कार्बन परिवार के भौतिक गुण: Difference between revisions
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कोल, कोक, काष्ठ, चारकोल, जंतु चारकोल, काजल, गैस कार्बन क्रिस्टलीय रूप है। | कोल, कोक, काष्ठ, चारकोल, जंतु चारकोल, काजल, गैस कार्बन क्रिस्टलीय रूप है। | ||
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हीरा कार्बन का सबसे शुद्ध क्रिस्टलीय अपरूप है हीरा कई कार्बन से मिलकर बना होता है, जो एक साथ चतुष्फलकीय रुप से जुड़े होते हैं। हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से घिरे होते हैं और उनसे मजबूत सहसंयोजक आबंध - सबसे मजबूत प्रकार के रासायनिक आबंध द्वारा जुड़े होते हैं। प्रत्येक कार्बन का sp<sup>3</sup> संकरण होता है। हीरा में क्रिस्टलीय जालक होता है। कार्बन में प्रत्येक कार्बन चार और कार्बन से जुड़ा होता है प्रत्येक कार्बन की बंध लम्बाई 154 pm होती है। हीरा पृथ्वी पर पाया जाने वाला सर्वाधिक कठोर पदार्थ है। हीरे का गलनांक बहुत उच्च होता है, इसका उपयोग धार तेज करने के लिए अपघर्षक के रूप में तथा विधुत लैंप में टंगस्टन तंतु बनाने में होता है। | हीरा कार्बन का सबसे शुद्ध [[क्रिस्टलीय ठोस|क्रिस्टलीय]] अपरूप है हीरा कई कार्बन से मिलकर बना होता है, जो एक साथ चतुष्फलकीय रुप से जुड़े होते हैं। हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से घिरे होते हैं और उनसे मजबूत सहसंयोजक आबंध - सबसे मजबूत प्रकार के रासायनिक आबंध द्वारा जुड़े होते हैं। प्रत्येक कार्बन का sp<sup>3</sup> [[संकरण]] होता है। हीरा में क्रिस्टलीय [[जालक एन्थैल्पी|जालक]] होता है। कार्बन में प्रत्येक कार्बन चार और कार्बन से जुड़ा होता है प्रत्येक कार्बन की बंध लम्बाई 154 pm होती है। हीरा पृथ्वी पर पाया जाने वाला सर्वाधिक कठोर पदार्थ है। हीरे का गलनांक बहुत उच्च होता है, इसका उपयोग धार तेज करने के लिए अपघर्षक के रूप में तथा विधुत लैंप में टंगस्टन तंतु बनाने में होता है। | ||
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*कांच को काटने में कटर के रूप में | *कांच को काटने में कटर के रूप में | ||
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*चट्टानों एवं पत्थर काटने की मशीन में इसका उपयोग होता है। | *चट्टानों एवं पत्थर काटने की मशीन में इसका उपयोग होता है। | ||
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ग्रेफाइट (Graphite) ग्रीक भाषा का शब्द है जिसे ग्रेफो से लिया गया है। ग्रेफो का अर्थ होता है लिखना अर्थात इसके द्वारा कागज पर निशान बनाया जा सकता है। ग्रेफाइट (Graphite) को कार्बन का अपरूप पदार्थ माना जाता है। ग्रेफाइट को काला सीसा और प्लबगो के नाम से भी जाना जाता है। यह कार्बन का ही एक खनिज है। ग्रेफाइट एक आधातु पदार्थ है जो विद्युत और ताप का सुचालक होता है। ग्रेफाइट को जब 700℃ का ताप दिया जाता है तो यह जल जाती है और जलकर कार्बन डाइऑक्साइड बनाती है। यह एक परत संरचना होती है जिसमें अनेक परतें होती हैं ये सभी परतें वान्डरवाल बल द्वारा जुडी रहती हैं। ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन sp<sup>2</sup> संकरित होता है। ग्रेफाइट कार्बन का दूसरा अपररूप होता है। इसमें कार्बन परमाणु समान्तर परतों में व्यवस्थित होते हैं। ग्रेफाइट अधातु होकर भी मुलायम और विद्युत का चालक होता है। ग्रेफाइट की संरचना षटकोणीय जालक परत के रूप में होती है। ग्रेफाइट में मुक्त इलेक्ट्रान पाए जाते हैं। जो सम्पूर्ण जालक के रूप में गमन करते हैं। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु विभिन्न परतों में व्यवस्थित होते हैं। जिनमे प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंध के द्वारा जुड़कर षट्कोणीय रेखीय संरचना बनता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु का चौथा इलेक्ट्रान मुक्त होता है। जो इसे विद्युत का अच्छा चालक बनाता है। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु की विभिन्न परते एक दूसरे स कमजोर बांडर वाल बलों द्वारा जुड़ी होती हैं। अतः ये एक दुसरे पर फिसल सकती हैं। इसलिए जब हम ग्रेफाइट को छूते हैं तो यह फिसलता है। इसे काला लेड भी कहते हैं। | ग्रेफाइट (Graphite) ग्रीक भाषा का शब्द है जिसे ग्रेफो से लिया गया है। ग्रेफो का अर्थ होता है लिखना अर्थात इसके द्वारा कागज पर निशान बनाया जा सकता है। ग्रेफाइट (Graphite) को कार्बन का अपरूप पदार्थ माना जाता है। ग्रेफाइट को काला सीसा और प्लबगो के नाम से भी जाना जाता है। यह कार्बन का ही एक खनिज है। ग्रेफाइट एक आधातु पदार्थ है जो विद्युत और ताप का सुचालक होता है। ग्रेफाइट को जब 700℃ का ताप दिया जाता है तो यह जल जाती है और जलकर [[कार्बन डाइऑक्साइड]] बनाती है। यह एक परत संरचना होती है जिसमें अनेक परतें होती हैं ये सभी परतें वान्डरवाल बल द्वारा जुडी रहती हैं। ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन sp<sup>2</sup> संकरित होता है। ग्रेफाइट कार्बन का दूसरा अपररूप होता है। इसमें कार्बन परमाणु समान्तर परतों में व्यवस्थित होते हैं। ग्रेफाइट अधातु होकर भी मुलायम और विद्युत का चालक होता है। ग्रेफाइट की संरचना षटकोणीय जालक परत के रूप में होती है। ग्रेफाइट में मुक्त इलेक्ट्रान पाए जाते हैं। जो सम्पूर्ण जालक के रूप में गमन करते हैं। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु विभिन्न परतों में व्यवस्थित होते हैं। जिनमे प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंध के द्वारा जुड़कर षट्कोणीय रेखीय संरचना बनता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु का चौथा इलेक्ट्रान मुक्त होता है। जो इसे विद्युत का अच्छा चालक बनाता है। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु की विभिन्न परते एक दूसरे स कमजोर बांडर वाल बलों द्वारा जुड़ी होती हैं। अतः ये एक दुसरे पर फिसल सकती हैं। इसलिए जब हम [[ग्रेफाइट]] को छूते हैं तो यह फिसलता है। इसे काला लेड भी कहते हैं। | ||
===ग्रेफाइट के प्रमुख उपयोग=== | ===ग्रेफाइट के प्रमुख उपयोग=== | ||
*ग्रेफाइट के चूर्ण का उपयोग मशीनों के पुर्जो में स्नेहक के रूप में होता है। | *ग्रेफाइट के चूर्ण का उपयोग मशीनों के पुर्जो में स्नेहक के रूप में होता है। | ||
