अपचयोपचय अभिक्रियाओं का संतुलन: Difference between revisions

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रेडॉक्स अभिक्रिया एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें भाग लेने वाले दो अभिकारकों के बीच इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है। इलेक्ट्रॉनों के इस स्थानांतरण को अभिक्रियाशील प्रजातियों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तन को देखकर पहचाना जा सकता है। इलेक्ट्रॉनों की हानि या अभिकारक की ऑक्सीकरण अवस्था में हुई वृद्धि को '''ऑक्सीकरण''' कहा जाता है। किसी अभिकारक की में इलेक्ट्रॉनों की वृद्धि और ऑक्सीकरण अवस्था में हुई कमी को अपचयन कहा जाता है। इलेक्ट्रॉन-स्वीकार करने वाली प्रजातियां जो रेडॉक्स अभिक्रियाओं में अपचयन से गुजरती हैं, ऑक्सीकॉरक कहलाती हैं। एक इलेक्ट्रॉन-दान करने वाली प्रजाति जो इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकालने की प्रवृत्ति रखती है, उसे अपचायक के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। किसी भी रेडॉक्स अभिक्रिया दो अर्ध-अभिक्रियाओं में विभाजित किया जा सकता है, अर्थात् ऑक्सीकरण अर्ध-अभिक्रिया और अपचयन अर्ध-अभिक्रिया।
[[रेडॉक्स अभिक्रिया]] एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें भाग लेने वाले दो अभिकारकों के बीच इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है। इलेक्ट्रॉनों के इस स्थानांतरण को अभिक्रियाशील प्रजातियों की [[ऑक्सीकरण-संख्या|ऑक्सीकरण]] अवस्थाओं में परिवर्तन को देखकर पहचाना जा सकता है। इलेक्ट्रॉनों की हानि या अभिकारक की [[ऑक्सीकरण अवस्था]] में हुई वृद्धि को '''ऑक्सीकरण''' कहा जाता है। किसी अभिकारक की में इलेक्ट्रॉनों की वृद्धि और ऑक्सीकरण अवस्था में हुई कमी को [[अपचयन]] कहा जाता है। इलेक्ट्रॉन-स्वीकार करने वाली प्रजातियां जो रेडॉक्स अभिक्रियाओं में अपचयन से गुजरती हैं, ऑक्सीकॉरक कहलाती हैं। एक इलेक्ट्रॉन-दान करने वाली प्रजाति जो इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकालने की प्रवृत्ति रखती है, उसे अपचायक के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। किसी भी रेडॉक्स अभिक्रिया दो अर्ध-अभिक्रियाओं में विभाजित किया जा सकता है, अर्थात् ऑक्सीकरण अर्ध-अभिक्रिया और अपचयन अर्ध-अभिक्रिया।
 
अपचयोपचय अभिक्रियाओं का संतुलन की दो विधियाँ हैं:
 
* ऑक्सीकरण संख्या विधि
* अर्ध अभिक्रिया विधि
 
== ऑक्सीकरण संख्या विधि ==
ऑक्सीकरण संख्या विधि को एक उदाहरण द्वारा समझते हैं:
 
पोटेशियम डाइक्रोमेट (VI), K<sub>2</sub>Cr<sub>2</sub>O<sub>7</sub> की सोडियम सल्फाइट, Na<sub>2</sub>SO<sub>3</sub> से अम्लीय माध्यम में क्रोमियम (III) [[आयन]] तथा सल्फेट आयन देने वाली नेट आयनिक अभिक्रिया लिखिए।
 
=== हल ===
 
=== <u>पद - 1</u> ===
अभिक्रिया कुछ इस प्रकार है:
 
Cr<sub>2</sub>O<sub>7</sub><sup>--</sup>(aq) + SO<sub>3</sub><sup>--</sup>(aq) <chem> -> </chem> Cr<sup>+++</sup> (aq) + SO<sub>4</sub><sup>--</sup>(aq)
 
=== <u>'''पद - 2'''</u> ===
Cr एवं S की ऑक्सीकरण संख्या लिखिए।
 
Cr<sub>2</sub>O<sub>7</sub><sup>-2</sup> में Cr की ऑक्सीकरण संख्या +6 है:
 
