प्रत्यास्था: Difference between revisions

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ठोस पदार्थों में विभिन्न प्रत्यास्थ व्यवहार को जन्म देती है।
ठोस पदार्थों में विभिन्न प्रत्यास्थ व्यवहार को जन्म देती है।


दरारें युक्त आइसोट्रोपिक सामग्रियों के लिए, फ्रैक्चर की उपस्थिति यंग और दरारों के विमानों के लंबवत कतरनी मॉड्यूल को प्रभावित करती है, जो फ्रैक्चर घनत्व बढ़ने के साथ कम हो जाती है (कतरनी मापांक की तुलना में यंग का मापांक तेजी से), [10] यह दर्शाता है कि की उपस्थिति दरारें शरीर को भंगुर बनाती हैं।
ऐसी समदैशिक सामग्रियों,जिनमें चटकाव (दरारें) हों, फ्रैक्चर की उपस्थिति में,विभंजन कारकों के कारण,यंग व चटकाव -युक्त समतलों में लंबवत कर्तनी मापांक में आए बदलाव से प्रभावित हो जाती हैं । तब इन सामग्रियों में  फ्रैक्चर घनत्व बढ़ने के साथ-साथ यंग व लंबवत कर्तनी मापांक  कम हो जाती है ।  कतरनी मापांक की अपेक्षा यंग मापांक का अधिक तीव्रता से प्रभावित होना ,इस प्रकार की सामग्रियों के व्यवहार, में आये परिवर्तन, के बारे यह भी दर्शाता है की समदैशिक होने पर भी इन पदार्थों से बनी वस्तुओं में उपस्थित ,चटकाव (दरारें) उनके वस्तुनिष्ठ शरीर को भंगुर बनाती हैं।
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Revision as of 12:03, 15 April 2024

Elasticity

प्रत्यास्था,पदार्थों (अथवा पदार्थों से बनी सामग्री) की उस संपत्ति ,जिसके विश्लेषण से पदार्थों (अथवा पदार्थों से बनी वस्तुओं) बह्य बल (अथवा बलों) के आरोपण के आधीन होने पर (उनके) आकार व आकृति के विकृत होने की प्रवृति व क्षमता का वर्णन मिलता है ।ऐसी सामग्रीयों में आरोपित बल के विलोप होने पर उनके ,अपने मूल आकार व आकृति का पुनर्स्थापन भी इस संपत्ति का मूल गुण है।

भौतिकी में, प्रत्यास्था का अध्ययन,प्रायः ठोस पदार्थों, जैसे धातु, रबर, या स्प्रिंग्स के संदर्भ में किया जाता है।

आरोपित बल एवं विरूपण के प्रकार

जब किसी पदार्थ पर बह्य बल लगाया जाता है, तो उस पदार्थ में विकृति आ जाती है। इस प्रकार का विरूपण या तो प्रत्यास्थ या प्लास्टिक हो सकता है, जो सामग्री और आरोपित बल के परिमाण पर निर्भर करता है। प्रत्यास्थ विरूपण , किसी वस्तु (पदार्थों से बनी सामग्री), पर आरोपित बल का प्रतिकार करने एवं उस बल के विलोप के पश्चयात,उसके मूल आकार व आकृति में पुनर्स्थापित होने के घटनाक्रम का संक्षेप विवरण है । इसके विपरीत, प्लास्टिक विरूपण,किसी सामग्री पर आरोपित बल के आकार (या आकृति ) में स्थायी परिवर्तन का विश्लेषण है ।

यंग का मापांक

बह्य शक्तियों के प्रभाव में आकर सामग्री का व्यवहार उसमे उपजे तनाव और खिंचाव के आधीन स्थिती द्वारा वर्णित होता है। तनाव () एक सामग्री पर आरोपित बल की उस सामग्री के प्रति इकाई क्षेत्र पर निर्भर करता है, जबकि खिंचाव () प्रारंभिक आयामों के सापेक्ष सामग्री के आकार या आकार में परिणामी परिवर्तन है।

प्रत्यास्था को प्रत्यास्थादार मापांक द्वारा निर्धारित किया जाता है, जिसे यंग के मापांक () के रूप में भी जाना जाता है। यंग का मापांक इस बात का माप है कि तनाव के तहत सामग्री कितनी विकृत होती है। यह तनाव से खिंचाव के अनुपात का प्रतिनिधित्व करता है और इसे इस प्रकार परिभाषित किया गया है:

