परावर्तन भट्टी: Difference between revisions

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भूनते समय सल्फाइड अयस्क को उसके ऑक्साइड में परिवर्तित करने के लिए वायु की उपस्थिति में एक परावर्तन भट्टी में उसके गलनांक से कम ताप पर तेज  गर्म किया जाता है। यह भर्जन कहलाता है। निस्तापन और भर्जन दोनो ही परावर्तन भट्टी में होता है।  
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[[File:Reverberatory furnace for tungsten refining.png|thumb|परावर्तनी भट्टी ]]
भूनते समय सल्फाइड [[अयस्क]] को उसके ऑक्साइड में परिवर्तित करने के लिए वायु की उपस्थिति में एक परावर्तनी भट्टी में उसके [[गलनांक]] से कम ताप पर तेज  गर्म किया जाता है। यह [[भर्जन]] कहलाता है। निस्तापन और भर्जन दोनो ही परावर्तनी भट्टी में होता है। [[निस्तापन]] एवं भर्जन परावर्तनी भट्टी में होते हैं। यह भट्टी अग्निसह ईटों की बनी होती है। इस भट्टी के तीन भाग होते हैं। इस भट्टी की अंगूठी में ईंधन को जलाकर ऊष्मा उत्पन्न की जाती है। जो भट्टी की छत से परावर्तित होकर चूल्हे पर रखे अयस्क या घान पर आती है। उसी ऊष्मा से अयस्क या घान गर्म होता है। इसलिए इसे परावर्तनी भट्टी कहते हैं और व्यर्थ गैसें चिमनी से बाहर निकल जाती है। परावर्तनी भट्टी के तीन भाग होते हैं: 


अंगीठी, चूल्हा, चिमली,
====(I) अग्नि स्थान====
<blockquote>यहाँ ईंधन को जलाकर ऊष्मा उत्पन्न की ती है।</blockquote>
====(iii) भट्ठी का तल –====
<blockquote>इसे चूल्हा (hearth) भी कहते हैं। यहाँ पर किये जाना वाला पदार्थ अर्थात् घान (charge) या महीन पीसा हुआ बस्क रखा जाता है।</blockquote>
====(iii) चिमनी –====
<blockquote>यहाँ से व्यर्थ गैसे बाहर निकलती हैं।</blockquote>
== भर्जन की परिभाषा==
भर्जन मुख्यतः सल्फाइड अयस्कों से धातु ऑक्साइड प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस विधि में सांद्रित सल्फाइड अयस्कों को उसके [[गलनांक]] से कम ताप पर वायु की अधिकता में तेज गर्म करना भर्जन कहलाता है। जिससे वाष्पशील अशुद्धियाँ और नमी उड़ जाती है। और हमको भर्जित [[अयस्क]] प्राप्त हो जाती है। यह विधि मध्यम अभिक्रियाशील धातुओं के लिए प्रयोग की जाती है। सल्फाइड अयस्कों को ऑक्साइड में बदलने के लिए रोस्टिंग विधि का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। भर्जन हमेशा परावरतनी भट्टी में किया जाता है।
[[File:EB1911 - Furnace - Fig. 2.png|thumb|परावर्तनी भट्टी ]]
ज़िंक के भर्जन के समय निम्न रासायनिक अभिक्रिया होती है:
<chem>2ZnS + 3O2 -> 2ZnO + 2SO2</chem>
इसके बाद [[कार्बन के उपयोग|कार्बन]] जैसे उपयुक्त अपचायक का उपयोग कर धातु ऑक्साइड से धातु प्राप्त किया जाता है।
'''उदाहरण'''
जब ज़िंक ऑक्साइड को कार्बन के साथ गर्म किया जाता है तो यह ज़िंक धातु में अपचयित हो जाता है।
<chem>ZnO(s) + C(s) -> Zn(s) + CO(g)</chem>
== निस्तापन ==
== निस्तापन ==
सल्फाइड अयस्क को उसके गलनांक से कम ताप पर हवा की अनुपस्थित में तेज गर्म करना निस्तापन कहलाता है। जिससे हवा में उपस्थित नमी दूर हो जाती है और अशुद्धियाँ ऑक्साइड बनाकर उड़ जाती हैं।  
[[सक्रियता श्रेणी]] के मध्य में स्थित धातुएं: जैसे - आयरन, जिंक, लेड, कॉपर की अभिक्रियाशीलता मध्यम होती है। प्रकृति में ये प्रायः सल्फाइड या कार्बोनेट के रूप में पाए जाती है। सल्फाइड या कार्बोनेट की तुलना में धातु को उसके ऑक्साइड से प्राप्त करना अधिक आसान होता है इसलिए [[अपचयन]] से पहले धातु के सल्फाइड एवं कार्बोनेट को धातु ऑक्साइड में परिवर्तित करना आवश्यक है। ''कार्बोनेट अयस्क को वायु की अनुपस्थित में अधिक ताप पर गर्म करने से यह ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रक्रिया को निस्तापन कहते हैं।'' निस्तापन हमेशा परावरतनी भट्टी में किया जाता है।


