सांद्रता पर दर की निर्भरता: Difference between revisions
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दर को सामान्यतः किसी मात्रा में परिवर्तन उस परिवर्तन को उत्पन्न करने के लिए आवश्यक समय के अनुपात के रूप में व्यक्त किया जाता है। | |||
<math>Rate = \frac{change in some quantity}{time taken for the change}</math> | |||
<math>rate = \frac{\Delta X}{\Delta t}</math> | |||
किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में एक पदार्थ दुसरे पदार्थ में कुछ परिस्थितियों और दिए गए समय में परिवर्तित होता है, उसे अभिक्रिया के वेग कहते हैं कोई भी अभिक्रिया कितनी जल्दी या धीरे घटित हो रही है और पूरी तरह घटित होने में कितना समय लेती है इस बात की गणना अभिक्रिया के वेग द्वारा की जाती है जिसे निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है। | |||
'''"इकाई समय में अभिकारक या उत्पाद की सांद्रता में हुए परिवर्तन को रासायनिक अभिक्रिया का वेग कहते है।"''' | |||
==अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले कारक== | |||
===अभिकारक अणुओं की सांद्रता का प्रभाव=== | |||
एक निश्चित ताप पर अभिकारकों की सांद्रता बढ़ाने से अभिक्रिया की गति बढ़ जाती है। क्योंकि जैसे-जैसे अभिकारक अणुओं की सांद्रता बढ़ती है, अणुओं के बीच टकराव की कुल संख्या बढ़ती है। | |||
===ताप का प्रभाव=== | |||
अभिक्रिया का ताप बढ़ाने से अभिक्रिया का वेग बढ़ता है, क्योकि ताप वृध्दि से प्रभावी टक्करों की संख्या बढ़ जाती है। | |||
===उत्प्रेरक का प्रभाव=== | |||
उत्प्रेरक अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा (E<sub>a</sub>) का मान कर देता है जिससे सक्रिय अणुओं की संख्या बढ़ जाती है, अतः उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है। | |||
===अभिकारकों का पृष्ठ क्षेत्रफल=== | |||
अभिकारक अणुओं का पृष्ठ क्षेत्रफल अधिक होने पर अभिक्रिया का वेग अधिक होता है। | |||
===प्रकाश का प्रभाव=== | |||
जिनमे प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण कर देहली ऊर्जा तल को प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है, उनका वेग प्रकाश की उपस्थिती मे बढ़ जाता है। | |||
==अभ्यास प्रश्न== | |||
*अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले कारक बताइये। | |||
*अभिक्रिया के वेग पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है ? | |||
*अभिक्रिया के वेग पर उत्प्रेरक का क्या प्रभाव पड़ता है ? |
Revision as of 12:27, 5 March 2024
दर को सामान्यतः किसी मात्रा में परिवर्तन उस परिवर्तन को उत्पन्न करने के लिए आवश्यक समय के अनुपात के रूप में व्यक्त किया जाता है।
किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में एक पदार्थ दुसरे पदार्थ में कुछ परिस्थितियों और दिए गए समय में परिवर्तित होता है, उसे अभिक्रिया के वेग कहते हैं कोई भी अभिक्रिया कितनी जल्दी या धीरे घटित हो रही है और पूरी तरह घटित होने में कितना समय लेती है इस बात की गणना अभिक्रिया के वेग द्वारा की जाती है जिसे निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है।
"इकाई समय में अभिकारक या उत्पाद की सांद्रता में हुए परिवर्तन को रासायनिक अभिक्रिया का वेग कहते है।"
अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले कारक
अभिकारक अणुओं की सांद्रता का प्रभाव
एक निश्चित ताप पर अभिकारकों की सांद्रता बढ़ाने से अभिक्रिया की गति बढ़ जाती है। क्योंकि जैसे-जैसे अभिकारक अणुओं की सांद्रता बढ़ती है, अणुओं के बीच टकराव की कुल संख्या बढ़ती है।
ताप का प्रभाव
अभिक्रिया का ताप बढ़ाने से अभिक्रिया का वेग बढ़ता है, क्योकि ताप वृध्दि से प्रभावी टक्करों की संख्या बढ़ जाती है।
उत्प्रेरक का प्रभाव
उत्प्रेरक अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा (Ea) का मान कर देता है जिससे सक्रिय अणुओं की संख्या बढ़ जाती है, अतः उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है।
अभिकारकों का पृष्ठ क्षेत्रफल
अभिकारक अणुओं का पृष्ठ क्षेत्रफल अधिक होने पर अभिक्रिया का वेग अधिक होता है।
प्रकाश का प्रभाव
जिनमे प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण कर देहली ऊर्जा तल को प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है, उनका वेग प्रकाश की उपस्थिती मे बढ़ जाता है।
अभ्यास प्रश्न
- अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले कारक बताइये।
- अभिक्रिया के वेग पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है ?
- अभिक्रिया के वेग पर उत्प्रेरक का क्या प्रभाव पड़ता है ?