अन्तः केंद्रित घनीय एकक कोष्ठिका: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

No edit summary
 
(8 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
[[Category:रसायन विज्ञान]]
[[Category:ठोस अवस्था]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:भौतिक रसायन]]
[[Category:भौतिक रसायन]]
कोई भी क्रिस्टल [[जालक बिंदु|जालक]] बहुत सी एकक कोष्ठिकाओं के जुड़ने से बनता है और प्रत्येक [[जालक बिंदु]] पर एक अवयवी कण ([[परमाणु]], [[अणु]] अथवा [[आयन]]) होता है। 
[[Category:ठोस अवस्था]]
 
इस प्रकार तीन प्रकार की घनीय एकक कोष्ठिका के बारे में विचार करेंगे :
 
* आद्य घनीय एकक कोष्ठिका
* अन्तः केंद्रित घनीय एकक कोष्ठिका
* फलक केंद्रित घनीय एकक  कोष्ठिका
 
== अन्तः केंद्रित घनीय एकक कोष्ठिका ==
एक अंत: केंद्रित घनीय (BCC) एकक कोष्ठिका में एक परमाणु घन के प्रत्येक कोने पर उपस्थित होता है और साथ ही एक अतिरिक्त परमाणु घन के केंद्र पर उपस्थित होता है। अंत: केंद्र का परमाणु पूर्णतया उस एकक कोष्ठिका से सम्बंधित होता है जिसमें वह उपस्थित होता है।
"
[[File:Iron bcc.png|thumb|BCC unit cell]]
 
इस प्रकार से एक अन्तः केंद्रित एकक कोष्ठिका में :<blockquote>8 परमाणु 8 कोने पर उपस्थित होते हैं अतः
 
8 कोने <math>\times</math> <math>\frac{1}{8}</math>प्रति कोना परमाणु  = <math>8 \times \frac{1}{8}</math> = 1 परमाणु
 
1 अंत: केंद्र परमाणु = <math>1 \times 1 = 1</math> परमाणु
 
'''प्रति एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की कुल संख्या = 2 परमाणु'''
 
BCC जालक में जालक बिंदुओं की संख्या = 2
 
गोले द्वारा अध्यासित आयतन = <math>2 \times \frac{4}{3}\pi r^3</math>
 
यदि किसी [[घन]] के किनारे की लम्बाई 'a' और प्रत्येक कण की त्रिज्या 'r ' है
 
<math>a = \frac{4r}{\sqrt{3}}</math>
 
धन का आयतन = a<sup>3</sup>
 
अन्तः - केंद्रित घनीय जालक की संकुलन क्षमता = 68.04%</blockquote>जालक बिंदु किसी ठोस के एक-एक अवयवी कण को दर्शाता है। किसी भी क्रिस्टलीय ठोस की आकृति के लिए जालक बिंदु उत्तरदायी होते हैं। ठोस अवयवी कणों से मिलकर बना होता है, यह अवयवी कण परमाणु, अणु या आयन होते हैं। ये अवयवी कणों के आपस में जुड़ने से बनता है यह जालक बिंदुओं का एक समुच्चययी ढांचा होता है, जिसे क्रिस्टल जालक कहलाता है।
 
क्रिस्टल जालक ठोस के मुख्य लक्षण अवयवी कणों का एक नियमित क्रम और एक व्यवस्थित क्रम होता है। क्रिस्टल में अवयवी कणों की त्रिविमीय व्यवस्था को आरेख रूप में निरूपित करके दर्शाए गए प्रत्येक बिंदुओं की व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं। सरल अर्थों में बिंदुओं की नियमित त्रिविमीय व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं।
 
== अभ्यास प्रश्न ==
 
* क्रिस्टलीय ठोस एवं अक्रिस्टलीय ठोसों में क्या अंतर है ?
* आध एवं एकक कोष्ठिका को उदाहरण द्वारा समझाइये।
* एकक कोष्ठिका से आप क्या समझते हैं ?

Latest revision as of 11:51, 30 May 2024

कोई भी क्रिस्टल जालक बहुत सी एकक कोष्ठिकाओं के जुड़ने से बनता है और प्रत्येक जालक बिंदु पर एक अवयवी कण (परमाणु, अणु अथवा आयन) होता है।

इस प्रकार तीन प्रकार की घनीय एकक कोष्ठिका के बारे में विचार करेंगे :

  • आद्य घनीय एकक कोष्ठिका
  • अन्तः केंद्रित घनीय एकक कोष्ठिका
  • फलक केंद्रित घनीय एकक  कोष्ठिका

अन्तः केंद्रित घनीय एकक कोष्ठिका

एक अंत: केंद्रित घनीय (BCC) एकक कोष्ठिका में एक परमाणु घन के प्रत्येक कोने पर उपस्थित होता है और साथ ही एक अतिरिक्त परमाणु घन के केंद्र पर उपस्थित होता है। अंत: केंद्र का परमाणु पूर्णतया उस एकक कोष्ठिका से सम्बंधित होता है जिसमें वह उपस्थित होता है। "

BCC unit cell

इस प्रकार से एक अन्तः केंद्रित एकक कोष्ठिका में :

8 परमाणु 8 कोने पर उपस्थित होते हैं अतः

8 कोने प्रति कोना परमाणु  = = 1 परमाणु

1 अंत: केंद्र परमाणु = परमाणु

प्रति एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की कुल संख्या = 2 परमाणु

BCC जालक में जालक बिंदुओं की संख्या = 2

गोले द्वारा अध्यासित आयतन =

यदि किसी घन के किनारे की लम्बाई 'a' और प्रत्येक कण की त्रिज्या 'r ' है

धन का आयतन = a3

अन्तः - केंद्रित घनीय जालक की संकुलन क्षमता = 68.04%

जालक बिंदु किसी ठोस के एक-एक अवयवी कण को दर्शाता है। किसी भी क्रिस्टलीय ठोस की आकृति के लिए जालक बिंदु उत्तरदायी होते हैं। ठोस अवयवी कणों से मिलकर बना होता है, यह अवयवी कण परमाणु, अणु या आयन होते हैं। ये अवयवी कणों के आपस में जुड़ने से बनता है यह जालक बिंदुओं का एक समुच्चययी ढांचा होता है, जिसे क्रिस्टल जालक कहलाता है।

क्रिस्टल जालक ठोस के मुख्य लक्षण अवयवी कणों का एक नियमित क्रम और एक व्यवस्थित क्रम होता है। क्रिस्टल में अवयवी कणों की त्रिविमीय व्यवस्था को आरेख रूप में निरूपित करके दर्शाए गए प्रत्येक बिंदुओं की व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं। सरल अर्थों में बिंदुओं की नियमित त्रिविमीय व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं।

अभ्यास प्रश्न

  • क्रिस्टलीय ठोस एवं अक्रिस्टलीय ठोसों में क्या अंतर है ?
  • आध एवं एकक कोष्ठिका को उदाहरण द्वारा समझाइये।
  • एकक कोष्ठिका से आप क्या समझते हैं ?