प्रत्यास्थलक: Difference between revisions
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उनका प्राथमिक उपयोग सील, चिपकने वाले और ढले हुए लचीले भागों के लिए होता है। इन सामग्रियों में बहुलक श्रृंखलाएं,निर्बल अंतर-आण्विक बंधनों द्वारा एक साथ जुड़ी होती हैं, जो मैक्रोस्कोपिक तनाव के अधीन होकर बहुलक को फैलने की अनुमति देती हैं। | उनका प्राथमिक उपयोग सील, चिपकने वाले और ढले हुए लचीले भागों के लिए होता है। इन सामग्रियों में बहुलक श्रृंखलाएं,निर्बल अंतर-आण्विक बंधनों द्वारा एक साथ जुड़ी होती हैं, जो मैक्रोस्कोपिक तनाव के अधीन होकर बहुलक को फैलने की अनुमति देती हैं। | ||
== समनुरूपता व अनुप्रस्थ बंधता == | |||
प्रत्यास्थलकों में तन्यता आरोपित तनाव को वितरित करने के लिए "स्वयं" को समनुरूप बनाने की, लंबी श्रृंखलाओं की क्षमता से प्राप्त होती है। सहसंयोजक अनुप्रस्थ बंधता (आंग्ल भाषा में क्रॉस-लिंकेज) यह सुनिश्चित करते हैं कि तनाव हटा दिए जाने पर प्रत्यास्थलक अपने मूल विन्यास में वापस आ जाएगा। | प्रत्यास्थलकों में तन्यता आरोपित तनाव को वितरित करने के लिए "स्वयं" को समनुरूप बनाने की, लंबी श्रृंखलाओं की क्षमता से प्राप्त होती है। सहसंयोजक अनुप्रस्थ बंधता (आंग्ल भाषा में क्रॉस-लिंकेज) यह सुनिश्चित करते हैं कि तनाव हटा दिए जाने पर प्रत्यास्थलक अपने मूल विन्यास में वापस आ जाएगा। | ||
अनुप्रस्थ बंधन की सबसे अधिक संभावना, बिना किसी विलायक, के एक संतुलित बहुलक में विद्यमान होती हैं । रबर तन्यता (के नियोहुकियन मॉडल) से प्राप्त मुक्त ऊर्जा की, प्रति इकाई मात्रा में, अभिव्यक्ति ,विरूपण के कारण मुक्त ऊर्जा परिवर्तन से संदर्भित है। | |||
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Latest revision as of 12:02, 18 April 2024
Elastomers
ऐसी सामग्री,जो अणुओं की लंबी शृंखलाबद्ध कड़ी (जिसे सामान्य रूप से आंग्ल भाषा में "पॉलिमर" के नामकरण से जाना जाता है ) से बनी हुए हो और जो लघुतम रूप में भी रबर जैसा भास दे व जो अत्याधिक खिंचाव के उपरांत भी अपने मूल आकार को पुनः प्राप्त करने में सक्षम रहे, प्रत्यास्थलक पदार्थों की श्रेणी के पदार्थों में आती है ।
गुण
प्रायः इस श्रेणी के पदार्थों में जिनमें श्यानता (आंग्ल भाषा में विस्कासिटी) के साथ-साथ प्रत्यास्थता भी पायी जाती है। इसके अतिरिक्त इनमें अत्यधिक अल्प मात्रा का अन्तरा-अणुक बल पाया जाता है एवम, इनका यंग प्रत्यास्थता गुणांक बहुत कम होता है तथा ये बहुत अधिक विकृति के बाद ही टूटते हैं। 'प्रत्यास्थलक' और 'रबर' इन दो शब्दों को प्रायः एक ही अर्थ में प्रयोग किया जाता है किन्तु वल्कनीकरण के सन्दर्भ में रबर का प्रयोग अधिक होता है।
ध्यान देने योग्य
प्रत्येक एकलक (आंग्ल भाषा में मोनोमर्स) जो पॉलिमर बनाने के लिए जुड़ते हैं, कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और सिलिकॉन के बीच कई तत्वों का एक यौगिक होता है।
एकलक,अनाकार बहुलक (पॉलिमर) हैं जिन्हें उनके ग्लास संक्रमण तापमान से ऊपर बनाए रखा जाता है, ताकि सहसंयोजक बंधनों को तोड़े बिना काफी आणविक पुनर्रचना संभव हो सके। परिवेश के तापमान पर, ऐसे रबर अपेक्षाकृत अनुकूल (E ≈ 3 MPa) और विकृत होते हैं।
उपयोग
उनका प्राथमिक उपयोग सील, चिपकने वाले और ढले हुए लचीले भागों के लिए होता है। इन सामग्रियों में बहुलक श्रृंखलाएं,निर्बल अंतर-आण्विक बंधनों द्वारा एक साथ जुड़ी होती हैं, जो मैक्रोस्कोपिक तनाव के अधीन होकर बहुलक को फैलने की अनुमति देती हैं।
समनुरूपता व अनुप्रस्थ बंधता
प्रत्यास्थलकों में तन्यता आरोपित तनाव को वितरित करने के लिए "स्वयं" को समनुरूप बनाने की, लंबी श्रृंखलाओं की क्षमता से प्राप्त होती है। सहसंयोजक अनुप्रस्थ बंधता (आंग्ल भाषा में क्रॉस-लिंकेज) यह सुनिश्चित करते हैं कि तनाव हटा दिए जाने पर प्रत्यास्थलक अपने मूल विन्यास में वापस आ जाएगा।
अनुप्रस्थ बंधन की सबसे अधिक संभावना, बिना किसी विलायक, के एक संतुलित बहुलक में विद्यमान होती हैं । रबर तन्यता (के नियोहुकियन मॉडल) से प्राप्त मुक्त ऊर्जा की, प्रति इकाई मात्रा में, अभिव्यक्ति ,विरूपण के कारण मुक्त ऊर्जा परिवर्तन से संदर्भित है।