SO<sub>3</sub><sup>-2</sup>  में S की ऑक्सीकरण संख्या +4 है:
 
Cr में Cr की ऑक्सीकरण संख्या +3 है:
 
SO<sub>4</sub><sup>-2</sup>  में S की ऑक्सीकरण संख्या +6 है:
 
इसमें डाइक्रोमेट आयन ऑक्सीकारक तथा सल्फाइट आयन अपचायक है।
 
=== <u>'''पद - 3'''</u> ===
अब ऑक्सीकरण -संख्याओं की वृद्धि और ह्रास की गणना करेंगे।
 
पद दो से ये ज्ञात है की क्रोमियम और सल्फर की ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन हुआ है जिसमे क्रोमियम की आक्सीकरण संख्या +6 से बढ़कर + 3 हो गई है। अभिक्रिया में दायीं और क्रोमियम की ऑक्सीकरण संख्या में +3 की कमी हुई है। जबकि सल्फर की ऑक्सीकरण संख्या +4 से + 6 हो गई है। अतः सल्फर की ऑक्सीकरण संख्या में + 2 की वृद्धि हुई है। अतः इस वृद्वि और ह्रास सामान रखने के लिए क्रोमियम की अर्द्ध अभिक्रिया में +3 का गुणा हो जायेगा। जबकि सल्फर की अर्द्ध अभिक्रिया में +2 का गुणा हो जायेगा।
 
<chem>Cr2O7 </chem><sup>-2</sup> <chem>+ 3SO3(aq)</chem><sup>-2</sup>  <chem>-> 2Cr</chem><sup>+3</sup> <chem>+ 3SO4</chem><sup>-2</sup>
 
=== <u>'''पद - 4'''</u> ===
क्योकीं यह अभिक्रिया अम्लीय माध्यम में हो रही है और दोनों तरफ के आवेश भी बराबर हैं अतः बायीं ओर जोड़ दीजिये जिससे आयनिक आवेश एक समान हो जाये।
 
<chem>Cr2O7 </chem><sup>-2</sup> <chem>+ 3SO3(aq)</chem><sup>-2</sup>  <chem>+ 8 H+</chem> <chem>-> 2Cr</chem><sup>+3</sup> <chem>+ 3SO4</chem><sup>-2</sup>
 
=== <u>'''पद - 5'''</u> ===
अंत में [[हाइड्रोजन]] आयन की गणना कीजिये। संतुलित अपचयोपचय अभिक्रिया प्राप्त करने के लिए दायीं और उपयुक्त संख्या में जल अणु जोड़ेंगे।
 
<chem>Cr2O7 </chem><sup>-2</sup> <chem>+ 3SO3(aq)</chem><sup>-2</sup>  <chem>+ 8 H+</chem> <chem>-> 2Cr</chem><sup>+3</sup> <chem>+ 3SO4</chem><sup>-2</sup> <chem>+ 4H2O</chem>
 
== अर्ध अभिक्रिया विधि ==
अर्ध अभिक्रिया विधि को एक उदाहरण द्वारा समझते हैं:
 
परमैंगनेट (VII) आयन क्षारीय माध्यम में आयोडाइड आयन, I<sup>-</sup> आणविक आयोडीन I2 तथा मैगनीज (IV) ऑक्साइड (MnO2) में आक्सीकृत होता है। इस अपचयोपचय अभिक्रिया को दर्शाने वाली संतुलित आयनिक अभिक्रिया लिखिए।
 
हल
 
=== <u>पद - 1</u>  ===
अभिक्रिया कुछ इस प्रकार है:
 
<chem>MnO4- + I- -> MnO2(s) + I2(s)</chem>
 
=== <u>'''पद - 2'''</u> ===
दो अर्द्ध अभिक्रियाएँ इस प्रकार हैं:
 
ऑक्सीकरण अर्द्ध अभिक्रिया
 
<chem>I- (aq) -> I2(s)</chem>
 
अपचयन अर्द्ध अभिक्रिया
 
<chem>MnO4-(aq) -> MnO2(s)</chem>
 
=== <u>'''पद - 3'''</u> ===
ऑक्सीकरण अर्द्ध अभिक्रिया में <chem>I</chem> परमाणु का संतुलन करने पर हम लिखते हैं -
 