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अक्रिय गैसों जैसे हीलियम, आर्गन आदि की उपस्थित में जब ग्रेफाइट को विधुत आर्क में गर्म करते हैं, तब फुलरीन का निर्माण होता है। | अक्रिय गैसों जैसे हीलियम, आर्गन आदि की उपस्थित में जब ग्रेफाइट को विधुत आर्क में गर्म करते हैं, तब फुलरीन का निर्माण होता है। | ||
फुलरीन की संरचना एक फुटबाल की तरह होती है। अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्सटर फुलर के नाम पर इसका नाम फुलरीन रखा गया। फुलरीन के अणु में 60, 70 या अधिक कार्बन परमाणु भी पाए जाते हैं। C60 सर्वाधिक स्थायी फुलरीन है जिसे बकमिन्सटर फुलरीन भी कहते है। C60 विद्युत का कुचालक होता है एवं इसमें कार्बन-कार्बन बंध की लम्बाई 1.40 A<sup>0</sup> होती है। C60 की संरचना में 32 फलक होते हैं जिसमें 20 फलक षट्कोणीय तथा 12 फलकपंचकोणीय होते हैं। इसकी संरचना फुटबॉल के समान होती है। अतः इसे ‘बकीबॉल’ भी कहा जाता है। | फुलरीन की संरचना एक फुटबाल की तरह होती है। अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्सटर फुलर के नाम पर इसका नाम फुलरीन रखा गया। फुलरीन के अणु में 60, 70 या अधिक कार्बन [[परमाणु]] भी पाए जाते हैं। C60 सर्वाधिक स्थायी फुलरीन है जिसे बकमिन्सटर फुलरीन भी कहते है। C60 विद्युत का कुचालक होता है एवं इसमें कार्बन-कार्बन बंध की लम्बाई 1.40 A<sup>0</sup> होती है। C60 की संरचना में 32 फलक होते हैं जिसमें 20 फलक षट्कोणीय तथा 12 फलकपंचकोणीय होते हैं। इसकी संरचना फुटबॉल के समान होती है। अतः इसे ‘बकीबॉल’ भी कहा जाता है। | ||
===फुलरीन के प्रमुख उपयोग=== | ===फुलरीन के प्रमुख उपयोग=== | ||
*अतिचालक, अर्द्धचालक, स्नेहक, उत्प्रेरक, विद्युत तार के निर्माण में। | *अतिचालक, अर्द्धचालक, स्नेहक, उत्प्रेरक, विद्युत तार के निर्माण में। | ||
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*उच्च ताप पर अतिचालक होने के कारण तकनीकी रूप से यह कार्बन का महत्त्वपूर्ण अपररूप है। | *उच्च ताप पर अतिचालक होने के कारण तकनीकी रूप से यह कार्बन का महत्त्वपूर्ण अपररूप है। | ||
===उपधातु लक्षण=== | ===उपधातु लक्षण=== | ||
सिलिकॉन, कार्बन परिवार का दूसरा तत्व, एक उपधातु है। यह अर्ध-संचालन व्यवहार प्रदर्शित करते हुए धातु और अधातु दोनों के गुणों को साझा करता है। | सिलिकॉन, कार्बन परिवार का दूसरा तत्व, एक [[उपधातु]] है। यह अर्ध-संचालन व्यवहार प्रदर्शित करते हुए [[धातु]] और [[अधातु]] दोनों के गुणों को साझा करता है। | ||
===धात्विक गुण में वृद्धि=== | ===धात्विक गुण में वृद्धि=== | ||
जैसे-जैसे आप कार्बन परिवार में नीचे जाते हैं, धात्विक गुण बढ़ते जाते हैं। कार्बन और सिलिकॉन अधातु हैं, जर्मेनियम एक उपधातु है, और टिन और लेड धातु हैं। | जैसे-जैसे आप कार्बन परिवार में नीचे जाते हैं, धात्विक गुण बढ़ते जाते हैं। कार्बन और सिलिकॉन अधातु हैं, जर्मेनियम एक उपधातु है, और टिन और लेड धातु हैं। | ||
