प्रगलन: Difference between revisions

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प्रगलन-अयस्क में उपस्थित अगलनीय अशुद्धियों को दूर करने के लिए उचित गालक मिलाकर मिश्रण को उच्च ताप पर गलाने की क्रिया प्रगलन (smelting) कहलाती है। इस क्रिया में अयस्क को गलित धातु और कोक द्वारा अपचयन किया जाता है अथवा धातुयुक्त पदार्थ पिघल जाता है। गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके गलनीय धातुमल बनाता है जिसे अलग कर लेते हैं। यह प्रक्रिया वात्या भट्ठी में की जाती है।
प्रगलन-अयस्क में उपस्थित अगलनीय अशुद्धियों को दूर करने के लिए उचित गालक मिलाकर मिश्रण को उच्च ताप पर गलाने की क्रिया प्रगलन (smelting) कहलाती है। इस क्रिया में अयस्क को गलित धातु और कोक द्वारा अपचयन किया जाता है अथवा धातुयुक्त पदार्थ पिघल जाता है। गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके गलनीय धातुमल बनाता है जिसे अलग कर लेते हैं। यह प्रक्रिया वात्या भट्ठी में की जाती है।
 
[[File:Modern blast furnaces (Wonder Book of Engineering Wonders, 1931).jpg|thumb|वात्या भट्ठी]]
निस्तापन या भर्जन से प्राप्त अयस्क में उचित गालक मिलाकर उसे गर्म किया जाता है। इस प्रकार उच्च ताप पर अयस्क को गलाने की प्रक्रिया को प्रगलन कहा जाता है।  गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके धातुमल बनाता है यह धातुमल हल्का होता है अतः यह गलित धातु के ऊपर तैरता रहता है।
निस्तापन या भर्जन से प्राप्त अयस्क में उचित गालक मिलाकर उसे गर्म किया जाता है। इस प्रकार उच्च ताप पर अयस्क को गलाने की प्रक्रिया को प्रगलन कहा जाता है।  गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके धातुमल बनाता है यह धातुमल हल्का होता है अतः यह गलित धातु के ऊपर तैरता रहता है।



Revision as of 21:54, 28 December 2023

प्रगलन-अयस्क में उपस्थित अगलनीय अशुद्धियों को दूर करने के लिए उचित गालक मिलाकर मिश्रण को उच्च ताप पर गलाने की क्रिया प्रगलन (smelting) कहलाती है। इस क्रिया में अयस्क को गलित धातु और कोक द्वारा अपचयन किया जाता है अथवा धातुयुक्त पदार्थ पिघल जाता है। गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके गलनीय धातुमल बनाता है जिसे अलग कर लेते हैं। यह प्रक्रिया वात्या भट्ठी में की जाती है।

वात्या भट्ठी

निस्तापन या भर्जन से प्राप्त अयस्क में उचित गालक मिलाकर उसे गर्म किया जाता है। इस प्रकार उच्च ताप पर अयस्क को गलाने की प्रक्रिया को प्रगलन कहा जाता है।  गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके धातुमल बनाता है यह धातुमल हल्का होता है अतः यह गलित धातु के ऊपर तैरता रहता है।

उदाहरण

काँपर पाइराइट से कॉपर का निष्कर्षण वात्या भट्ठी में प्रगलन द्वारा करने पर निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं।

जहां SiO2 गालक है, जबकि FeSiO3 धातुमल है।

अयस्क में उपस्थित अवांछित सामग्री या अशुद्धता को गैंग कहा जाता है। यह अयस्क भंडारों में पाया जा सकता है जहां खनिज उपस्थित होते है। निष्कर्षण की प्रक्रिया के दौरान, ये अशुद्धियाँ पत्थर, रेत, चट्टान आदि के रूप में अयस्क के साथ मिल जाती हैं। अयस्क की सांद्रता एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग अशुद्धियों को दूर करने के लिए किया जाता है, यह भौतिक और रासायनिक गुणों पर निर्भर होता है। गैंग के कण अवांछित पदार्थ या अशुद्धियाँ जैसे सल्फाइड, ऑक्साइड, सिलिका रेत आदि हैं जो खनिज के साथ मिश्रित होते हैं और इन्हे शुद्ध धातुओं के निष्कर्षण के समय हटा दिया जाता है।

धातुमल

प्रगलन की प्रक्रिया में गालक पदार्थ अशुध्दियों से मिलकर कम गलनांक वाले जो गलनीय पदार्थ बनाते हैं , उसे धातुमल कहा जाता हैं ।

