क्रिस्टलन: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

No edit summary
No edit summary
Line 2: Line 2:
यह ठोस कार्बनिक यौगिकों के शोधन की सर्वाधिक उपयोग में लानी वाली विधि है । यह एक कार्बनिक विधि है। यह यौगिक तथा उसमे अशुद्धि की किसी उपयुक्त विलायक में विलेयताओं में अन्तर पर आधारित है। इस विधि में अशुद्ध यौगिक को किसी ऐसे विलायक में विलेय किया जाता है, जिसमें यौगिक सामान्य ताप पर अल्प-विलेय होता है परन्तु उच्च ताप पर वह पर्याप्त मात्रा में विलेय होता है। फिर विलयन को इस स्तर तक सान्द्रित करते हैं कि वह विलयन लगभग संतृप्त हो जाए। विलयन को ठण्डा करने पर शुद्ध पदार्थ क्रिस्टलित हो जाता है, जिसे छानकर (Filtration) पृथक कर लिया जाता है। छनित (मात्र द्रव) में अशुद्धियाँ तथा यौगिक की अल्प मात्रा रह जाती है। जब यौगिक किसी एक विलायक में अत्यधिक विलेय तथा किसी अन्य विलायक में अल्प विलेय होता है, तब क्रिस्टलन उचित मात्रा में इन विलायकों के मिश्रण द्वारा किया जाता है।
यह ठोस कार्बनिक यौगिकों के शोधन की सर्वाधिक उपयोग में लानी वाली विधि है । यह एक कार्बनिक विधि है। यह यौगिक तथा उसमे अशुद्धि की किसी उपयुक्त विलायक में विलेयताओं में अन्तर पर आधारित है। इस विधि में अशुद्ध यौगिक को किसी ऐसे विलायक में विलेय किया जाता है, जिसमें यौगिक सामान्य ताप पर अल्प-विलेय होता है परन्तु उच्च ताप पर वह पर्याप्त मात्रा में विलेय होता है। फिर विलयन को इस स्तर तक सान्द्रित करते हैं कि वह विलयन लगभग संतृप्त हो जाए। विलयन को ठण्डा करने पर शुद्ध पदार्थ क्रिस्टलित हो जाता है, जिसे छानकर (Filtration) पृथक कर लिया जाता है। छनित (मात्र द्रव) में अशुद्धियाँ तथा यौगिक की अल्प मात्रा रह जाती है। जब यौगिक किसी एक विलायक में अत्यधिक विलेय तथा किसी अन्य विलायक में अल्प विलेय होता है, तब क्रिस्टलन उचित मात्रा में इन विलायकों के मिश्रण द्वारा किया जाता है।


यदि यौगिक तथा अशुद्धियों की विलेयताओं में अन्तर कम होता है तो उसका बार बार क्रिस्टलन करके शुद्ध यौगिक प्राप्त किया जाता है।
यदि यौगिक तथा अशुद्धियों की विलेयताओं में अन्तर कम होता है तो उसका बार बार क्रिस्टलन करके शुद्ध यौगिक प्राप्त किया जाता है। प्राकृतिक या कृत्रिम तरीकों से ठोस क्रिस्टल बनाने की प्रक्रिया को क्रिस्टलीकरण कहते है। क्रिस्टलीकरण के लिए, एक विलयन का उपयोग किया जाता है या  क्रिस्टल सीधे गैस से एकत्र कर लिए जाते हैं। क्रिस्टलीकरण एक रासायनिक ठोस-द्रव पृथक्करण तकनीक है जिसमें एक विलेय को द्रव विलयन से शुद्ध ठोस में स्थानांतरित किया जाता है। रासायनिक इंजीनियरिंग में क्रिस्टलीकरण का उपयोग किया जाता है।

Revision as of 15:08, 19 November 2023

यह ठोस कार्बनिक यौगिकों के शोधन की सर्वाधिक उपयोग में लानी वाली विधि है । यह एक कार्बनिक विधि है। यह यौगिक तथा उसमे अशुद्धि की किसी उपयुक्त विलायक में विलेयताओं में अन्तर पर आधारित है। इस विधि में अशुद्ध यौगिक को किसी ऐसे विलायक में विलेय किया जाता है, जिसमें यौगिक सामान्य ताप पर अल्प-विलेय होता है परन्तु उच्च ताप पर वह पर्याप्त मात्रा में विलेय होता है। फिर विलयन को इस स्तर तक सान्द्रित करते हैं कि वह विलयन लगभग संतृप्त हो जाए। विलयन को ठण्डा करने पर शुद्ध पदार्थ क्रिस्टलित हो जाता है, जिसे छानकर (Filtration) पृथक कर लिया जाता है। छनित (मात्र द्रव) में अशुद्धियाँ तथा यौगिक की अल्प मात्रा रह जाती है। जब यौगिक किसी एक विलायक में अत्यधिक विलेय तथा किसी अन्य विलायक में अल्प विलेय होता है, तब क्रिस्टलन उचित मात्रा में इन विलायकों के मिश्रण द्वारा किया जाता है।

यदि यौगिक तथा अशुद्धियों की विलेयताओं में अन्तर कम होता है तो उसका बार बार क्रिस्टलन करके शुद्ध यौगिक प्राप्त किया जाता है। प्राकृतिक या कृत्रिम तरीकों से ठोस क्रिस्टल बनाने की प्रक्रिया को क्रिस्टलीकरण कहते है। क्रिस्टलीकरण के लिए, एक विलयन का उपयोग किया जाता है या  क्रिस्टल सीधे गैस से एकत्र कर लिए जाते हैं। क्रिस्टलीकरण एक रासायनिक ठोस-द्रव पृथक्करण तकनीक है जिसमें एक विलेय को द्रव विलयन से शुद्ध ठोस में स्थानांतरित किया जाता है। रासायनिक इंजीनियरिंग में क्रिस्टलीकरण का उपयोग किया जाता है।