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कार्बन परिवार के तत्व कई ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित कर सकते हैं। कार्बन सामान्य तौर पर -4 (मीथेन जैसे यौगिकों में) और +4 (कार्बन डाइऑक्साइड जैसे यौगिकों में) की ऑक्सीकरण अवस्था दिखाता है। परिवार के अन्य तत्व भी ऑक्सीकरण अवस्थाओं की एक श्रृंखला दिखाते हैं। | कार्बन परिवार के तत्व कई ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित कर सकते हैं। कार्बन सामान्य तौर पर -4 (मीथेन जैसे यौगिकों में) और +4 (कार्बन डाइऑक्साइड जैसे यौगिकों में) की ऑक्सीकरण अवस्था दिखाता है। परिवार के अन्य तत्व भी ऑक्सीकरण अवस्थाओं की एक श्रृंखला दिखाते हैं। | ||
===ऑक्सीजन के साथ अभिक्रियाशीलता=== | ===ऑक्सीजन के साथ अभिक्रियाशीलता=== | ||
कार्बन ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके ऑक्साइड बनाता है, जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और कार्बन डाइऑक्साइड ( | कार्बन ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके ऑक्साइड बनाता है, जैसे [[कार्बन मोनोऑक्साइड]] (CO) और [[कार्बन डाइऑक्साइड]] (CO<sub>2</sub>)। परिवार के अन्य तत्व भी ऑक्सीजन के साथ ऑक्साइड बनाते हैं, लेकिन ऑक्साइड की प्रकृति भिन्न हो सकती है। | ||
===टेट्राहाइड्राइड्स बनाने की प्रवृत्ति=== | ===टेट्राहाइड्राइड्स बनाने की प्रवृत्ति=== | ||
कार्बन परिवार के तत्व टेट्राहाइड्राइड (चार हाइड्रोजन परमाणुओं वाले यौगिक) बनाते हैं, जैसे मीथेन ( | कार्बन परिवार के तत्व टेट्राहाइड्राइड (चार हाइड्रोजन परमाणुओं वाले यौगिक) बनाते हैं, जैसे मीथेन (CH<sub>4</sub>), सिलेन (SiH<sub>4</sub>), और स्टैनेन (SnH<sub>4</sub>)। | ||
===धात्विक व्यवहार में परिवर्तन=== | ===धात्विक व्यवहार में परिवर्तन=== | ||
जैसे-जैसे आप कार्बन परिवार में नीचे जाते हैं, अधातु से धात्विक व्यवहार में संक्रमण होता है। कार्बन और सिलिकॉन अधातु हैं, जर्मेनियम एक उपधातु है, और टिन और सीसा बढ़ते धात्विक गुणों वाली धातुएँ हैं। | जैसे-जैसे आप कार्बन परिवार में नीचे जाते हैं, अधातु से धात्विक व्यवहार में संक्रमण होता है। कार्बन और सिलिकॉन अधातु हैं, जर्मेनियम एक उपधातु है, और टिन और सीसा बढ़ते धात्विक गुणों वाली धातुएँ हैं। |
Latest revision as of 20:12, 27 May 2024
कार्बन, सिलिकन, जर्मेनियम, टिन, लेड तथा फ्लेरोवियम समूह 14 के तत्व है। कार्बन प्रकृति में पाया जाना वाला अतिबाहुल्य तत्व है। यह प्रकृति में स्वतंत्र एवं संयुक्त अवस्था में बहुतायत में पाया जाने वाला तत्व है। यह प्रकृति में कोयला, ग्रेफाइट तथा हीरा में मिलता है, जबकि संयुक्त अवस्था में यह धातु कार्बोनेट, हाइड्रोकार्बन तथा वायु में यह कार्बनडाइ ऑक्साइड गैस के रूप में मिलता है।
कार्बन अपने दो रूपों में पाया जाता है:
- क्रिस्टलीय रूप
- अक्रिस्टलीय रूप
क्रिस्टलीय रूप
हीरा, ग्रेफाइट और फुलरीन कार्बन के दो प्रमुख क्रिस्टलीय रूप है।
अक्रिस्टलीय रूप
कोल, कोक, काष्ठ, चारकोल, जंतु चारकोल, काजल, गैस कार्बन क्रिस्टलीय रूप है।
एच. डब्ल्यू क्रोटो, ई स्मैल तथा आर. एफ. कर्ल ने सन 1985 में कार्बन के एक नए अपरूप फुलरीन की खोज की। इस खोज के कारण सन 1996 में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
अणु की संयोजन क्षमता
कार्बन परिवार के सभी तत्वों में चार संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं, क्योंकि वे समूह 14 से संबंधित हैं।
