विद्युत अपोहन: Difference between revisions
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[[अपोहन]] की प्रक्रिया में काफी समय लगता है अतः उस समय को कम करने के लिए विद्युत अपोहन का प्रयोग किया जाता है। विद्युत अपोहन एक प्रकार का अपोहन है जिसके दौरान झिल्ली के सभी तरफ से एक इलेक्ट्रोड के बीच तत्काल प्रवाहित होने वाले माध्यम से अवांछित आयनों को [[विलयन]] से हटा दिया जाता है। इसका उपयोग लवण युक्त तरल को अलवणीकृत करने या सांद्रित करने के लिए किया जाता है। | |||
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इस प्रक्रिया के द्वारा आयनिक अशुद्धियों वाले कोलाइडल विलयन को शुद्ध किया जाता है। आयनिक अशुद्धियों से युक्त सॉल को जल में चर्मपत्र से बने एक थैले में रखा जाता है। आयन चर्मपत्र कागज के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं अर्थात छन जाते हैं और इसप्रकार सॉल शुद्ध हो जाता है। विद्युत अपोहन एक ऐसी प्रक्रिया जिसमे दो इलेक्ट्रोड लगे होते हैं एक एनोड (+) का कार्य करता है और दूसरा कैथोड (-) का कार्य करता है विलयन में उपस्थित आयन झिल्ली में से होते हुए बाहर निकल जाते हैं जिसमें ऋणायन एनोड की तरफ जाता है और धनायन कैथोड की तरफ जाता है। एनोड धनावेशित है अतः ऋणायन एनोड की तरफ जाते है और वहाँ जाकर स्कंदित हो जाते हैं ठीक वैसे ही कैथोड ऋणावेशित होते हैं अतः धनायन कैथोड की तरफ चला जाता है और वहाँ जाकर स्कंदित हो जाता है। | |||
जल में घुले हुए आयनिक पदार्थों को हटाने के लिए विद्युत अपोहन का उपयोग किया जाता है। प्राकृतिक प्रक्रिया, नैनोफिल्ट्रेशन और प्रति परासरण जैसी अन्य अलवणीकरण प्रक्रियाओं में, विद्युत अपोहन के सबसे अधिक फायदे उच्च जल पुनर्प्राप्ति, चयनात्मक अलवणीकरण हैं। | |||
=== उदाहरण === | |||
आयन-विनिमय झिल्ली के माध्यम से एक विलयन से [[लवणों का जल अपघटन एवं इनके विलयन का pH|लवण]] आयनों को एक अलग विलयन में ले जाने के लिए विद्युत अपोहन का उपयोग किया जाता है। | |||
=== क्रियाविधि === | |||
विधुत अपोहन में अपोहन से कम समय लगता है इसमें पार्चमेंट झिल्ली के इलेक्ट्रोड लगा दिए जाते हैं और उन इलेक्ट्रोडों द्वारा विधुत धरा प्रवाहित की जाती है जिससे पार्चमेंट झिल्ली से बने थैले में उपस्थित अशुद्धियाँ तेजी से इलेक्ट्रोडों की तरफ जाने लगती है और कुछ समय बाद [[विलयन]] शुद्ध हो जाता है। | |||
== अभ्यास प्रश्न == | |||
* विद्युत अपोहन से आप क्या समझते हैं? | |||
* विद्युत अपोहन प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं? | |||
* इसमें पार्चमेंट झिल्ली का प्रयोग क्यों किया जाता है? |
Latest revision as of 21:59, 30 May 2024
अपोहन की प्रक्रिया में काफी समय लगता है अतः उस समय को कम करने के लिए विद्युत अपोहन का प्रयोग किया जाता है। विद्युत अपोहन एक प्रकार का अपोहन है जिसके दौरान झिल्ली के सभी तरफ से एक इलेक्ट्रोड के बीच तत्काल प्रवाहित होने वाले माध्यम से अवांछित आयनों को विलयन से हटा दिया जाता है। इसका उपयोग लवण युक्त तरल को अलवणीकृत करने या सांद्रित करने के लिए किया जाता है।
विद्युत अपोहन प्रक्रिया
इस प्रक्रिया के द्वारा आयनिक अशुद्धियों वाले कोलाइडल विलयन को शुद्ध किया जाता है। आयनिक अशुद्धियों से युक्त सॉल को जल में चर्मपत्र से बने एक थैले में रखा जाता है। आयन चर्मपत्र कागज के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं अर्थात छन जाते हैं और इसप्रकार सॉल शुद्ध हो जाता है। विद्युत अपोहन एक ऐसी प्रक्रिया जिसमे दो इलेक्ट्रोड लगे होते हैं एक एनोड (+) का कार्य करता है और दूसरा कैथोड (-) का कार्य करता है विलयन में उपस्थित आयन झिल्ली में से होते हुए बाहर निकल जाते हैं जिसमें ऋणायन एनोड की तरफ जाता है और धनायन कैथोड की तरफ जाता है। एनोड धनावेशित है अतः ऋणायन एनोड की तरफ जाते है और वहाँ जाकर स्कंदित हो जाते हैं ठीक वैसे ही कैथोड ऋणावेशित होते हैं अतः धनायन कैथोड की तरफ चला जाता है और वहाँ जाकर स्कंदित हो जाता है।
जल में घुले हुए आयनिक पदार्थों को हटाने के लिए विद्युत अपोहन का उपयोग किया जाता है। प्राकृतिक प्रक्रिया, नैनोफिल्ट्रेशन और प्रति परासरण जैसी अन्य अलवणीकरण प्रक्रियाओं में, विद्युत अपोहन के सबसे अधिक फायदे उच्च जल पुनर्प्राप्ति, चयनात्मक अलवणीकरण हैं।
उदाहरण
आयन-विनिमय झिल्ली के माध्यम से एक विलयन से लवण आयनों को एक अलग विलयन में ले जाने के लिए विद्युत अपोहन का उपयोग किया जाता है।
क्रियाविधि
विधुत अपोहन में अपोहन से कम समय लगता है इसमें पार्चमेंट झिल्ली के इलेक्ट्रोड लगा दिए जाते हैं और उन इलेक्ट्रोडों द्वारा विधुत धरा प्रवाहित की जाती है जिससे पार्चमेंट झिल्ली से बने थैले में उपस्थित अशुद्धियाँ तेजी से इलेक्ट्रोडों की तरफ जाने लगती है और कुछ समय बाद विलयन शुद्ध हो जाता है।
अभ्यास प्रश्न
- विद्युत अपोहन से आप क्या समझते हैं?
- विद्युत अपोहन प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
- इसमें पार्चमेंट झिल्ली का प्रयोग क्यों किया जाता है?