द्विध्रुव प्रेरित द्विध्रुव बल: Difference between revisions
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इन अंतरआण्विक बलों की शक्ति का क्रम नीचे दिया गया है।<blockquote><big>'''लंदन का प्रकीर्णन बल < द्विध्रुव-द्विध्रुव < H-बंध < आयन-आयन'''</big></blockquote> | इन अंतरआण्विक बलों की शक्ति का क्रम नीचे दिया गया है।<blockquote><big>'''लंदन का प्रकीर्णन बल < द्विध्रुव-द्विध्रुव < H-बंध < आयन-आयन'''</big></blockquote> | ||
==द्विध्रुव- द्विध्रुव आकर्षण बल== | ==द्विध्रुव प्रेरित द्विध्रुव बल== | ||
इस प्रकार के आकर्षण बल, स्थाई द्विध्रुव रखने वाले ध्रुवीय अणुओं तथा स्थाई द्विध्रुव नहीं रखने वाले अणुओं के मध्य होता है। स्थाई द्विध्रुव रखने वाला अणु वैधुत उदासीन अणु के इलेक्ट्रॉनिक अभ्र को विकृत करके द्विध्रुव प्रेरित कर देता है। इस प्रकार अन्य अणुओं में प्रेरित द्विध्रुव उत्पन्न हो जाता है। इस स्थित में भी आकर्षण बल 1 / r<sup>6</sup> के समानुपाती होता है, | |||
द्विध्रुव- द्विध्रुव आकर्षण बल <math>\propto</math> <math>\frac{1}{r6}</math> | |||
जहां r दो अणुओं के मध्य की दूरी है। | |||
प्रेरित द्विध्रुव आघूर्ण, स्थाई द्विध्रुव के द्विध्रुव आघूर्ण तथा विधुत उदासीन अणु में ध्रुवता पर निर्भर करता है। | |||
== द्विध्रुव- द्विध्रुव आकर्षण बल == | |||
ध्रुवीय अणुओं में स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण होता है। जब दो द्विध्रुव के मध्य पारस्परिक क्रिया होती है तो द्विध्रुव - द्विध्रुव बल उत्पन्न होते हैं। ध्रुवीय अणुओं में स्थाई द्विध्रुव आघूर्ण पाया जाता है स्थाई द्विध्रुव वाले अणुओं के मध्य द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल कार्य करते हैं। अर्थात द्विध्रुव - द्विध्रुव के मध्य क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न आकर्षण बल को द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल कहते हैं। द्रव अवस्था में ध्रुवीय अणुओं के मध्य द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल कार्य करते हैं। द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल परिक्षेपण बल की तुलना में अधिक प्रबल होते हैं चूंकि अणुओं के द्विध्रुव आघूर्ण के बढ़ने पर उनके मध्य द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल बढ़ जाता है। | ध्रुवीय अणुओं में स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण होता है। जब दो द्विध्रुव के मध्य पारस्परिक क्रिया होती है तो द्विध्रुव - द्विध्रुव बल उत्पन्न होते हैं। ध्रुवीय अणुओं में स्थाई द्विध्रुव आघूर्ण पाया जाता है स्थाई द्विध्रुव वाले अणुओं के मध्य द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल कार्य करते हैं। अर्थात द्विध्रुव - द्विध्रुव के मध्य क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न आकर्षण बल को द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल कहते हैं। द्रव अवस्था में ध्रुवीय अणुओं के मध्य द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल कार्य करते हैं। द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल परिक्षेपण बल की तुलना में अधिक प्रबल होते हैं चूंकि अणुओं के द्विध्रुव आघूर्ण के बढ़ने पर उनके मध्य द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल बढ़ जाता है। | ||
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==अभ्यास प्रश्न== | ==अभ्यास प्रश्न== | ||
*द्विध्रुव- द्विध्रुव आकर्षण बल किस प्रकार का बल है ? | *द्विध्रुव- द्विध्रुव आकर्षण बल किस प्रकार का बल है ? | ||
*द्विध्रुव प्रेरित द्विध्रुव बल किस प्रकार का बल है ? | |||
*प्रकीर्णन बल अथवा लंडन बल द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल से किस प्रकार भिन्न है ? | *प्रकीर्णन बल अथवा लंडन बल द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल से किस प्रकार भिन्न है ? |