कार्बन के दो महत्वपूर्ण यौगिक ज्ञात हैं:
- कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
कार्बन डाइऑक्साइड बनाने की विधि
वायु की अधिकता मे
वायु की अधिकता में कार्बन डाइऑक्साइड कार्बन या कार्बनयुक्त ईधन के पूर्ण दहन पर प्राप्त होती है।
कैल्सियम कार्बोनेट पर तनु HCl की अभिक्रिया द्वारा
कैल्सियम कार्बोनेट पर तनु की अभिक्रिया द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त होती है।
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) बनाने की विधियां
ऑक्सीकरण
कार्बन की ऑक्सीजन अथवा वायु की सीमित मात्रा में ऑक्सीकरण करने पर कार्बन मोनोऑक्साइड प्राप्त होता है।
फार्मिक अम्ल के निर्जलीकरण द्वारा
सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा फार्मिक अम्ल का 373 K पर निर्जलीकरण करने पर अल्प मात्रा में शुद्ध कार्बन मोनोऑक्साइड प्राप्त होता है।
कोक पर भाप की अभिक्रिया द्वारा
कोक पर भाप प्रवाहित करने पर "वाटर गैस" अथवा "संश्लेषण गैस" प्राप्त होती है।
प्रोड्यूसर गैस
जब भाप के स्थान पर वायु का प्रयोग किया जाता है, तब CO तथा N2 का मिश्रण प्राप्त होता है।
सिलिकॉन डाइऑक्साइड
यह सिलिकॉन का ऑक्साइड है। अधिकतर, सिलिकॉन डाइऑक्साइड रेत निष्कर्षण और क्वार्ट्ज शुद्धि सहित खनन के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। सिलिका धूआं गर्म अभिक्रियाओं से प्राप्त होता है। सिलिकॉन डाइऑक्साइड का रासायनिक सूत्र SiO2 होता है। सिलिकॉन डाइऑक्साइड प्रकृति में क्वार्ट्ज के रूप में व्यापक रूप से पाया जाता है। यह गंधहीन एवं स्वादहीन यौगिक है, तथा अपने क्रिस्टलीय रूप में प्राप्त किया जाता है। भूपर्पटी का लगभग 90 % भाग सिलिका एवं सिलिकेट से बना है। सिलिकन डाइऑक्साइड, जिसे सामान्यतः 'सिलिका' नाम से जाना जाता है, यह अपने क्रिस्टलीय रूप में प्राप्त होता है। सिलिका के कुछ रूप क्वार्ट्ज़, क्रिस्टलबेलाइट हैं।
सिलिकॉन डाइऑक्साइड की आणविक संरचना
सिलिकॉन डाइऑक्साइड की संरचना निम्नलिखित है:
O= Si = O
सिलिकन डाइऑक्साइड एक सहसंयोजक त्रिवमीय जालक युक्त ठोस है, जिसमे सिलिकन परमाणु चतुष्फलकीय रूप में चार ऑक्सीजन परमाणु से सहसंयोजक बंध बनता है। प्रत्येक ऑक्सीजन परमाणु एक दुसरे सिलिकन परमाणु से जुड़ा रहता है एयर यह इस प्रकार एक बृहद अनु बनाता है।
सिलिकॉन डाइऑक्साइड के निर्माण की विधि
सोडियम सिलिकेट ( Na2Si3O7 ) विलयनों के अम्लीकरण द्वारा सिलिकॉन डाइऑक्साइड प्राप्त किया जाता है, और साथ में सोडियम सल्फेट प्राप्त होता है।
सहसंयोजक बंध बनाने की प्रवृत्ति
कार्बन परिवार के तत्व सामान्यतः सहसंयोजक बंध बनाते हैं, अन्य अधातुओं के साथ इलेक्ट्रॉन साझा करते हैं। कार्बन, विशेष रूप से, सहसंयोजक बंध के माध्यम से लंबी श्रृंखला और विविध संरचनाएं बनाने की क्षमता के लिए जाना जाता है।
एलोट्रॉपी
कार्बन एलोट्रॉपी प्रदर्शित करता है, जिसका अर्थ है कि यह विभिन्न संरचनात्मक रूपों में उपस्थित हो सकता है। कार्बन के सबसे सामान्य अपरूपों में हीरा, ग्रेफाइट और ग्राफीन सम्मिलित हैं, जिनमें से प्रत्येक में अद्वितीय गुण हैं।
कार्बन अपने दो रूपों में पाया जाता है:
