संचायक सेल: Difference between revisions
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[[बैटरियां]] ऐसे उपकरण हैं जो रासायनिक अभिक्रिया के माध्यम से विद्युत ऊर्जा को संग्रहीत और प्रदान करते हैं। वे स्मार्टफोन जैसे छोटे गैजेट से लेकर इलेक्ट्रिक वाहन जैसे बड़े सिस्टम तक, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला को शक्ति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बैटरियां विभिन्न प्रकार की होती हैं, प्रत्येक की अपनी विशेषताएं और अनुप्रयोग होते हैं। यहां कुछ सामान्य प्रकार की बैटरियां दी गई हैं: | |||
बैटरी विद्युत ऊर्जा का एक स्रोत है जिसे रासायनिक उर्जा से प्राप्त किया जाता है। वैद्युत अभियांत्रिकी एवं इलेक्ट्रानिकी में दो या दो से अधिक विद्युतरासायनिक सेलों के संयोजन को बैटरी कहते हैं। ये रासायनिक उर्जा भण्डारित करते हैं एवं इस उर्जा को विद्युत उर्जा के रूप में उपलब्ध करते हैं। | |||
सन १८०० में अलेसान्द्रो वोल्टा द्वारा सबसे पहले बैटरी का आविष्कार हुआ। वोल्टा ने इस [[सेल]] का निर्माण कांच के पात्र मे किया था। आजकल अधिकांश घरेलू एवं औद्योगिक उपयोगों के लिये बैटरी ही विद्युत उर्जा का प्रमुख साधन है। | |||
== लेड बैटरी == | |||
इसे संचायक सेल भी कहते हैं। इसमें लेड डाइऑक्साइड (धनात्मक इलेक्ट्रोड), स्पंज लेड (नकारात्मक इलेक्ट्रोड), [[सल्फ्यूरिक अम्ल]] (वैधुत अपघट्य) उपस्थित होते हैं। एक लेड संचायक सेल वास्तव में एक गैल्वेनिक सेल है जिसमे ऐनोड़ सूक्ष्म वितरित स्पजी लेड से पैक की गई एक जाली का बना होता है, जबकि कैथोड लेड डाइऑक्साइड (PbO<sub>2</sub>) की एक परत युक्त एक लेड की जाली का बना होता है। अनेक लैड संचायक सेल को श्रेणीक्रम में जोड़ कर लैड संचायक बैटरी बनाई जाती है। सेल विभव (emf) 12V प्राप्त करने के लिए 6 सेलो को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। एक लैड संचायक बैटरी में एनोड तथा कैथोड़ प्लेट (जिन्हें ग्रिड) कहा जाता है। एकान्तर रूप में व्यवस्थित होती है तथा सल्फूरिक अम्ल 38% विलयन में डूबी रहती है। | |||
ऐनोड और कैथोड को एक—दूसरे से अलग करने के लिए कुचालक पदार्थ से बने पृथकारको को प्रयोग किया जाता है। एनोड तथा कैथोड़ प्लेटे पृथक रूप से एक—दूसरे से जोड़ दी जाती हैं इससे इलेक्ट्रोडों के पृष्ठ क्षेत्रफल में वृद्धि होती है तथा बैटरी को विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो जाती है। | |||
'''वोल्टेज:''' सामान्यतः प्रति सेल 2 वोल्ट। | |||
'''सामान्य अनुप्रयोग:''' ऑटोमोटिव स्टार्टिंग बैटरी, बैकअप बिजली आपूर्ति में। | |||
बैटरी में स्थित प्रत्येक सेल में निम्न इलेक्ट्रोड अभिक्रियाएँ होती है: | |||
=== एनोड पर === | |||
<chem>Pb(s) + SO4</chem><sup>-2</sup> <chem>-> PbSO4 + 2e</chem> | |||
=== कैथोड पर === | |||
<chem>PbO2 + SO4</chem><sup>-2</sup> <chem>+ 4H+ + 2e -> PbSO4 + 2H2O</chem> | |||