'''जैसे'''
ज़िंक के निस्तापन के समय निम्न रासायनिक अभिक्रिया होती है:


<chem>CaCO3 ->[heat] CaO + CO2</chem>
<chem>ZnCO3(s) -> ZnO(s) + CO2(g)</chem>


<chem>S + O2 -> SO2</chem>
इसके बाद [[कार्बन के उपयोग|कार्बन]] जैसे उपयुक्त अपचायक का उपयोग कर धातु ऑक्साइड से [[धातु]] प्राप्त किया जाता है।


== भर्जन ==
'''उदाहरण'''
सल्फाइड अयस्क को उसके गलनांक से कम ताप पर हवा की उपस्थित में तेज गर्म करना भर्जन कहलाता है। जिससे हवा में उपस्थित नमी दूर हो जाती है और अशुद्धियाँ ऑक्साइड बनाकर उड़ जाती हैं। यह प्रवर्तनी भत्ते में किया जाता है।


<chem>2ZnS + 3O3 -> 2ZnO + 2SO</chem>
जब ज़िंक ऑक्साइड को कार्बन के साथ गर्म किया जाता है तो यह ज़िंक धातु में अपचयित हो जाता है।


<chem>C + O2-> CO2</chem>
<chem>ZnO(s) + C(s) -> Zn(s) + CO(g)</chem>
==निस्तापन एवं भर्जन में अंतर==
निस्तापन एवं भर्जन में निम्न लिखित अंतर है:
{| class="wikitable"
{| class="wikitable"
|भर्जन (Roasting)
|+
|निस्तापन (Calcination)
!
!निस्तापन
![[भर्जन]]
!
|-
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|1. भर्जन का प्रयोग सल्फाइड अयस्कों के लिए किया जाता है।
|'''1'''
 
|[[निस्तापन]] वह प्रक्रिया है जिसमें धातु के अयस्क को हवा या ऑक्सीजन की अनुपस्थिति या सीमित आपूर्ति में उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है।
 
|भर्जन वह प्रक्रिया है जिसमें अयस्क को हवा या ऑक्सीजन की अधिक आपूर्ति की उपस्थिति में उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है।
2. भर्जन में अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है।
|
 
|-
 
|'''2'''
3. इसमें SO2 गैस उत्पन्न होती है।
|निस्तापन में कैल्शियम अयस्कों का थर्मल अपघटन होता है। निस्तापन मुख्यतः ''कार्बोनेट'' अयस्कों के लिए किया जाता है।
|निस्तापन का प्रयोग कार्बोनेट और हाइड्रेटिड अयस्कों के लिए किया जाता है।
|भर्जन मुख्यतः सल्फाइड अयस्कों के लिए किया जाता है।
 
