आकुंचन: Difference between revisions
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===== संपीड़न बल में बढ़ोतरी ===== | ===== संपीड़न बल में बढ़ोतरी ===== | ||
संपीड़न बल की बढ़ोतरी की अवधि में , एक समय ऐसा आता है, जब स्तंभ पर आरोपित बल ,उसकी संरचना की भार झेलने की क्षमता से अधिक हो जाता है। इस भार का मूल्य महत्वपूर्ण है,क्योंकि इसस भार पर स्तंभ अस्थिरता का अनुभव करता है । ऐसी स्थिती में वह न केवल झुकने लगता है बल्कि अचानक पार्श्व भाग की ओर झुकने लगता है। | |||
यह अचानक झुकने वाला व्यवहार संपीड़न बल और | ===== तनाव के दो मुख्य प्रकार ===== | ||
यह (अचानक झुकने वाला) व्यवहार संपीड़न बल और पदार्थ की कठोरता के बीच परस्पर क्रिया के कारण होता है। इसस प्रकार ,जब एक विरल व क्षीण (पतली) संरचना को संपीड़ित किया जाता है, तो यह दो मुख्य प्रकार के तनाव का अनुभव करता है: संपीड़न तनाव (धकेलने वाला बल) और झुकने वाला तनाव (बग़ल में बल)। संपीड़न तनाव संरचना को छोटा बनाता है, जबकि झुकने वाला तनाव इसे मोड़ने या झुकने का प्रयास करता है। | |||
जिस महत्वपूर्ण भार पर आकुंचन होती है वह कई कारकों पर निर्भर करता है। संरचना की लंबाई और क्रॉस-अनुभागीय गुण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। छोटे स्तंभों की तुलना में लंबे स्तंभों में झुकाव की संभावना अधिक होती है क्योंकि उनमें बग़ल में विक्षेपित होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। इसके अतिरिक्त, स्तंभ का आकार और भौतिक गुण भी इसके झुकने के व्यवहार को प्रभावित करते हैं। | जिस महत्वपूर्ण भार पर आकुंचन होती है वह कई कारकों पर निर्भर करता है। संरचना की लंबाई और क्रॉस-अनुभागीय गुण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। छोटे स्तंभों की तुलना में लंबे स्तंभों में झुकाव की संभावना अधिक होती है क्योंकि उनमें बग़ल में विक्षेपित होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। इसके अतिरिक्त, स्तंभ का आकार और भौतिक गुण भी इसके झुकने के व्यवहार को प्रभावित करते हैं। |
Revision as of 12:43, 1 April 2024
Buckling
भौतिकी में ,आकुंचन (बकलिंग) एक ऐसी घटना है जो तब होती है जब एक पतली संरचना, जैसे कि स्तंभ या बीम, संपीड़न भार के अधीन अपना आकार खो देता है,इस प्रकार, ऐसे स्तंभ (बीम या दंड) स्वयं की निर्धारित व अभिकल्पित क्रिया कलाप करने में समर्थ नहीं रहते व विफल माने जाते हैं । ऐसा तब होता है,जब इन स्तंभों अथवा इन स्थभों से निर्मित अधोरचना पर आरोपित बल, एक महत्वपूर्ण मान (जिसकी अधोरचना पूर्व गणना मान्य है ) से अधिक हो जाता है । ऐसा होने पर,इन स्तंभों अथवा इन स्थभों से निर्मित संरचना, तन्य रूप से विकृत ,न होकर अचानक झुक जाती है या झुकने लगती है। इसे स्तंभों अथवा इन स्थभों से निर्मित संरचना, की विफलता माना जाता है ।
समझने के लिए:एक सरल उदाहरण
एक वृहद ,पतला ,स्तंभ अपनी लंबवत अवस्था में ,शीर्ष पर एक भार का समर्थन करता है। एक संपीड़न बल लगने के अवस्था में यह स्तंभ,लघु रूप धारणा करने की चेष्टा के अधीन हो जाता है व इसकी संरणचना विकृत होने का प्रयास करने लगता है। प्रारंभ में, स्तंभ प्रत्यास्थ रूप से विकृत हो जाएगा, जिसका अर्थ है कि यह भार के अधीन लघु मात्र में आकुंचित हो ने लगेगा (झुक जाएगा) परंतु बल के हट जाने, पर यह अपने मूल आकार में वापस आ जाएगा।
संपीड़न बल में बढ़ोतरी
संपीड़न बल की बढ़ोतरी की अवधि में , एक समय ऐसा आता है, जब स्तंभ पर आरोपित बल ,उसकी संरचना की भार झेलने की क्षमता से अधिक हो जाता है। इस भार का मूल्य महत्वपूर्ण है,क्योंकि इसस भार पर स्तंभ अस्थिरता का अनुभव करता है । ऐसी स्थिती में वह न केवल झुकने लगता है बल्कि अचानक पार्श्व भाग की ओर झुकने लगता है।
तनाव के दो मुख्य प्रकार
यह (अचानक झुकने वाला) व्यवहार संपीड़न बल और पदार्थ की कठोरता के बीच परस्पर क्रिया के कारण होता है। इसस प्रकार ,जब एक विरल व क्षीण (पतली) संरचना को संपीड़ित किया जाता है, तो यह दो मुख्य प्रकार के तनाव का अनुभव करता है: संपीड़न तनाव (धकेलने वाला बल) और झुकने वाला तनाव (बग़ल में बल)। संपीड़न तनाव संरचना को छोटा बनाता है, जबकि झुकने वाला तनाव इसे मोड़ने या झुकने का प्रयास करता है।
जिस महत्वपूर्ण भार पर आकुंचन होती है वह कई कारकों पर निर्भर करता है। संरचना की लंबाई और क्रॉस-अनुभागीय गुण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। छोटे स्तंभों की तुलना में लंबे स्तंभों में झुकाव की संभावना अधिक होती है क्योंकि उनमें बग़ल में विक्षेपित होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। इसके अतिरिक्त, स्तंभ का आकार और भौतिक गुण भी इसके झुकने के व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
गणितीय रूप से
यूलर के आकुंचन सूत्र का उपयोग करके आकुंचन का विश्लेषण किया जा सकता है, जो एक आदर्श, पूरी तरह से सीधे कॉलम के लिए महत्वपूर्ण भार का अनुमान देता है। सूत्र महत्वपूर्ण भार को स्तंभ की लंबाई, भौतिक गुणों और जड़ता के क्षण (स्तंभ के झुकने के प्रतिरोध का एक माप) से संबंधित करता है।