<chem>2I- (aq) -> I2(s)</chem>
 
=== <u>'''पद - 4'''</u> ===
[[परमाणु]] के संतुलन के लिए हम उपचयन अभिक्रिया में दायीं ओर 2 जल अणु जोड़ते हैं -
 
<chem>MnO4- (aq) -> MnO2(s) + 2H2O(l)</chem>
 
H परमाणु के संतुलन के लिए हम बाएं ओर चार H<sup>+</sup> आयन जोड़ देते हैं।
 
<chem>MnO4-(aq) + 4 H+ (aq) -> MnO2(s) + 2H2O(l)</chem>
 
अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है अतः समीकरण के दोनों तरफ OH<sup>-</sup> जोड़ देते हैं।
 
<chem>MnO4-(aq) + 4H+ (aq) + 4OH-(aq)-> MnO2(s) + 2H2O(l) + 4OH-(aq) </chem>
 
H<sup>+</sup> तथा OH<sup>-</sup> आयन का योग करने पर परिणामी समीकरण
 
<chem>MnO4-(aq) + 2H2O (l) -> MnO2 (s) + 4OH-(aq)</chem>
 
=== <u>'''पद - 5'''</u> ===
इस पद में हम आवेश का संतुलन करते हैं।
 
<chem>2I-(aq) + I2 (s) + 2e</chem>
 
<chem>MnO4-(aq) + 4H2O (l) + 6e -> 2MnO2(s) + 8OH-(aq)</chem>
 
=== <u>'''पद - 6'''</u> ===
अब दोनों अभिक्रियाओं को जोड़ देंगे और इलेक्ट्रॉनों को निरस्त कर देंगे, अतः प्राप्त समीकरण
 
<chem>6I-(aq) + 2MnO2-(aq) + 4H2O(l) -> 3I2(s) + 2MnO2(s) + 8OH-(aq)</chem>
 
== अभ्यास प्रश्न ==
 
* किसी अभिक्रिया को संतुलित करने की कौन सी विधियां हैं ?
* अभिक्रिया को संतुलित करने की अर्ध अभिक्रिया विधि समझाइये।
* अभिक्रिया को संतुलित करने की आक्सीकरण संख्या विधि समझाइये।

Latest revision as of 16:20, 29 May 2024

रेडॉक्स अभिक्रिया एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें भाग लेने वाले दो अभिकारकों के बीच इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है। इलेक्ट्रॉनों के इस स्थानांतरण को अभिक्रियाशील प्रजातियों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तन को देखकर पहचाना जा सकता है। इलेक्ट्रॉनों की हानि या अभिकारक की ऑक्सीकरण अवस्था में हुई वृद्धि को ऑक्सीकरण कहा जाता है। किसी अभिकारक की में इलेक्ट्रॉनों की वृद्धि और ऑक्सीकरण अवस्था में हुई कमी को अपचयन कहा जाता है। इलेक्ट्रॉन-स्वीकार करने वाली प्रजातियां जो रेडॉक्स अभिक्रियाओं में अपचयन से गुजरती हैं, ऑक्सीकॉरक कहलाती हैं। एक इलेक्ट्रॉन-दान करने वाली प्रजाति जो इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकालने की प्रवृत्ति रखती है, उसे अपचायक के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। किसी भी रेडॉक्स अभिक्रिया दो अर्ध-अभिक्रियाओं में विभाजित किया जा सकता है, अर्थात् ऑक्सीकरण अर्ध-अभिक्रिया और अपचयन अर्ध-अभिक्रिया।

अपचयोपचय अभिक्रियाओं का संतुलन की दो विधियाँ हैं:

  • ऑक्सीकरण संख्या विधि
  • अर्ध अभिक्रिया विधि

ऑक्सीकरण संख्या विधि

ऑक्सीकरण संख्या विधि को एक उदाहरण द्वारा समझते हैं:

पोटेशियम डाइक्रोमेट (VI), K2Cr2O7 की सोडियम सल्फाइट, Na2SO3 से अम्लीय माध्यम में क्रोमियम (III) आयन तथा सल्फेट आयन देने वाली नेट आयनिक अभिक्रिया लिखिए।

