जलविरागी: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

No edit summary
 
(12 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1: Line 1:
[[Category:विज्ञान]]
[[Category:कार्बन एवं उसके यौगिक]]
साबुन के दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न होते हैं। इसके विपरीत वह सिरा जो जल में अविलेय होता है तथा हाइड्रोकार्बन में विलेय होता है उसे जलविरागी कहते हैं। जल में विलेय एक सिरे को जलरागी कहते हैं जलरागी का अर्थ है वह भाग जिसे जल से स्नेह हो उसे जलरागी कहते हैं। और यह सिरा जल में विलेय होता है। इसके विपरीत वह सिरा जो जल में अविलेय होता है तथा हाइड्रोकार्बन में विलेय होता है उसे '''जलविरागी''' कहते हैं। जलविरागी भाग आंतरिक हिस्से में होता है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस प्रकार जो संरचना प्राप्त होती है उसे मिसेल कहते हैं।
 
साबुन के [[अणु]] ऐसे होते हैं। जिनके दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न होते हैं। साबुन का वह सिरा जो जल में विलेय होता है उस सिरे को '''जलरागी''' कहते हैं तथा वह सिरा जो जल में अविलेय होता है उसे '''जलविरागी''' कहते हैं। जब जल साबुन की सतह पर होता है तब उसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं की इसका एक सिरा जल के अंदर होता है जबकि [[हाइड्रोकार्बन]] का दूसरा सिरा जल के बाहर होता है। जल के अंदर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है। इसमें अणुओं का एक बड़ा गुच्छा बनता है। जलविरागी भाग आंतरिक हिस्से में होता है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस प्रकार जो संरचना प्राप्त होती है उसे मिसेल कहते हैं।
 
वे [[पदार्थ]] जो कम सांद्रता पर प्रबल वैधुत अपघट्यों के समान व्यवहार करते हैं, लेकिन उच्च सांद्रताओं पर ये कणों का एक पुंज बनाते हैं यह पुंज बनने के कारण ये [[कोलॉइड]] के समान व्यवहार करते हैं। इस प्रकार के पुंजित कण [[मिसेल्स|मिसेल]] कहलाते हैं।
 
=== उदाहरण ===
परिक्षेपण माध्यम जल में साबुन के अणुओं के स्टिएरेट की विभन्न इकाइयां पुंजित कोलॉइडी आकार के कण बनती हैं। जो मिसेल कहलाती हैं। इन्हे सहचारी कोलॉइड भी कहते हैं। जब साबुन को जल में घोलते हैं तो साबुन और जल का सांद्र विलयन बनता है जिसे मिसेल निकाय कहते हैं।
 
मिसेल निर्माण की क्रियाविधि- मिसेल बनने की क्रियाविधि को साबुन के उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है। जल में घुलनशील साबुन उच्च वसा अम्लों के सोडियम या पोटैशियम लवण होते है।
 
उदाहरण सोडियम स्टीऐरेट
 
(C<sub>17</sub>H<sub>35</sub>COONa) जिसका सामान्य सूत्र RCOONa होता है जिसे जल में घोलने पर निम्न अभिक्रिया होती है: और यह अपने आयनों में टूट जाता है:
<chem>RCOONa -> RCOO- + Na+</chem>
[[आयन]] दो भागो से मिलकर बना है, साबुन का वह सिरा जो जल में विलेय होता है उस सिरे को जलरागी कहते हैं तथा वह सिरा जो जल में अविलेय होता है उसे '''जलविरागी''' कहते हैं। जब जल साबुन की सतह पर होता है तब उसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं की इसका एक सिरा जल के अंदर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन का दूसरा सिरा जल के बाहर होता है। जल के अंदर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है जिससे इसका [[हाइड्रोकार्बन]] सिरा जल के बाहर बना होता है। इसमें अणुओं का एक बड़ा गुच्छा बनता है। जलविरागी भाग आंतरिक हिस्से में होता है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस प्रकार जो संरचना प्राप्त होती है उसे मिसेल कहते हैं।
 
== अभ्यास प्रश्न ==
 
* साबुन के दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न क्यों होते हैं?
* जलविरागी से क्या तात्पर्य है ?
 
