वैन अर्केल विधि: Difference between revisions
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वाष्प प्रावस्था परिष्करण विधि में, [[धातु]] को वाष्पशील [[यौगिक]] में परिवर्तित किया जाता है तथा वाष्पित यौगिक को एकत्र कर लेते हैं। इसके बाद उसको विघटित करते हैं। विघटित करने पर हमे शुद्ध धातु प्राप्त हो जाती है। | |||
*उपलब्ध [[अभिकर्मक]] के साथ धातु वाष्पशील यौगिक बनाती है। | |||
*वाष्पशील पदार्थ आसानी से विघटित हो जाता है जिससे धातु आसानी से प्राप्त की जा सकती है। | |||
इसकी निम्न लिखित विधियां हैं: | |||
*निकिल शोधन का मॉंड प्रक्रम | |||
*जर्कोनियम या टाइटेनियम शोधन की वैन अर्केल विधि | |||
==निकिल शोधन का मॉंड प्रक्रम== | |||
इस विधि में निकिल को [[कार्बन मोनोऑक्साइड]] के साथ गर्म करते हैं जिससे वाष्पशील निकिल टेट्राकार्बोनिल संकुल प्राप्त होता है। | |||
<chem>Ni + 4CO ->[330-350K] [Ni(CO)4]</chem> | |||
प्राप्त संकुल को और अधिक ताप पर गर्म करने पर वह विघटित हो जाता है जिससे शुद्ध धातु प्राप्त होती है। | |||
<chem>[Ni(CO)4] ->[450-470K] Ni + 4CO</chem> | |||
==जर्कोनियम या टाइटेनियम शोधन की वैन अर्केल विधि== | |||
यह विधि तथा जैसी कुछ धातुओं से अशुद्धियों की तरह उपस्थित सम्पूर्ण ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन को दूर करने के लिए उपयोगी है। परिष्कृत धातु को आयोडीन के साथ गर्म करने पर धातु आयोडाइड अधिक सहसंयोजी होने के कारण वाष्पीकृत हो जाता है। | |||
<chem>Zr + 2I2 ->ZrI4</chem> | |||
धातु आयोडाइड को ताप पर गर्म करने पर टंगस्टन तंतु पर धातु आयोडाइड विघटित हो जाता है। और इस प्रकार शुद्ध धातु तंतु पर जमा हो जाती है। | |||
<chem>ZrI4 -> Zr + 2I2</chem> | |||
==अभ्यास प्रश्न== | |||
*निकिल शोधन का मॉंड प्रक्रम लिखिए। | |||
*वैन अर्केल विधि किस धातु के शोधन के लिए उपयोग की जाती है ? | |||
*वाष्प प्रावस्था परिष्करण क्या है ? समझिये। |
Latest revision as of 16:48, 30 May 2024
वाष्प प्रावस्था परिष्करण विधि में, धातु को वाष्पशील यौगिक में परिवर्तित किया जाता है तथा वाष्पित यौगिक को एकत्र कर लेते हैं। इसके बाद उसको विघटित करते हैं। विघटित करने पर हमे शुद्ध धातु प्राप्त हो जाती है।
- उपलब्ध अभिकर्मक के साथ धातु वाष्पशील यौगिक बनाती है।
- वाष्पशील पदार्थ आसानी से विघटित हो जाता है जिससे धातु आसानी से प्राप्त की जा सकती है।
इसकी निम्न लिखित विधियां हैं:
- निकिल शोधन का मॉंड प्रक्रम
- जर्कोनियम या टाइटेनियम शोधन की वैन अर्केल विधि
निकिल शोधन का मॉंड प्रक्रम
इस विधि में निकिल को कार्बन मोनोऑक्साइड के साथ गर्म करते हैं जिससे वाष्पशील निकिल टेट्राकार्बोनिल संकुल प्राप्त होता है।
प्राप्त संकुल को और अधिक ताप पर गर्म करने पर वह विघटित हो जाता है जिससे शुद्ध धातु प्राप्त होती है।
जर्कोनियम या टाइटेनियम शोधन की वैन अर्केल विधि
यह विधि तथा जैसी कुछ धातुओं से अशुद्धियों की तरह उपस्थित सम्पूर्ण ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन को दूर करने के लिए उपयोगी है। परिष्कृत धातु को आयोडीन के साथ गर्म करने पर धातु आयोडाइड अधिक सहसंयोजी होने के कारण वाष्पीकृत हो जाता है।
धातु आयोडाइड को ताप पर गर्म करने पर टंगस्टन तंतु पर धातु आयोडाइड विघटित हो जाता है। और इस प्रकार शुद्ध धातु तंतु पर जमा हो जाती है।
अभ्यास प्रश्न
- निकिल शोधन का मॉंड प्रक्रम लिखिए।
- वैन अर्केल विधि किस धातु के शोधन के लिए उपयोग की जाती है ?
- वाष्प प्रावस्था परिष्करण क्या है ? समझिये।