एक उच्च प्रत्यास्था उपागम (मॉड्यूलस) वाली सामग्री को अत्यधिक प्रत्यास्थ माना जाता है क्योंकि इसे किसी दिए गए तनाव का उत्पादन करने के लिए बड़े तनाव की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, कम प्रत्यास्थ वाली सामग्री कम प्रत्यास्थादार होती है और उसी तनाव के तहत अधिक आसानी से विकृत हो जाएगी।

हुक के नियम

अधिकांशतः ,लघु सामग्री जैसे स्प्रिंग्स के लीये ,विकृतियों का स्वरूप रैखिक (तन्यता) द्वारा प्रदर्शित कीया जा सकता है । यदि ऐसी सामग्रीयों में तनाव और खिंचाव के मध्य संबंध का निरूपण गणितीय फलन द्वारा कीया जाएगा , तो इसकी अरेखीय वर्णन , रैखिक ही रहेगा इस संबंध को हुक के नियम के रूप में जाना जाता है।

व्यावहारिक अनुप्रयोग

इंजीनियरिंग और निर्माण में

प्रत्यास्था की अवधारणा के विभिन्न क्षेत्रों में व्यावहारिक अनुप्रयोग हैं। उदाहरण के लिए, इंजीनियरिंग और निर्माण में, संरचनाओं को डिजाइन करने के लिए सामग्रियों की प्रत्यास्था को समझना आवश्यक है जो बिना स्थायी विरूपण के बाहरी भार का सामना कर सकते हैं। पदार्थ विज्ञान में, प्रत्यास्था का अध्ययन विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए विशिष्ट गुणों वाली नई सामग्रियों को विकसित करने में सुविधा करती है।

अर्थशास्त्र के क्षेत्र में

प्रत्यास्था का उपयोग, वस्तु(ओं) (अथवा वस्तु निष्ट सेवाएं ) की मांग एवं आपूर्ति के परिवर्तनों का विश्लेषण करने में होता है ।

प्रत्यास्था को प्रभावित करने वाले कारक

किसी दिए गए समदैशिक (आइसोट्रोपिक) ठोस पदार्थ,वस्तु अथवा सामग्री में, यंग मापांक से संदर्भित,समष्टि (थोक) सामग्री की, ज्ञात सैद्धांतिक प्रत्यास्था के साथ, प्रभावी तन्यता,सरंध्रता द्वारा नियंत्रित होती है । प्रायः यह पाया जाता है की अधिक छिद्रपूर्ण सामग्री कम कठोरता प्रदर्शित करती है ।

प्रत्यास्थ व्यवहार में विभिन्नता

पदार्थों से बनी वस्तुओं और उनके व्यवहार में ,विशेष रूप से,प्रत्यास्थ व्यवहार में में भिन्नता के कुछ कारक यहाँ दीये हुए हैं :

  1. वस्तुओं के निर्माण की अवस्था में , उनके आयतन में,अनुपातिक रूप से अधिक छिद्रों का अंश पाया जाना
  2. वस्तुओं के विभिन्न आकारों में छिद्रों व उनके अंशों वितरण
  3. जिस तरल पदार्थ से इस प्रकार के छिद्र भरे हुए हों ,उस तरल पदार्थ की ठोस प्रकृति

ठोस पदार्थों में विभिन्न प्रत्यास्थ व्यवहार को जन्म देती है।

ऐसी समदैशिक सामग्रियों,जिनमें चटकाव (दरारें) हों, फ्रैक्चर की उपस्थिति में,विभंजन कारकों के कारण,यंग व चटकाव -युक्त समतलों में लंबवत कर्तनी मापांक में आए बदलाव से प्रभावित हो जाती हैं । तब इन सामग्रियों में फ्रैक्चर घनत्व बढ़ने के साथ-साथ यंग व लंबवत कर्तनी मापांक कम हो जाती है । कतरनी मापांक की अपेक्षा यंग मापांक का अधिक तीव्रता से प्रभावित होना ,इस प्रकार की सामग्रियों के व्यवहार, में आये परिवर्तन, के बारे यह भी दर्शाता है की समदैशिक होने पर भी इन पदार्थों से बनी वस्तुओं में उपस्थित ,चटकाव (दरारें) उनके वस्तुनिष्ठ शरीर को भंगुर बनाती हैं।