* मिसेल किसे कहते हैं? यह किस प्रकार बनते हैं।
* मिसेल में किस भाग को जलरागी तथा किस भाग को जलविरागी कहते हैं?[[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-10]][[Category:कार्बनिक रसायन]]

Latest revision as of 10:19, 5 May 2024

साबुन के दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न होते हैं। इसके विपरीत वह सिरा जो जल में अविलेय होता है तथा हाइड्रोकार्बन में विलेय होता है उसे जलविरागी कहते हैं। जल में विलेय एक सिरे को जलरागी कहते हैं जलरागी का अर्थ है वह भाग जिसे जल से स्नेह हो उसे जलरागी कहते हैं। और यह सिरा जल में विलेय होता है। इसके विपरीत वह सिरा जो जल में अविलेय होता है तथा हाइड्रोकार्बन में विलेय होता है उसे जलविरागी कहते हैं। जलविरागी भाग आंतरिक हिस्से में होता है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस प्रकार जो संरचना प्राप्त होती है उसे मिसेल कहते हैं।

साबुन के अणु ऐसे होते हैं। जिनके दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न होते हैं। साबुन का वह सिरा जो जल में विलेय होता है उस सिरे को जलरागी कहते हैं तथा वह सिरा जो जल में अविलेय होता है उसे जलविरागी कहते हैं। जब जल साबुन की सतह पर होता है तब उसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं की इसका एक सिरा जल के अंदर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन का दूसरा सिरा जल के बाहर होता है। जल के अंदर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है। इसमें अणुओं का एक बड़ा गुच्छा बनता है। जलविरागी भाग आंतरिक हिस्से में होता है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस प्रकार जो संरचना प्राप्त होती है उसे मिसेल कहते हैं।

वे पदार्थ जो कम सांद्रता पर प्रबल वैधुत अपघट्यों के समान व्यवहार करते हैं, लेकिन उच्च सांद्रताओं पर ये कणों का एक पुंज बनाते हैं यह पुंज बनने के कारण ये कोलॉइड के समान व्यवहार करते हैं। इस प्रकार के पुंजित कण मिसेल कहलाते हैं।

उदाहरण

परिक्षेपण माध्यम जल में साबुन के अणुओं के स्टिएरेट की विभन्न इकाइयां पुंजित कोलॉइडी आकार के कण बनती हैं। जो मिसेल कहलाती हैं। इन्हे सहचारी कोलॉइड भी कहते हैं। जब साबुन को जल में घोलते हैं तो साबुन और जल का सांद्र विलयन बनता है जिसे मिसेल निकाय कहते हैं।

मिसेल निर्माण की क्रियाविधि- मिसेल बनने की क्रियाविधि को साबुन के उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है। जल में घुलनशील साबुन उच्च वसा अम्लों के सोडियम या पोटैशियम लवण होते है।

उदाहरण सोडियम स्टीऐरेट

(C17H35COONa) जिसका सामान्य सूत्र RCOONa होता है जिसे जल में घोलने पर निम्न अभिक्रिया होती है: और यह अपने आयनों में टूट जाता है:


आयन दो भागो से मिलकर बना है, साबुन का वह सिरा जो जल में विलेय होता है उस सिरे को जलरागी कहते हैं तथा वह सिरा जो जल में अविलेय होता है उसे जलविरागी कहते हैं। जब जल साबुन की सतह पर होता है तब उसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं की इसका एक सिरा जल के अंदर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन का दूसरा सिरा जल के बाहर होता है। जल के अंदर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है। इसमें अणुओं का एक बड़ा गुच्छा बनता है। जलविरागी भाग आंतरिक हिस्से में होता है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस प्रकार जो संरचना प्राप्त होती है उसे मिसेल कहते हैं।

अभ्यास प्रश्न

  • साबुन के दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न क्यों होते हैं?
  • जलविरागी से क्या तात्पर्य है ?
  • मिसेल किसे कहते हैं? यह किस प्रकार बनते हैं।
  • मिसेल में किस भाग को जलरागी तथा किस भाग को जलविरागी कहते हैं?