हल

पद - 1

अभिक्रिया कुछ इस प्रकार है:

Cr2O7--(aq) + SO3--(aq) Cr+++ (aq) + SO4--(aq)

पद - 2

Cr एवं S की ऑक्सीकरण संख्या लिखिए।

Cr2O7-2 में Cr की ऑक्सीकरण संख्या +6 है:

SO3-2 में S की ऑक्सीकरण संख्या +4 है:

Cr में Cr की ऑक्सीकरण संख्या +3 है:

SO4-2 में S की ऑक्सीकरण संख्या +6 है:

इसमें डाइक्रोमेट आयन ऑक्सीकारक तथा सल्फाइट आयन अपचायक है।

पद - 3

अब ऑक्सीकरण -संख्याओं की वृद्धि और ह्रास की गणना करेंगे।

पद दो से ये ज्ञात है की क्रोमियम और सल्फर की ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन हुआ है जिसमे क्रोमियम की आक्सीकरण संख्या +6 से बढ़कर + 3 हो गई है। अभिक्रिया में दायीं और क्रोमियम की ऑक्सीकरण संख्या में +3 की कमी हुई है। जबकि सल्फर की ऑक्सीकरण संख्या +4 से + 6 हो गई है। अतः सल्फर की ऑक्सीकरण संख्या में + 2 की वृद्धि हुई है। अतः इस वृद्वि और ह्रास सामान रखने के लिए क्रोमियम की अर्द्ध अभिक्रिया में +3 का गुणा हो जायेगा। जबकि सल्फर की अर्द्ध अभिक्रिया में +2 का गुणा हो जायेगा।

-2 -2 +3 -2

पद - 4

क्योकीं यह अभिक्रिया अम्लीय माध्यम में हो रही है और दोनों तरफ के आवेश भी बराबर हैं अतः बायीं ओर जोड़ दीजिये जिससे आयनिक आवेश एक समान हो जाये।

-2 -2 +3 -2

पद - 5

अंत में हाइड्रोजन आयन की गणना कीजिये। संतुलित अपचयोपचय अभिक्रिया प्राप्त करने के लिए दायीं और उपयुक्त संख्या में जल अणु जोड़ेंगे।

-2 -2 +3 -2

अर्ध अभिक्रिया विधि

अर्ध अभिक्रिया विधि को एक उदाहरण द्वारा समझते हैं:

परमैंगनेट (VII) आयन क्षारीय माध्यम में आयोडाइड आयन, I- आणविक आयोडीन I2 तथा मैगनीज (IV) ऑक्साइड (MnO2) में आक्सीकृत होता है। इस अपचयोपचय अभिक्रिया को दर्शाने वाली संतुलित आयनिक अभिक्रिया लिखिए।

हल

पद - 1

अभिक्रिया कुछ इस प्रकार है:

पद - 2

दो अर्द्ध अभिक्रियाएँ इस प्रकार हैं:

ऑक्सीकरण अर्द्ध अभिक्रिया

अपचयन अर्द्ध अभिक्रिया

पद - 3

ऑक्सीकरण अर्द्ध अभिक्रिया में परमाणु का संतुलन करने पर हम लिखते हैं -

पद - 4

परमाणु के संतुलन के लिए हम उपचयन अभिक्रिया में दायीं ओर 2 जल अणु जोड़ते हैं -

H परमाणु के संतुलन के लिए हम बाएं ओर चार H+ आयन जोड़ देते हैं।

अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है अतः समीकरण के दोनों तरफ OH- जोड़ देते हैं।

H+ तथा OH- आयन का योग करने पर परिणामी समीकरण

पद - 5

इस पद में हम आवेश का संतुलन करते हैं।

पद - 6

अब दोनों अभिक्रियाओं को जोड़ देंगे और इलेक्ट्रॉनों को निरस्त कर देंगे, अतः प्राप्त समीकरण

अभ्यास प्रश्न

  • किसी अभिक्रिया को संतुलित करने की कौन सी विधियां हैं ?
  • अभिक्रिया को संतुलित करने की अर्ध अभिक्रिया विधि समझाइये।
  • अभिक्रिया को संतुलित करने की आक्सीकरण संख्या विधि समझाइये।