== अभ्यास प्रश्न == | |||
* संचायक सेल से क्या समझते है? इसमें होने वाली रासायनिक अभिक्रिया लिखिए। | |||
* लेड बैटरी में एनोड और कैथोड पर होने वाली अभिक्रिया लिखिए। |
Latest revision as of 16:03, 30 May 2024
बैटरियां ऐसे उपकरण हैं जो रासायनिक अभिक्रिया के माध्यम से विद्युत ऊर्जा को संग्रहीत और प्रदान करते हैं। वे स्मार्टफोन जैसे छोटे गैजेट से लेकर इलेक्ट्रिक वाहन जैसे बड़े सिस्टम तक, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला को शक्ति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बैटरियां विभिन्न प्रकार की होती हैं, प्रत्येक की अपनी विशेषताएं और अनुप्रयोग होते हैं। यहां कुछ सामान्य प्रकार की बैटरियां दी गई हैं:
बैटरी विद्युत ऊर्जा का एक स्रोत है जिसे रासायनिक उर्जा से प्राप्त किया जाता है। वैद्युत अभियांत्रिकी एवं इलेक्ट्रानिकी में दो या दो से अधिक विद्युतरासायनिक सेलों के संयोजन को बैटरी कहते हैं। ये रासायनिक उर्जा भण्डारित करते हैं एवं इस उर्जा को विद्युत उर्जा के रूप में उपलब्ध करते हैं।
सन १८०० में अलेसान्द्रो वोल्टा द्वारा सबसे पहले बैटरी का आविष्कार हुआ। वोल्टा ने इस सेल का निर्माण कांच के पात्र मे किया था। आजकल अधिकांश घरेलू एवं औद्योगिक उपयोगों के लिये बैटरी ही विद्युत उर्जा का प्रमुख साधन है।
लेड बैटरी
इसे संचायक सेल भी कहते हैं। इसमें लेड डाइऑक्साइड (धनात्मक इलेक्ट्रोड), स्पंज लेड (नकारात्मक इलेक्ट्रोड), सल्फ्यूरिक अम्ल (वैधुत अपघट्य) उपस्थित होते हैं। एक लेड संचायक सेल वास्तव में एक गैल्वेनिक सेल है जिसमे ऐनोड़ सूक्ष्म वितरित स्पजी लेड से पैक की गई एक जाली का बना होता है, जबकि कैथोड लेड डाइऑक्साइड (PbO2) की एक परत युक्त एक लेड की जाली का बना होता है। अनेक लैड संचायक सेल को श्रेणीक्रम में जोड़ कर लैड संचायक बैटरी बनाई जाती है। सेल विभव (emf) 12V प्राप्त करने के लिए 6 सेलो को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। एक लैड संचायक बैटरी में एनोड तथा कैथोड़ प्लेट (जिन्हें ग्रिड) कहा जाता है। एकान्तर रूप में व्यवस्थित होती है तथा सल्फूरिक अम्ल 38% विलयन में डूबी रहती है।
ऐनोड और कैथोड को एक—दूसरे से अलग करने के लिए कुचालक पदार्थ से बने पृथकारको को प्रयोग किया जाता है। एनोड तथा कैथोड़ प्लेटे पृथक रूप से एक—दूसरे से जोड़ दी जाती हैं इससे इलेक्ट्रोडों के पृष्ठ क्षेत्रफल में वृद्धि होती है तथा बैटरी को विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो जाती है।
वोल्टेज: सामान्यतः प्रति सेल 2 वोल्ट।
सामान्य अनुप्रयोग: ऑटोमोटिव स्टार्टिंग बैटरी, बैकअप बिजली आपूर्ति में।
बैटरी में स्थित प्रत्येक सेल में निम्न इलेक्ट्रोड अभिक्रियाएँ होती है:
एनोड पर
-2
कैथोड पर
-2
अभ्यास प्रश्न
- संचायक सेल से क्या समझते है? इसमें होने वाली रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
- लेड बैटरी में एनोड और कैथोड पर होने वाली अभिक्रिया लिखिए।