्वारा निर्मित किया गया होगा। परन्तु ये अलग-अलग नाम पौधों और जानवरों की पहचान में भ्रम पैदा कर सकते हैं। इस भ्रम से बचने के लिए जीवित जीवों के नामकरण को मानकीकृत करने की आवश्यकता हुई, जैसे कि एक विशेष जीव को सभी जगह एक ही नाम से जाना जाए। इस प्रक्रिया को | पृथ्वी पर लाखों पौधे और जानवर हैं। हम अपने क्षेत्र के पौधों और जानवरों को उनके स्थानीय नामों से जानते हैं। ये स्थानीय नाम प्रत्येक स्थान और क्षेत्र में भिन्न-भिन्न होंगे।संभवतः हम उस नाम को पहचानेंगे जो हमारे द्वारा निर्मित किया गया होगा। परन्तु ये अलग-अलग नाम पौधों और जानवरों की पहचान में भ्रम पैदा कर सकते हैं। इस भ्रम से बचने के लिए जीवित जीवों के नामकरण को मानकीकृत करने की आवश्यकता हुई, जैसे कि एक विशेष जीव को सभी जगह एक ही नाम से जाना जाए। इस प्रक्रिया को नामपद्धति कहा जाता है। आइए इसके बारे में चर्चा करें। | ||
== नामपद्धति == | == नामपद्धति == |
Revision as of 19:14, 6 October 2023
पृथ्वी पर लाखों पौधे और जानवर हैं। हम अपने क्षेत्र के पौधों और जानवरों को उनके स्थानीय नामों से जानते हैं। ये स्थानीय नाम प्रत्येक स्थान और क्षेत्र में भिन्न-भिन्न होंगे।संभवतः हम उस नाम को पहचानेंगे जो हमारे द्वारा निर्मित किया गया होगा। परन्तु ये अलग-अलग नाम पौधों और जानवरों की पहचान में भ्रम पैदा कर सकते हैं। इस भ्रम से बचने के लिए जीवित जीवों के नामकरण को मानकीकृत करने की आवश्यकता हुई, जैसे कि एक विशेष जीव को सभी जगह एक ही नाम से जाना जाए। इस प्रक्रिया को नामपद्धति कहा जाता है। आइए इसके बारे में चर्चा करें।