आणविकता: Difference between revisions
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किसी भी प्राथमिक रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारक के परमाणु , अणु , या आयन जो एक साथ संघट्ट करके अभिक्रिया को पूर्ण करते है , अभिकारक के इस परमाणु , अणु या आयन की संख्या को ही उस अभिक्रिया की आण्विकता कहते है। '''''"अभिकारक के न्यूनतम परमाणु, अणु या आयनों की संख्या जो अभिक्रिया को पूर्ण करने के लिए आवश्यक होती है उस अभिक्रिया की आण्विकता कहलाती है।"''''' | किसी भी प्राथमिक रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारक के [[परमाणु]], [[अणु]] , या [[आयन]] जो एक साथ संघट्ट करके अभिक्रिया को पूर्ण करते है , अभिकारक के इस परमाणु , अणु या आयन की संख्या को ही उस अभिक्रिया की आण्विकता कहते है। '''''"अभिकारक के न्यूनतम परमाणु, अणु या आयनों की संख्या जो अभिक्रिया को पूर्ण करने के लिए आवश्यक होती है उस अभिक्रिया की आण्विकता कहलाती है।"''''' | ||
किसी रासायनिक अभिक्रिया के अभिकारक स्टाइकियोमीट्री गुणांको के योग को, उस अभिक्रिया की आणविकता कहते है। प्राथमिक अभिक्रिया में भाग लेने वाली स्पीशीज (परमाणु, अणु या आयन) की संख्या जो एक साथ संघट्ट (टक्कर) करके रासायनिक अभिक्रिया सम्पन्न करती है उसे अभिक्रिया की आणविकता या अणु संख्य्ता कहते है | किसी रासायनिक अभिक्रिया के अभिकारक स्टाइकियोमीट्री गुणांको के योग को, उस अभिक्रिया की आणविकता कहते है। प्राथमिक अभिक्रिया में भाग लेने वाली स्पीशीज (परमाणु, अणु या आयन) की संख्या जो एक साथ संघट्ट (टक्कर) करके रासायनिक अभिक्रिया सम्पन्न करती है उसे अभिक्रिया की आणविकता या अणु संख्य्ता कहते है | ||
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दर = <math>\frac{dx}{dt}</math> = - <math>K [A]^p [B]^q[C]^r</math> | दर = <math>\frac{dx}{dt}</math> = - <math>K [A]^p [B]^q[C]^r</math> | ||
'''''"वेग नियम में निहित सभी अभिकारको की सान्द्र्ताओ की घातो के योग को उस अभिक्रिया की कोटि कहा जाता है”I''''' | '''''"वेग नियम में निहित सभी अभिकारको की सान्द्र्ताओ की घातो के योग को उस [[अभिक्रिया की कोटि]] कहा जाता है”I''''' | ||
अभिक्रिया की कोटि n = p + q + r | अभिक्रिया की कोटि n = p + q + r | ||
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===शून्य कोटि की अभिक्रिया=== | ===शून्य कोटि की अभिक्रिया=== | ||
वे अभिक्रियाएँ जिनमें अभिक्रिया का वेग अभिकारक अणुओं की सान्दर्त के गुणनफल के शून्य घात के समानुपाती होता है, शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैI | वे अभिक्रियाएँ जिनमें अभिक्रिया का वेग अभिकारक अणुओं की सान्दर्त के गुणनफल के शून्य घात के समानुपाती होता है, [[शून्य कोटि की अभिक्रिया]] कहलाती हैI | ||
<chem>H2 + Cl2 -> 2HCl</chem> | <chem>H2 + Cl2 -> 2HCl</chem> | ||
===प्रथम कोटि की अभिक्रिया=== | ===प्रथम कोटि की अभिक्रिया=== | ||
वे अभिक्रियाएँ जिनमे अभिक्रिया का वेग अभिकारक अणुओं की सान्द्रता के गुणनफल की प्रथम घात के समानुपाती होता है, प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैI | वे अभिक्रियाएँ जिनमे अभिक्रिया का वेग अभिकारक अणुओं की सान्द्रता के गुणनफल की प्रथम घात के समानुपाती होता है, [[प्रथम कोटि की अभिक्रिया]] कहलाती हैI | ||
