एरोफोइल: Difference between revisions

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== पहचानने योग्य उदाहरण ==
== पहचानने योग्य उदाहरण ==
[[File:Streamlines around a NACA 0012.svg|thumb|एक साधारण ऐरोफोइल की चलायमान अवस्था में, ऊपरी व निचली सतह पर सापेक्ष दिशा व दशा में बह रही वायु के प्रवाह से उत्पन्न स्थिति को दर्शाता काल्पनिक चित्र  ]]
एरोफोइल का सबसे साधरण और पहचानने योग्य उदाहरण एक हवाई जहाज का पंख है। जब  एक हवाई जहाज के पंख  के संकरण-अंश (क्रॉस-सेक्शन) को देखते हैं, तो आप देखेंगे कि इसकी एक घुमावदार ऊपरी सतह और एक सपाट निचली सतह है। यह आकार ही पंख को इसके वायुगतिकीय गुण प्रदान करता है।
एरोफोइल का सबसे साधरण और पहचानने योग्य उदाहरण एक हवाई जहाज का पंख है। जब  एक हवाई जहाज के पंख  के संकरण-अंश (क्रॉस-सेक्शन) को देखते हैं, तो आप देखेंगे कि इसकी एक घुमावदार ऊपरी सतह और एक सपाट निचली सतह है। यह आकार ही पंख को इसके वायुगतिकीय गुण प्रदान करता है।



Revision as of 10:47, 22 May 2024

Aerofoil

एक एरोफोइल, जिसे कहीं कहीं एयरफ़ॉइल के रूप में भी जाना जाता है, एक किसी पदार्थ से बनी वस्तु का ऐसा आकार है, जिसे उन्नयन (लिफ्ट) उत्पन्न करने के लिए अभिकल्पित (डिज़ाइन) किया जाता है। प्रायः इसकी संरचनात्मक विशेषता तब ही पता कहती हैं जब यह किसी तरल पदार्थ,जैसे की हवा अथवा पानी के माध्यम में चलायमान हो।

एक प्रकार से ,एयरफ़ॉइल (अमेरिकी अंग्रेज़ी) या एयरोफ़ॉइल (ब्रिटिश अंग्रेज़ी), एक सुव्यवस्थित निकाय है, जो ड्रैग की तुलना में काफी अधिक लिफ्ट उत्पन्न करने में सक्षम है।[1] पंख, पाल और प्रोपेलर ब्लेड एयरफ़ोइल के उदाहरण हैं। कार्यशील तरल पदार्थ के रूप में पानी के साथ डिज़ाइन किए गए समान कार्य वाले फ़ॉइल को हाइड्रोफ़ॉइल कहा जाता है।

यह वायुगतिकी में एक मौलिक अवधारणा है और हवाई जहाज के पंख, पवन परिवर्त पटल (टरबाइन ब्लेड) और नोदक (प्रोपेलर ब्लेड) जैसी विभिन्न वस्तुओं के अभिकल्पन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पहचानने योग्य उदाहरण

एक साधारण ऐरोफोइल की चलायमान अवस्था में, ऊपरी व निचली सतह पर सापेक्ष दिशा व दशा में बह रही वायु के प्रवाह से उत्पन्न स्थिति को दर्शाता काल्पनिक चित्र

एरोफोइल का सबसे साधरण और पहचानने योग्य उदाहरण एक हवाई जहाज का पंख है। जब एक हवाई जहाज के पंख के संकरण-अंश (क्रॉस-सेक्शन) को देखते हैं, तो आप देखेंगे कि इसकी एक घुमावदार ऊपरी सतह और एक सपाट निचली सतह है। यह आकार ही पंख को इसके वायुगतिकीय गुण प्रदान करता है।

एरोफोइल की उन्नयन पीढ़ी के पीछे प्रमुखतः बर्नौली का सिद्धांत और दबाव अंतर की अवधारणा है। एक एयरफ़ॉइल के चारों ओर बहती वायु , पंख के आकार के कारण सपाट निचली सतह की तुलना में घुमावदार ऊपरी सतह पर द्रुत गति से बहती है। आगे,बर्नौली के सिद्धांत के अनुसार वायु की गति बढ़ने पर उसका दाब कम हो जाता है। ऐसे में पंख के ऊपर की सतह पर हवा का दबाव, पंख नीचे के दबाव से कम हो जाता है।

दबाव के इस अंतर के कारण ऊपर की ओर एक बल क्रीयाशील हो जाता है,जिसे उन्नयन (लिफ्ट) कहा जाता है। उन्नयन एक प्रकार का बल है। यह बल,अपने नीचे की दिशा में कार्यरत भार के वशीभूत बल (जो हवाई यान रूपी भारी भरकम वस्तु को नीचे गिराने की चेष्टा करता रहता है) का विरोध करता है । भार के नीचे गिरने वाले बल एवं यान के पंख व शरीर के निचले भाग पर,ऊपर उठाने वाले उन्नयन बल के इस समन्वय से जिससे यान हवा में रह सकता है। विंग की ऊपरी और निचली सतहों के बीच दबाव का अंतर जितना अधिक होगा, उतआ ही अधिक उन्नयन उत्पन्न होगी।

उन्नयन को और बढ़ाने के लिए, वायुगतिकीय उपकरणों जैसे पल्ले (फ्लैप) औरवायु प्रवाह अवरोधक(स्पॉइलर) को विमान के पंखों में जोड़ा जाता है। ये पंख के आकार और प्रभावी केम्बर (वक्रता) को बदल सकते हैं, जिससे पायलट प्रस्थान (टेकऑफ़), अवतरण (लैंडिंग) और परिभ्रमण (क्रूज़िंग) जैसी विभिन्न उड़ान स्थितियों के दौरान उन्नयन और तलकर्षण (ड्रैग) को नियंत्रित कर सकते हैं।

ध्यान देने योग्य

यह ध्यान देने योग्य है कि एक एयरफॉइल तलकर्षण भी उत्पन्न कर सकता है, जो किसी तरल पदार्थ के माध्यम से चलने वाली वस्तु द्वारा सामना किया जाने वाला प्रतिरोध है। तलकर्षण विभिन्न कारकों जैसे हवा की चिपचिपाहट,अशांति और स्वयं एयरफॉइल के आकार के कारण होता है। जबकि उन्नयन उड़ान के लिए वांछनीय है, दक्षता और गति में सुधार के लिए तलकर्षण को कम करने की आवश्यकता है।