अम्ल: Difference between revisions
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कोई भी पदार्थ जो जल के घोल में खट्टा होता है अम्ल कहलाता है। अम्ल कुछ सूचकों के रंग को बदल देता है (जैसे, नीले लिटमस पेपर को लाल कर देता है)। अम्ल वे [[पदार्थ]] होते हैं जो जल में घुलने पर H<sup>+</sup> देते हैं, अम्ल कहलाते हैं, तथा वे पदार्थ जो जल में घोलने पर H<sup>+</sup> लेते हैं क्षार कहलाते हैं। अम्ल और [[क्षार]] व्यापक रूप से प्रकृति में पाए जाते हैं। | |||
उदाहरण- जठर रस, जिसमें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल पाया जाता है, हमारे अमाशय द्वारा प्रचुर मात्रा में स्रावित होता है। यह पाचन क्रिया के लिए भी अतिआवश्यक है। उदाहरण सिरके के लिए मुख्य अवयव एसीटिक अम्ल है। नीबू एवं संतरे के रस में सिट्रिक अम्ल एवं एस्कार्बिक अम्ल है। अधिकतर अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं। | उदाहरण- जठर रस, जिसमें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल पाया जाता है, हमारे अमाशय द्वारा प्रचुर मात्रा में स्रावित होता है। यह [[पाचन]] क्रिया के लिए भी अतिआवश्यक है। उदाहरण सिरके के लिए मुख्य अवयव एसीटिक अम्ल है। नीबू एवं संतरे के रस में सिट्रिक अम्ल एवं एस्कार्बिक अम्ल है। अधिकतर अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं। | ||
अम्ल एवं क्षार एक दूसरे के प्रभाव को समाप्त कर देते हैं। | '''अम्ल एवं क्षार एक दूसरे के प्रभाव को समाप्त कर देते हैं। ये आपस में अभिक्रिया करके लवण बनाता है।''' | ||
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* अम्ल नीले लिटमस पेपर को लाल कर देता है। | * अम्ल नीले लिटमस पेपर को लाल कर देता है। | ||
* अम्ल किसी भी क्षार के साथ अभिक्रिया करके लवण बनाता है। | * अम्ल किसी भी क्षार के साथ अभिक्रिया करके [[लवणों का जल अपघटन एवं इनके विलयन का pH|लवण]] बनाता है। | ||
== अम्ल क्षार अवधारणा == | == अम्ल क्षार अवधारणा == | ||
कुछ वैज्ञानिकों ने अम्ल एवं क्षार के कुछ सिद्धांत प्रस्तुत | कुछ वैज्ञानिकों ने अम्ल एवं क्षार के कुछ सिद्धांत प्रस्तुत किये उनमे से कुछ निम्न लिखित हैं: | ||
* आरेनियस धारणा | * आरेनियस धारणा | ||
* ब्रॉन्सटेड लोरी अम्ल क्षार सिद्धांत | * ब्रॉन्सटेड लोरी अम्ल क्षार सिद्धांत | ||
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== आरेनियस धारणा == | == आरेनियस धारणा == | ||
आरेनियस के सिद्धान्तानुसार अम्ल वे पदार्थ हैं जो जल में घोलने पर | आरेनियस के सिद्धान्तानुसार अम्ल वे पदार्थ हैं जो जल में घोलने पर H<sup>+</sup> देते हैं अम्ल कहलाते हैं। | ||
'''उदाहरण-''' | '''उदाहरण-''' | ||
<chem>HX + H2O -> H3O+ + X-</chem> | |||
== ब्रॉन्सटेड लोरी अम्ल क्षार सिद्धांत == | == ब्रॉन्सटेड लोरी अम्ल क्षार सिद्धांत == | ||
वे पदार्थ जो विलयन में प्रोटॉन (H<sup>+</sup>) देते हैं अम्ल कहलाते हैं अर्थात अम्ल प्रोटॉनदाता हैं। | वे पदार्थ जो विलयन में [[प्रोटॉन]] (H<sup>+</sup>) देते हैं अम्ल कहलाते हैं अर्थात अम्ल प्रोटॉनदाता हैं। प्रोटॉन दाता को अम्ल तथा प्रोटॉन ग्राही को क्षार कहा जाता है। | ||