<chem>SO2Cl2 -> SO2 + Cl2</chem> | <chem>SO2Cl2 -> SO2 + Cl2</chem> |
Latest revision as of 16:15, 30 May 2024
किसी भी प्राथमिक रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारक के परमाणु, अणु , या आयन जो एक साथ संघट्ट करके अभिक्रिया को पूर्ण करते है , अभिकारक के इस परमाणु , अणु या आयन की संख्या को ही उस अभिक्रिया की आण्विकता कहते है। "अभिकारक के न्यूनतम परमाणु, अणु या आयनों की संख्या जो अभिक्रिया को पूर्ण करने के लिए आवश्यक होती है उस अभिक्रिया की आण्विकता कहलाती है।"
किसी रासायनिक अभिक्रिया के अभिकारक स्टाइकियोमीट्री गुणांको के योग को, उस अभिक्रिया की आणविकता कहते है। प्राथमिक अभिक्रिया में भाग लेने वाली स्पीशीज (परमाणु, अणु या आयन) की संख्या जो एक साथ संघट्ट (टक्कर) करके रासायनिक अभिक्रिया सम्पन्न करती है उसे अभिक्रिया की आणविकता या अणु संख्य्ता कहते है
एकाणुक अभिक्रिया
जब किसी अभिक्रिया में केवल एक अभिकारक भाग लेता है तो ऐसी अभिक्रिया को एकाणुक अभिक्रिया कहते है।
उदाहरण
द्विअणुक अभिक्रिया
जब किसी अभिक्रिया में दो अभिकारक के अणु भाग लेते है अर्थात दो अणु एक साथ संघट्ट करके उत्पाद बनाते है तो उसे द्विअणुक अभिक्रिया कहते है।
उदाहरण
त्रिअणुक अभिक्रिया
जब किसी अभिक्रिया में तीन अभिकारक के अणु भाग लेते है अर्थात वे अभिक्रिया जिसमें तीन अणु एक साथ संघट्ट या टक्कर करके उत्पाद में परिवर्तित होते है तो ऐसी अभिक्रिया को त्रिअणुक अभिक्रिया कहते है।
उदाहरण
अभिक्रिया की कोटि
किसी अभिक्रिया की कोटि को हम इस प्रकार परिभाषित कर सकते है। ''किसी अभिक्रिया की कोटि उन समस्त घातो का योग है जिन्हे अभिक्रिया की प्रेक्षित दर को दर्शाने के लिए दर-नियम समीकरण में सान्द्रण-पदों पर लगाया जाना चाहिए।''
मानलो सामान्य अभिक्रिया के लिए दर-नियम समीकरण इस प्रकार है:
दर = = -
"वेग नियम में निहित सभी अभिकारको की सान्द्र्ताओ की घातो के योग को उस अभिक्रिया की कोटि कहा जाता है”I
अभिक्रिया की कोटि n = p + q + r
जहाँ p, q तथा r क्रमशः A, B तथा C के सापेक्ष अभिक्रिया की कोटि है।
अभिक्रिया की कोटि के प्रकार
अभिक्रिया की कोटि चार प्रकार की होती है I
- शून्य कोटि की अभिक्रिया
- प्रथम कोटि की अभिक्रिया
- द्वितीय कोटि की अभिक्रिया
- तृतीय कोटि की अभिक्रिया
शून्य कोटि की अभिक्रिया
वे अभिक्रियाएँ जिनमें अभिक्रिया का वेग अभिकारक अणुओं की सान्दर्त के गुणनफल के शून्य घात के समानुपाती होता है, शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैI
प्रथम कोटि की अभिक्रिया
वे अभिक्रियाएँ जिनमे अभिक्रिया का वेग अभिकारक अणुओं की सान्द्रता के गुणनफल की प्रथम घात के समानुपाती होता है, प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैI
द्वितीय कोटि की अभिक्रिया
वे अभिक्रियाएँ जिनका वेग अभिकारक की सान्द्रता के द्वितीय घात के समानुपाती होता है द्वितीय कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैI
तृतीय कोटि की अभिक्रिया
वे सभी अभिक्रियाएँ जिनकी दर अभिकारक की सान्द्रता के तृतीय घात पर निर्भर करती है, तृतीय कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैI
अभ्यास प्रश्न
- आण्विकता और अभिक्रिया की कोटि में क्या अंतर है ?
- निम्न अभिक्रिया के लिए अभिक्रिया की कोटि ज्ञात कीजिये।