Revision as of 13:26, 13 February 2024
परमाणु आपस में मिलकर अणु बनाते हैं। एक अणु में परमाणु रासायनिक बंधों से बंधे होते हैं। रासायनिक बंध परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से बनते हैं। परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों के बंटवारे के आधार पर, रासायनिक बंधों को विभिन्न प्रकारों जैसे आयनिक, सहसंयोजक, धात्विक और समन्वय बंधों में वर्गीकृत किया जा सकता है। तात्कालिक द्विध्रुव-प्रेरित द्विध्रुवीय आकर्षणों को जर्मन भौतिक विज्ञानी फ्रिट्ज़ लंदन (1900-1954) के बाद लंदन प्रकीर्णन बल कहा जाता है, जिन्होंने अध्रुवीय अणुओं के बीच उपस्थित अंतर-आणविक आकर्षण बल को समझाने के लिए इस मॉडल को विकसित किया था। लंदन का फैलाव बल सभी अणुओं के बीच होता है। ये बहुत कमजोर आकर्षण अणुओं के भीतर परमाणुओं पर इलेक्ट्रॉनों की यादृच्छिक गति के कारण होते हैं।
सहसंयोजक बंध, आयनिक बंध और समन्वय बंध अंतर-आणविक आकर्षण बल हैं जो एक अणु में बनते हैं। अणुओं के बीच लगने वाले आकर्षण बल जो उन्हें एक साथ बांधे रखते हैं, अंतराआण्विक आकर्षण बल कहलाते हैं। ये बल अंतरआण्विक बलों की तुलना में बहुत कमज़ोर होते हैं। इन बलों के कारण कोई भी यौगिक ठोस, द्रव या गैस हो सकता है।
इन अंतरआण्विक बलों की शक्ति का क्रम नीचे दिया गया है।
लंदन का प्रकीर्णन बल < द्विध्रुव-द्विध्रुव < H-बंध < आयन-आयन
द्विध्रुव प्रेरित द्विध्रुव बल
इस प्रकार के आकर्षण बल, स्थाई द्विध्रुव रखने वाले ध्रुवीय अणुओं तथा स्थाई द्विध्रुव नहीं रखने वाले अणुओं के मध्य होता है। स्थाई द्विध्रुव रखने वाला अणु वैधुत उदासीन अणु के इलेक्ट्रॉनिक अभ्र को विकृत करके द्विध्रुव प्रेरित कर देता है। इस प्रकार अन्य अणुओं में प्रेरित द्विध्रुव उत्पन्न हो जाता है। इस स्थित में भी आकर्षण बल 1 / r6 के समानुपाती होता है,
द्विध्रुव- द्विध्रुव आकर्षण बल
जहां r दो अणुओं के मध्य की दूरी है।
प्रेरित द्विध्रुव आघूर्ण, स्थाई द्विध्रुव के द्विध्रुव आघूर्ण तथा विधुत उदासीन अणु में ध्रुवता पर निर्भर करता है।
द्विध्रुव- द्विध्रुव आकर्षण बल
ध्रुवीय अणुओं में स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण होता है। जब दो द्विध्रुव के मध्य पारस्परिक क्रिया होती है तो द्विध्रुव - द्विध्रुव बल उत्पन्न होते हैं। ध्रुवीय अणुओं में स्थाई द्विध्रुव आघूर्ण पाया जाता है स्थाई द्विध्रुव वाले अणुओं के मध्य द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल कार्य करते हैं। अर्थात द्विध्रुव - द्विध्रुव के मध्य क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न आकर्षण बल को द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल कहते हैं। द्रव अवस्था में ध्रुवीय अणुओं के मध्य द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल कार्य करते हैं। द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल परिक्षेपण बल की तुलना में अधिक प्रबल होते हैं चूंकि अणुओं के द्विध्रुव आघूर्ण के बढ़ने पर उनके मध्य द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल बढ़ जाता है।
उदाहरण - HCl, H2S, NCl3, SO2 आदि के मध्य द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल होते हैं। एक द्विध्रुव के धनावेशित सिरे और दुसरे द्विध्रुव के ऋणावेशित सिरे के मध्य आकर्षण बल कार्य करता है। यह बल अधिक प्रबल होता है। अणुओं के द्विध्रुव आघूर्ण बढ़ने से उनके मध्य द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल बढ़ता है। द्विध्रुव - द्विध्रुव बल और परिक्षेपण बल को सामूहिक रूप से वांडरवाल्स बल कहते हैं।
अभ्यास प्रश्न
- द्विध्रुव- द्विध्रुव आकर्षण बल किस प्रकार का बल है ?
- द्विध्रुव प्रेरित द्विध्रुव बल किस प्रकार का बल है ?
- प्रकीर्णन बल अथवा लंडन बल द्विध्रुव - द्विध्रुव आकर्षण बल से किस प्रकार भिन्न है ?