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==== स्पष्टीकरण ==== | ==== स्पष्टीकरण ==== | ||
यहाँ पर H<sub>2</sub>O, H<sup>+</sup> दाता का कार्य कर रहा है अतः वह अम्ल की तरह कार्य कर रहा है। | यहाँ पर H<sub>2</sub>O, H<sup>+</sup> दाता का कार्य कर रहा है अतः वह अम्ल की तरह कार्य कर रहा है। और NH<sub>4</sub><sup>+</sup> H<sup>+</sup> ग्रहण कर रहा है अतः यह क्षार का कार्य कर रहा है। | ||
== लुईस अम्ल क्षार सिद्धांत == | == लुईस अम्ल क्षार सिद्धांत == | ||
ये पदार्थ जो इलेक्ट्रान युग्म ग्राही का कार्य करतें है अम्ल कहलाते हैं। लुईस अम्ल वे रासायनिक प्रजातियाँ हैं जिनमें खाली कक्षक होते हैं और वे लुईस क्षारों से इलेक्ट्रॉन युग्मों को स्वीकार करने में सक्षम होते हैं। जिसमें त्रिकोणीय प्लानर संरचना और एक खाली p -ऑर्बिटल था। ऐसे लुईस अम्ल का एक उदाहरण BR<sub>3</sub> होगा (जहाँ R एक हैलाइड या एक कार्बनिक पदार्थ हो सकता है)। | ये पदार्थ जो इलेक्ट्रान युग्म ग्राही का कार्य करतें है अम्ल कहलाते हैं। [[लुईस अम्ल]] वे रासायनिक प्रजातियाँ हैं जिनमें खाली कक्षक होते हैं और वे लुईस क्षारों से इलेक्ट्रॉन युग्मों को स्वीकार करने में सक्षम होते हैं। जिसमें त्रिकोणीय प्लानर संरचना और एक खाली p -ऑर्बिटल था। ऐसे लुईस अम्ल का एक उदाहरण BR<sub>3</sub> होगा (जहाँ R एक हैलाइड या एक कार्बनिक पदार्थ हो सकता है)। | ||
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* जल और कुछ अन्य यौगिकों को लुईस अम्ल और क्षार दोनों माना जाता है क्योंकि वे अभिक्रिया के आधार पर इलेक्ट्रॉन जोड़े को स्वीकार और दान कर सकते हैं। | * जल और कुछ अन्य यौगिकों को लुईस अम्ल और क्षार दोनों माना जाता है क्योंकि वे अभिक्रिया के आधार पर इलेक्ट्रॉन जोड़े को स्वीकार और दान कर सकते हैं। | ||
* H<sup>+</sup> आयनों (या प्रोटॉन) को | * H<sup>+</sup> आयनों (या प्रोटॉन) को H<sub>3</sub>O<sup>+</sup> लुईस अम्ल माना जा सकता है। | ||
* d ब्लॉक तत्वों के धनायन जो उच्च ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं, इलेक्ट्रॉन युग्म स्वीकर्ता के रूप में कार्य कर सकते हैं। ऐसे धनायन का एक उदाहरण Fe<sup>3+</sup> है। | * d ब्लॉक तत्वों के धनायन जो उच्च [[ऑक्सीकरण अवस्था]] प्रदर्शित करते हैं, इलेक्ट्रॉन युग्म स्वीकर्ता के रूप में कार्य कर सकते हैं। ऐसे धनायन का एक उदाहरण Fe<sup>3+</sup> है। | ||
Fe<sup>+3</sup> Al<sup>+3</sup> Cu<sup>+2</sup> आदि धनायन युक्त यौगिक अम्ल कहलाते हैं। | Fe<sup>+3</sup> Al<sup>+3</sup> Cu<sup>+2</sup> आदि [[धनायन]] युक्त यौगिक अम्ल कहलाते हैं। | ||
== अभ्यास प्रश्न == | == अभ्यास प्रश्न == | ||
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* निम्न लिखित अभिक्रिया में कौन अम्ल का कार्य कर रहा है और कौन क्षार का कार्य कर रहा है ? | * निम्न लिखित अभिक्रिया में कौन अम्ल का कार्य कर रहा है और कौन क्षार का कार्य कर रहा है ? | ||
<chem>HX + H2O -> H3O+ + X-</chem> | <chem>HX + H2O -> H3O+ + X-</chem>[[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-10]] |
Latest revision as of 13:40, 4 May 2024