|
|-
|'''3'''
|कार्बन डाइऑक्साइड को उप-उत्पाद के रूप में दिया जाता है। उच्च तापमान पर बड़ी मात्रा में विषाक्त, धात्विक और अम्ल अशुद्धियाँ बाहर निकल जाती हैं।
|निस्तापन के दौरान अयस्क से नमी हटा दी जाती है। नमी को हटाने के लिए भर्जन का उपयोग नहीं किया जाता है।
|
|}'''<big>मध्यम</big>''' '''<big>अभिक्रियाशील धातु</big>'''


निस्तापन में अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है।
मध्यम अभिक्रियाशील धातुओं का निष्कर्षण निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है:


<big>खनिज → अयस्क → कार्बोनेट अयस्क → निस्तापन → धातु का ऑक्साइड → धातु में अपचयन → धातु का शोधन</big>


इसमें CO2 गैस उत्पन्न होती है।
<big>खनिज → अयस्क →</big> <big>सल्फाइड अयस्क → भर्जन → धातु का ऑक्साइड → धातु में अपचयन → धातु का शोधन</big>
|}
==अभ्यास प्रश्न==
*निस्तापन एवं भर्जन किस भट्टी में होते हैं?
*निस्तापन एवं भर्जन में अंतर बताइये।
*परावर्तनी भट्टी पर टिप्पणी दीजिये।
*कार्बोनेट अयस्क का निष्कर्षण किस प्रकार किया जाता है?

Latest revision as of 16:42, 30 May 2024

परावर्तनी भट्टी

भूनते समय सल्फाइड अयस्क को उसके ऑक्साइड में परिवर्तित करने के लिए वायु की उपस्थिति में एक परावर्तनी भट्टी में उसके गलनांक से कम ताप पर तेज  गर्म किया जाता है। यह भर्जन कहलाता है। निस्तापन और भर्जन दोनो ही परावर्तनी भट्टी में होता है। निस्तापन एवं भर्जन परावर्तनी भट्टी में होते हैं। यह भट्टी अग्निसह ईटों की बनी होती है। इस भट्टी के तीन भाग होते हैं। इस भट्टी की अंगूठी में ईंधन को जलाकर ऊष्मा उत्पन्न की जाती है। जो भट्टी की छत से परावर्तित होकर चूल्हे पर रखे अयस्क या घान पर आती है। उसी ऊष्मा से अयस्क या घान गर्म होता है। इसलिए इसे परावर्तनी भट्टी कहते हैं और व्यर्थ गैसें चिमनी से बाहर निकल जाती है। परावर्तनी भट्टी के तीन भाग होते हैं:

अंगीठी, चूल्हा, चिमली,

(I) अग्नि स्थान

यहाँ ईंधन को जलाकर ऊष्मा उत्पन्न की ती है।

(iii) भट्ठी का तल –

इसे चूल्हा (hearth) भी कहते हैं। यहाँ पर किये जाना वाला पदार्थ अर्थात् घान (charge) या महीन पीसा हुआ बस्क रखा जाता है।

(iii) चिमनी –

यहाँ से व्यर्थ गैसे बाहर निकलती हैं।

भर्जन की परिभाषा

भर्जन मुख्यतः सल्फाइड अयस्कों से धातु ऑक्साइड प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस विधि में सांद्रित सल्फाइड अयस्कों को उसके गलनांक से कम ताप पर वायु की अधिकता में तेज गर्म करना भर्जन कहलाता है। जिससे वाष्पशील अशुद्धियाँ और नमी उड़ जाती है। और हमको भर्जित अयस्क प्राप्त हो जाती है। यह विधि मध्यम अभिक्रियाशील धातुओं के लिए प्रयोग की जाती है। सल्फाइड अयस्कों को ऑक्साइड में बदलने के लिए रोस्टिंग विधि का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। भर्जन हमेशा परावरतनी भट्टी में किया जाता है।

