द्रवविरागी: Difference between revisions
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द्रवरागी कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं इन्हे [[उत्क्रमणीय प्रक्रम|उत्क्रमणीय]] [[कोलॉइड]] जाता है क्योकी [[वाष्पीकरण]] पर बचे अवशेषों को केवल विलायक में मिलाकर आसानी से वापस कोलाइडल अवस्था में बदला जा सकता है। | |||
==द्रव स्नेही कोलॉइड बनाने की विधि== | |||
स्टार्च, गोंद, जिलेटिन आदि जैसे द्रवस्नेही कोलाइड के कोलाइडल विलयन को ठंड में या गर्म होने पर जल में घोलकर आसानी से तैयार किया जा सकता है। कोलाइडल वैधुत अपघट्य जैसे साबुन और डाई सामग्री के कोलॉइडल विलयन भी इसी तरह तैयार किए जा सकते हैं। | |||
द्रवस्नेही कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं इन्हे उत्क्रमणीय कोलॉइड जाता है क्योकी वाष्पीकरण पर बचे अवशेषों को केवल विलायक में मिलाकर आसानी से वापस कोलाइडल अवस्था में बदला जा सकता है। | |||
===द्रवविरागी कोलॉइड की विशेषताएं=== | |||
द्रवविरागी कोलॉइड की विशेषताएं निम्न लिखित हैं: | |||
*द्रवविरागी कोलॉइड बहुत अस्थाई होते हैं। | |||
*द्रवविरागी कोलॉइड अनउत्क्रमणीय होते हैं। | |||
*इसकी [[श्यानता]] विलायक से कम होती है। | |||
*पृष्ठ तनाव बहुत अधिक होता है। | |||
*इनके अणुओं में आवेश होता है। | |||
*इनके अणुओं को सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है। | |||
*इनका [[स्कंदन]] आसान होता है। | |||
*जब परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण माध्यम के कणों को आपस ,में मिलाया जाता है तो तुरंत कोलॉइड अवस्था प्राप्त नहीं हो जाती है। | |||
==अभ्यास प्रश्न== | |||
*द्रवविरागी कोलॉइड से आप क्या समझते है? | |||
*द्रवस्नेही कोलॉइड और द्रव विरोधी कोलॉइड में क्या अन्तर है? | |||
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Latest revision as of 21:51, 30 May 2024
ऐसे कोलाइडल विलयन जिनमें परिक्षिप्त अवस्था में परिक्षेपण माध्यम के लिए काफी असमानता होती है, अर्थात, वे कोलाइडल विलयन, जिनमे परिक्षिप्त अवस्था और परिक्षेपण माध्यम आपस में एक साथ आसानी से नहीं मिलते हैं, द्रवविरागी कोलाइड कहलाते हैं। इन्हें इमल्सोइड्स के नाम से भी जाना जाता है। 'द्रवविरागी कोलॉइड' और द्रव के बीच आकर्षण कम या ना के बराबर होता है। द्रवविरागी कोलाइड' में विलायक के समान चिपचिपाहट होती है, द्रवविरागी कोलाइड' थर्मोडायनामिक रूप से अस्थिर होते हैं।
द्रवरागी कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं इन्हे उत्क्रमणीय कोलॉइड जाता है क्योकी वाष्पीकरण पर बचे अवशेषों को केवल विलायक में मिलाकर आसानी से वापस कोलाइडल अवस्था में बदला जा सकता है।
द्रव स्नेही कोलॉइड बनाने की विधि
स्टार्च, गोंद, जिलेटिन आदि जैसे द्रवस्नेही कोलाइड के कोलाइडल विलयन को ठंड में या गर्म होने पर जल में घोलकर आसानी से तैयार किया जा सकता है। कोलाइडल वैधुत अपघट्य जैसे साबुन और डाई सामग्री के कोलॉइडल विलयन भी इसी तरह तैयार किए जा सकते हैं।
द्रवस्नेही कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं इन्हे उत्क्रमणीय कोलॉइड जाता है क्योकी वाष्पीकरण पर बचे अवशेषों को केवल विलायक में मिलाकर आसानी से वापस कोलाइडल अवस्था में बदला जा सकता है।
द्रवविरागी कोलॉइड की विशेषताएं
द्रवविरागी कोलॉइड की विशेषताएं निम्न लिखित हैं:
- द्रवविरागी कोलॉइड बहुत अस्थाई होते हैं।
- द्रवविरागी कोलॉइड अनउत्क्रमणीय होते हैं।
- इसकी श्यानता विलायक से कम होती है।
- पृष्ठ तनाव बहुत अधिक होता है।
- इनके अणुओं में आवेश होता है।
- इनके अणुओं को सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है।
- इनका स्कंदन आसान होता है।
- जब परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण माध्यम के कणों को आपस ,में मिलाया जाता है तो तुरंत कोलॉइड अवस्था प्राप्त नहीं हो जाती है।
अभ्यास प्रश्न
- द्रवविरागी कोलॉइड से आप क्या समझते है?
- द्रवस्नेही कोलॉइड और द्रव विरोधी कोलॉइड में क्या अन्तर है?
- कोलॉइड से आप क्या समझते हैं ?