- क्रिस्टलीय रूप
- अक्रिस्टलीय रूप
क्रिस्टलीय रूप
हीरा, ग्रेफाइट और फुलरीन कार्बन के दो प्रमुख क्रिस्टलीय रूप है।
अक्रिस्टलीय रूप
कोल, कोक, काष्ठ, चारकोल, जंतु चारकोल, काजल, गैस कार्बन क्रिस्टलीय रूप है।
हीरा
हीरा कार्बन का सबसे शुद्ध क्रिस्टलीय अपरूप है हीरा कई कार्बन से मिलकर बना होता है, जो एक साथ चतुष्फलकीय रुप से जुड़े होते हैं। हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से घिरे होते हैं और उनसे मजबूत सहसंयोजक आबंध - सबसे मजबूत प्रकार के रासायनिक आबंध द्वारा जुड़े होते हैं। प्रत्येक कार्बन का sp3 संकरण होता है। हीरा में क्रिस्टलीय जालक होता है। कार्बन में प्रत्येक कार्बन चार और कार्बन से जुड़ा होता है प्रत्येक कार्बन की बंध लम्बाई 154 pm होती है। हीरा पृथ्वी पर पाया जाने वाला सर्वाधिक कठोर पदार्थ है। हीरे का गलनांक बहुत उच्च होता है, इसका उपयोग धार तेज करने के लिए अपघर्षक के रूप में तथा विधुत लैंप में टंगस्टन तंतु बनाने में होता है।
हीरा के प्रमुख उपयोग
- कांच को काटने में कटर के रूप में
- आभूषणों के निर्माण में हीरे का उपयोग होता है।
- चट्टानों एवं पत्थर काटने की मशीन में इसका उपयोग होता है।
ग्रेफाइट
ग्रेफाइट (Graphite) ग्रीक भाषा का शब्द है जिसे ग्रेफो से लिया गया है। ग्रेफो का अर्थ होता है लिखना अर्थात इसके द्वारा कागज पर निशान बनाया जा सकता है। ग्रेफाइट (Graphite) को कार्बन का अपरूप पदार्थ माना जाता है। ग्रेफाइट को काला सीसा और प्लबगो के नाम से भी जाना जाता है। यह कार्बन का ही एक खनिज है। ग्रेफाइट एक आधातु पदार्थ है जो विद्युत और ताप का सुचालक होता है। ग्रेफाइट को जब 700℃ का ताप दिया जाता है तो यह जल जाती है और जलकर कार्बन डाइऑक्साइड बनाती है। यह एक परत संरचना होती है जिसमें अनेक परतें होती हैं ये सभी परतें वान्डरवाल बल द्वारा जुडी रहती हैं। ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन sp2 संकरित होता है। ग्रेफाइट कार्बन का दूसरा अपररूप होता है। इसमें कार्बन परमाणु समान्तर परतों में व्यवस्थित होते हैं। ग्रेफाइट अधातु होकर भी मुलायम और विद्युत का चालक होता है। ग्रेफाइट की संरचना षटकोणीय जालक परत के रूप में होती है। ग्रेफाइट में मुक्त इलेक्ट्रान पाए जाते हैं। जो सम्पूर्ण जालक के रूप में गमन करते हैं। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु विभिन्न परतों में व्यवस्थित होते हैं। जिनमे प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंध के द्वारा जुड़कर षट्कोणीय रेखीय संरचना बनता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु का चौथा इलेक्ट्रान मुक्त होता है। जो इसे विद्युत का अच्छा चालक बनाता है। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु की विभिन्न परते एक दूसरे स कमजोर बांडर वाल बलों द्वारा जुड़ी होती हैं। अतः ये एक दुसरे पर फिसल सकती हैं। इसलिए जब हम ग्रेफाइट को छूते हैं तो यह फिसलता है। इसे काला लेड भी कहते हैं।
ग्रेफाइट के प्रमुख उपयोग
- ग्रेफाइट के चूर्ण का उपयोग मशीनों के पुर्जो में स्नेहक के रूप में होता है।
- इसका उपयोग सेलो के इलेक्ट्रोड के रूप में होता है।