अयस्क

पृथ्वी खनिज तत्वों से बनी है, ये खनिज यौगिक का निर्माण करते हैं। एक खनिज एक तत्व या यौगिक से बना होता है। परिभाषा के अनुसार, एक खनिज एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला अकार्बनिक पदार्थ है जिसकी एक निश्चित रासायनिक संरचना होती है। पृथ्वी की भूपर्पटी धातुओं का मुख्य स्रोत हैं यहां से ही धातु प्राप्त होती है। समुद्री जल में भी सोडियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड आदि जैसे कुछ विलेय लवण उपस्थित होते हैं इन प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्वों को खनिज कहते हैं। खनिज और अयस्क दो अलग अलग पदार्थ हैं। वे खनिज जिनसे किसी धातु का निष्कर्षण आसानी से और सस्ते में हो सके, अयस्क कहलाते हैं। रेत, मिट्टी और चट्टानों के साथ पृथ्वी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले धातु या इसके यौगिक खनिज कहलाते हैं। लेकिन पृथ्वी की चट्टानें आमतौर पर कई खनिजों से बनी होती हैं, जो विभिन्न अनुपातों में होते हैं। हालांकि कुछ चट्टानें, जैसे चूना पत्थर आदि पूरी तरह से एक ही खनिज से बनी होती हैं। खनिज अक्सर आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों की दरारों, भ्रंशों और जोड़ों में पाए जाते हैं।

धातुओं को उनके अयस्कों से अलग किया जाता है और इस प्रक्रिया को धातु विज्ञान के रूप में जाना जाता है। इस प्रक्रिया के कई चरण होते हैं।

अयस्क से धातु के निष्कर्षण के चरण

अयस्क से धातु प्राप्त करने में निम्न पदों का प्रयोग किया जाता है।

  • सांद्रण
  • निस्तापन या भर्जन
  • प्रगलन
  • शोधन

खनिज

पृथ्वी खनिज तत्वों से बनी है, ये खनिज यौगिक का निर्माण करते हैं।  एक खनिज एक तत्व या यौगिक से बना होता है। परिभाषा के अनुसार, एक खनिज एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला अकार्बनिक पदार्थ है जिसकी एक निश्चित रासायनिक संरचना होती है। पृथ्वी की भूपर्पटी धातुओं का मुख स्रोत हैं यहां से ही धातु प्राप्त होती है। समुद्री जल में भी सोडियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड आदि जैसे कुछ विलेय लवण उपस्थित होते हैं इन प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्वों को खनिज कहते हैं। खनिज और अयस्क दो अलग अलग पदार्थ हैं। वे खनिज जिनसे किसी धातु का निष्कर्षण आसानी से और सस्ते में हो सके, अयस्क कहलाते हैं। रेत, मिट्टी और चट्टानों के साथ पृथ्वी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले धातु या इसके यौगिक खनिज कहलाते हैं। लेकिन पृथ्वी की चट्टानें आमतौर पर कई खनिजों से बनी होती हैं, जो विभिन्न अनुपातों में होते हैं। हालांकि कुछ चट्टानें, जैसे चूना पत्थर आदि पूरी तरह से एक ही खनिज से बनी होती हैं। खनिज अक्सर आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों की दरारों, भ्रंशों और जोड़ों में पाए जाते हैं।

भारत में पाए जाने वाले खनिज

भारत में पाए जाने वाले खनिज निम्न लिखित हैं जो बहुत बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं।

जैसे टाइटेनियम, मैग्नेसाइट, केनाइट, सिलिमेनाइट, मैंगनीज, क्रोमाइट, परमाणु-खनिज अभ्रक और बॉक्साइट।

खनिज का नामकरण

सामान्यतः खनिज शब्द का अर्थ है- खनि + ज अर्थात् खान से उत्पन्न (संस्कृत: खनि= खान)। इसका अंग्रेज़ी शब्द मिनरल (mineral) भी है जोकि माइन(mine) से सम्बंधित है। खनिज एक अशुद्ध पदार्थ है इससे धातु का निष्कर्षण आसान नहीं है।

अभ्यास प्रश्न

  1. खनिज एवं अयस्क में क्या अंतर है ?
  2. कोई दो अयस्कों के नाम बताइये।
  3. खनिज से अयस्क के निष्कर्षण में कितने चरण होते हैं ?
  4. गैंग से क्या तात्पर्य है?
  5. प्रगलन क्या है?
  6. प्रगलन किस भट्टी में कराया जाता है?