कोई भी पदार्थ जो जल के घोल में खट्टा होता है अम्ल कहलाता है। अम्ल कुछ सूचकों के रंग को बदल देता है (जैसे, नीले लिटमस पेपर को लाल कर देता है)। अम्ल वे पदार्थ होते हैं जो जल में घुलने पर H+ देते हैं, अम्ल कहलाते हैं, तथा वे पदार्थ जो जल में घोलने पर H+ लेते हैं क्षार कहलाते हैं। अम्ल और क्षार व्यापक रूप से प्रकृति में पाए जाते हैं।
उदाहरण- जठर रस, जिसमें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल पाया जाता है, हमारे अमाशय द्वारा प्रचुर मात्रा में स्रावित होता है। यह पाचन क्रिया के लिए भी अतिआवश्यक है। उदाहरण सिरके के लिए मुख्य अवयव एसीटिक अम्ल है। नीबू एवं संतरे के रस में सिट्रिक अम्ल एवं एस्कार्बिक अम्ल है। अधिकतर अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं।
अम्ल एवं क्षार एक दूसरे के प्रभाव को समाप्त कर देते हैं। ये आपस में अभिक्रिया करके लवण बनाता है।
रासायनिक प्रकृति
- अम्ल कुछ धातुओं से अभिक्रिया करके डाइहाइड्रोजन उत्पन्न करते हैं।
- अम्ल नीले लिटमस पेपर को लाल कर देता है।
- अम्ल किसी भी क्षार के साथ अभिक्रिया करके लवण बनाता है।
अम्ल क्षार अवधारणा
कुछ वैज्ञानिकों ने अम्ल एवं क्षार के कुछ सिद्धांत प्रस्तुत किये उनमे से कुछ निम्न लिखित हैं:
- आरेनियस धारणा
- ब्रॉन्सटेड लोरी अम्ल क्षार सिद्धांत
- लुईस अम्ल क्षार सिद्धांत
आरेनियस धारणा
आरेनियस के सिद्धान्तानुसार अम्ल वे पदार्थ हैं जो जल में घोलने पर H+ देते हैं अम्ल कहलाते हैं।
उदाहरण-
ब्रॉन्सटेड लोरी अम्ल क्षार सिद्धांत
वे पदार्थ जो विलयन में प्रोटॉन (H+) देते हैं अम्ल कहलाते हैं अर्थात अम्ल प्रोटॉनदाता हैं। प्रोटॉन दाता को अम्ल तथा प्रोटॉन ग्राही को क्षार कहा जाता है।
उदाहरण-
स्पष्टीकरण
यहाँ पर H2O, H+ दाता का कार्य कर रहा है अतः वह अम्ल की तरह कार्य कर रहा है। और NH4+ H+ ग्रहण कर रहा है अतः यह क्षार का कार्य कर रहा है।
लुईस अम्ल क्षार सिद्धांत
ये पदार्थ जो इलेक्ट्रान युग्म ग्राही का कार्य करतें है अम्ल कहलाते हैं। लुईस अम्ल वे रासायनिक प्रजातियाँ हैं जिनमें खाली कक्षक होते हैं और वे लुईस क्षारों से इलेक्ट्रॉन युग्मों को स्वीकार करने में सक्षम होते हैं। जिसमें त्रिकोणीय प्लानर संरचना और एक खाली p -ऑर्बिटल था। ऐसे लुईस अम्ल का एक उदाहरण BR3 होगा (जहाँ R एक हैलाइड या एक कार्बनिक पदार्थ हो सकता है)।
उदाहरण-
- जल और कुछ अन्य यौगिकों को लुईस अम्ल और क्षार दोनों माना जाता है क्योंकि वे अभिक्रिया के आधार पर इलेक्ट्रॉन जोड़े को स्वीकार और दान कर सकते हैं।
- H+ आयनों (या प्रोटॉन) को H3O+ लुईस अम्ल माना जा सकता है।
- d ब्लॉक तत्वों के धनायन जो उच्च ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं, इलेक्ट्रॉन युग्म स्वीकर्ता के रूप में कार्य कर सकते हैं। ऐसे धनायन का एक उदाहरण Fe3+ है।
Fe+3 Al+3 Cu+2 आदि धनायन युक्त यौगिक अम्ल कहलाते हैं।
अभ्यास प्रश्न
- निम्न में से कौन सा लुईस अम्ल है ?
H2O, BF3, H+, H3O+
- निम्न लिखित अभिक्रिया में यदि HX अम्ल का कार्य कर रहा है तो क्यों ? कारण बताइये।
- निम्न लिखित अभिक्रिया में कौन अम्ल का कार्य कर रहा है और कौन क्षार का कार्य कर रहा है ?