परावर्तनी भट्टी

ज़िंक के भर्जन के समय निम्न रासायनिक अभिक्रिया होती है:


इसके बाद कार्बन जैसे उपयुक्त अपचायक का उपयोग कर धातु ऑक्साइड से धातु प्राप्त किया जाता है।

उदाहरण

जब ज़िंक ऑक्साइड को कार्बन के साथ गर्म किया जाता है तो यह ज़िंक धातु में अपचयित हो जाता है।


निस्तापन

सक्रियता श्रेणी के मध्य में स्थित धातुएं: जैसे - आयरन, जिंक, लेड, कॉपर की अभिक्रियाशीलता मध्यम होती है। प्रकृति में ये प्रायः सल्फाइड या कार्बोनेट के रूप में पाए जाती है। सल्फाइड या कार्बोनेट की तुलना में धातु को उसके ऑक्साइड से प्राप्त करना अधिक आसान होता है इसलिए अपचयन से पहले धातु के सल्फाइड एवं कार्बोनेट को धातु ऑक्साइड में परिवर्तित करना आवश्यक है। कार्बोनेट अयस्क को वायु की अनुपस्थित में अधिक ताप पर गर्म करने से यह ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रक्रिया को निस्तापन कहते हैं। निस्तापन हमेशा परावरतनी भट्टी में किया जाता है।

ज़िंक के निस्तापन के समय निम्न रासायनिक अभिक्रिया होती है:

इसके बाद कार्बन जैसे उपयुक्त अपचायक का उपयोग कर धातु ऑक्साइड से धातु प्राप्त किया जाता है।

उदाहरण

जब ज़िंक ऑक्साइड को कार्बन के साथ गर्म किया जाता है तो यह ज़िंक धातु में अपचयित हो जाता है।

निस्तापन एवं भर्जन में अंतर

निस्तापन एवं भर्जन में निम्न लिखित अंतर है:

निस्तापन भर्जन
1 निस्तापन वह प्रक्रिया है जिसमें धातु के अयस्क को हवा या ऑक्सीजन की अनुपस्थिति या सीमित आपूर्ति में उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है। भर्जन वह प्रक्रिया है जिसमें अयस्क को हवा या ऑक्सीजन की अधिक आपूर्ति की उपस्थिति में उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है।
2 निस्तापन में कैल्शियम अयस्कों का थर्मल अपघटन होता है। निस्तापन मुख्यतः कार्बोनेट अयस्कों के लिए किया जाता है। भर्जन मुख्यतः सल्फाइड अयस्कों के लिए किया जाता है।
3 कार्बन डाइऑक्साइड को उप-उत्पाद के रूप में दिया जाता है। उच्च तापमान पर बड़ी मात्रा में विषाक्त, धात्विक और अम्ल अशुद्धियाँ बाहर निकल जाती हैं। निस्तापन के दौरान अयस्क से नमी हटा दी जाती है। नमी को हटाने के लिए भर्जन का उपयोग नहीं किया जाता है।

मध्यम अभिक्रियाशील धातु

मध्यम अभिक्रियाशील धातुओं का निष्कर्षण निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है:

खनिज → अयस्क → कार्बोनेट अयस्क → निस्तापन → धातु का ऑक्साइड → धातु में अपचयन → धातु का शोधन

खनिज → अयस्क → सल्फाइड अयस्क → भर्जन → धातु का ऑक्साइड → धातु में अपचयन → धातु का शोधन

अभ्यास प्रश्न

  • निस्तापन एवं भर्जन किस भट्टी में होते हैं?
  • निस्तापन एवं भर्जन में अंतर बताइये।
  • परावर्तनी भट्टी पर टिप्पणी दीजिये।
  • कार्बोनेट अयस्क का निष्कर्षण किस प्रकार किया जाता है?