त्रिविम समावयवता: Difference between revisions
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सिस-समावयवता में, द्विबंध या रिंग से जुड़े प्रतिस्थापन या समूह अणु के एक ही तरफ होते हैं। उनके पास द्विबंध या रिंग के चारों ओर एक समान स्थानिक व्यवस्था है। | सिस-समावयवता में, द्विबंध या रिंग से जुड़े प्रतिस्थापन या समूह अणु के एक ही तरफ होते हैं। उनके पास द्विबंध या रिंग के चारों ओर एक समान स्थानिक व्यवस्था है। | ||
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2-ब्यूटीन में, सिस-समावयवी में द्विबंध के एक ही तरफ दो मिथाइल समूह होते हैं, जबकि ट्रांस-समावयवी में वे विपरीत पक्षों पर होते हैं। |
Revision as of 16:35, 3 November 2023
जब दो या दो से अधिक यौगिकों के रासायनिक सूत्र समान होते हैं परन्तु उनकी द्विक विन्यास अवस्थाएं भिन्न भिन्न होती हैं तो यह घटना त्रिविम समावयवता कहलाती है। त्रिविम समावयवता निम्न प्रकार की होती है।
- ज्यामितीय समावयवता
- प्रकाशिक समावयवता
ज्यामितीय (सिस -ट्रांस) समावयवता
ज्यामितीय समावयवता उन यौगिकों में होती है जिनमें द्विबंध पाया जाता है जहां घूर्णन प्रतिबंधित होता है, जैसे कि साइक्लोएल्केन। यह कुछ समूहों की द्विबंध के चारों ओर या एक रिंग के भीतर घूमने में असमर्थता से उत्पन्न होता है, जिससे विभिन्न स्थानिक व्यवस्थाएं होती हैं।
ट्रांस-समावयवता
ट्रांस-समावयवता में, द्विबंध या रिंग से जुड़े पदार्थ या समूह अणु के विपरीत पक्षों पर होते हैं। उनके पास द्विबंध या रिंग के चारों ओर एक अलग स्थानिक व्यवस्था है।
सिस-समावयवता
सिस-समावयवता में, द्विबंध या रिंग से जुड़े प्रतिस्थापन या समूह अणु के एक ही तरफ होते हैं। उनके पास द्विबंध या रिंग के चारों ओर एक समान स्थानिक व्यवस्था है।
उदाहरण
2-ब्यूटीन में, सिस-समावयवी में द्विबंध के एक ही तरफ दो मिथाइल समूह होते हैं, जबकि ट्रांस-समावयवी में वे विपरीत पक्षों पर होते हैं।