- पेंसिल के लिए लेड के रूप में होता है।
फुलरीन
अक्रिय गैसों जैसे हीलियम, आर्गन आदि की उपस्थित में जब ग्रेफाइट को विधुत आर्क में गर्म करते हैं, तब फुलरीन का निर्माण होता है।
फुलरीन की संरचना एक फुटबाल की तरह होती है। अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्सटर फुलर के नाम पर इसका नाम फुलरीन रखा गया। फुलरीन के अणु में 60, 70 या अधिक कार्बन परमाणु भी पाए जाते हैं। C60 सर्वाधिक स्थायी फुलरीन है जिसे बकमिन्सटर फुलरीन भी कहते है। C60 विद्युत का कुचालक होता है एवं इसमें कार्बन-कार्बन बंध की लम्बाई 1.40 A0 होती है। C60 की संरचना में 32 फलक होते हैं जिसमें 20 फलक षट्कोणीय तथा 12 फलकपंचकोणीय होते हैं। इसकी संरचना फुटबॉल के समान होती है। अतः इसे ‘बकीबॉल’ भी कहा जाता है।
फुलरीन के प्रमुख उपयोग
- अतिचालक, अर्द्धचालक, स्नेहक, उत्प्रेरक, विद्युत तार के निर्माण में।
- एड्स की रोकथाम में सहायक।
- प्राकृतिक गैस के शुद्धिकरण में
- उच्च ताप पर अतिचालक होने के कारण तकनीकी रूप से यह कार्बन का महत्त्वपूर्ण अपररूप है।
उपधातु लक्षण
सिलिकॉन, कार्बन परिवार का दूसरा तत्व, एक उपधातु है। यह अर्ध-संचालन व्यवहार प्रदर्शित करते हुए धातु और अधातु दोनों के गुणों को साझा करता है।
धात्विक गुण में वृद्धि
जैसे-जैसे आप कार्बन परिवार में नीचे जाते हैं, धात्विक गुण बढ़ते जाते हैं। कार्बन और सिलिकॉन अधातु हैं, जर्मेनियम एक उपधातु है, और टिन और लेड धातु हैं।
ऑक्सीकरण अवस्थाएँ
कार्बन परिवार के तत्व कई ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित कर सकते हैं। कार्बन सामान्य तौर पर -4 (मीथेन जैसे यौगिकों में) और +4 (कार्बन डाइऑक्साइड जैसे यौगिकों में) की ऑक्सीकरण अवस्था दिखाता है। परिवार के अन्य तत्व भी ऑक्सीकरण अवस्थाओं की एक श्रृंखला दिखाते हैं।
ऑक्सीजन के साथ अभिक्रियाशीलता
कार्बन ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके ऑक्साइड बनाता है, जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)। परिवार के अन्य तत्व भी ऑक्सीजन के साथ ऑक्साइड बनाते हैं, लेकिन ऑक्साइड की प्रकृति भिन्न हो सकती है।
टेट्राहाइड्राइड्स बनाने की प्रवृत्ति
कार्बन परिवार के तत्व टेट्राहाइड्राइड (चार हाइड्रोजन परमाणुओं वाले यौगिक) बनाते हैं, जैसे मीथेन (CH4), सिलेन (SiH4), और स्टैनेन (SnH4)।
धात्विक व्यवहार में परिवर्तन
जैसे-जैसे आप कार्बन परिवार में नीचे जाते हैं, अधातु से धात्विक व्यवहार में संक्रमण होता है। कार्बन और सिलिकॉन अधातु हैं, जर्मेनियम एक उपधातु है, और टिन और सीसा बढ़ते धात्विक गुणों वाली धातुएँ हैं।
ये सामान्य गुण कार्बन परिवार के रासायनिक व्यवहार का एक सिंहावलोकन प्रदान करते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि व्यक्तिगत तत्वों में अद्वितीय विशेषताएं और प्रतिक्रियाशीलता पैटर्न हो सकते हैं।
अभ्यास प्रश्न
- बोरॉन के समस्थानिक कौन कौन से हैं ?
- सिलिकॉन डाइऑक्साइड का रासायनिक सूत्र क्या है ? इलेक्ट्रॉन
- प्रोड्यूसर गैस का रासायनिक सूत्र लिखिए।
- कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) बनाने की विधियां का वर्णन कीजिये।