उर्वरता: Difference between revisions
Listen
No edit summary |
No edit summary |
||
(2 intermediate revisions by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
[[Category:प्राकृतिक संपदा]][[Category:कक्षा-9]][[Category:जीव विज्ञान]][[Category:वनस्पति विज्ञान]] | [[Category:प्राकृतिक संपदा]][[Category:कक्षा-9]][[Category:जीव विज्ञान]][[Category:वनस्पति विज्ञान]] | ||
पौधों की [[वृद्धि]] तथा [[विकास]] के लिए मृदा को भौतिक, रसायनिक तथा जैविक शक्ति के योग को मृदा '''''उर्वरता''''' कहते हैं। पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए भौतिक रसायनिक तथा जैविक शक्ति तीनों का अपना विशेष महत्व है यदि इसमें से एक भी शक्ति कम है, तो मृदा की उर्वरता प्रभावित होती है। जैसे-मृदा में पौधों की वृद्धि के लिए पर्याप्त पोषक तत्व है, किंतु यदि जल निकास ठीक से नहीं है, तो जल निकास ना होने के कारण मृदा वायु में कमी होगी जिससे मृदा जीव की वृद्धि प्रभावित होगी उनके लिए प्रतिकूल स्थिति निर्मित होने से मृदा की उर्वरता या [[स्वास्थ्य]] कम होगा। | |||
उर्वरक व्यावसायिक रूप से तैयार पादप पोषक है। उर्वरक नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम आदि प्रदान करते हैं। इनके उपयोग से पत्तियों, शाखाएं तथा फूल आदि में वृद्धि होती है और स्वास्थ्य पौधों की प्राप्ति होती है। अधिक उत्पादन के लिए उर्वरक का प्रयोग किया जाता है। लेकिन यह आर्थिक दृष्टि से बहुत महंगे होते हैं। उर्वरक का उपयोग बहुत ही सावधानीपूर्वक करना चाहिए। | |||
=== उदाहरण === | |||
कभी कभी उर्वरक अधिक सिंचाई के कारण पानी में बह जाते हैं जिससे पौधे उसका पूरा अवशोषण नहीं कर पते हैं। उर्वरक की यह अधिक मात्रा जल प्रदूषण का कारण बनती है। | |||
उर्वरक का अधिक प्रयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति को कम करता है क्योकी उर्वरक में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में उपस्थित जीवों का जीवन चक्र अवरुद्ध करते हैं। उर्वरकों के अधिक उपयोग से फसलों का अधिक उत्पादन कम समय में प्राप्त हो सकता है। लेकिन ये कुछ समय बाद मृदा को हानि पंहुचा सकते हैं। | |||
== कार्बनिक खेती == | |||
कार्बनिक खेती, खेती करने की एक विधि है जिसमे रासायनिक उर्वरक, [[पीड़कनाशी]], [[शाकनाशी]] आदि का उपयोग या तो बहुत कम होता है या बिलकुल नहीं होता है। उदाहरण | |||
नीम की पत्तियों तथा हल्दी का विशेष रूप से जैव [[कीटनाशक]] के उपयोग होता है। | |||
== अभ्यास प्रश्न == | |||
* कार्बनिक खेती से क्या समझते हैं? | |||
* कार्बनिक खेती को किसी एक उदाहरण द्वारा समझाइये। | |||
* उर्वरक क्या हैं ? ये प्रकृति को किस प्रकार हानि पहुंचाते हैं ? |
Latest revision as of 11:31, 5 June 2024
पौधों की वृद्धि तथा विकास के लिए मृदा को भौतिक, रसायनिक तथा जैविक शक्ति के योग को मृदा उर्वरता कहते हैं। पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए भौतिक रसायनिक तथा जैविक शक्ति तीनों का अपना विशेष महत्व है यदि इसमें से एक भी शक्ति कम है, तो मृदा की उर्वरता प्रभावित होती है। जैसे-मृदा में पौधों की वृद्धि के लिए पर्याप्त पोषक तत्व है, किंतु यदि जल निकास ठीक से नहीं है, तो जल निकास ना होने के कारण मृदा वायु में कमी होगी जिससे मृदा जीव की वृद्धि प्रभावित होगी उनके लिए प्रतिकूल स्थिति निर्मित होने से मृदा की उर्वरता या स्वास्थ्य कम होगा।
उर्वरक व्यावसायिक रूप से तैयार पादप पोषक है। उर्वरक नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम आदि प्रदान करते हैं। इनके उपयोग से पत्तियों, शाखाएं तथा फूल आदि में वृद्धि होती है और स्वास्थ्य पौधों की प्राप्ति होती है। अधिक उत्पादन के लिए उर्वरक का प्रयोग किया जाता है। लेकिन यह आर्थिक दृष्टि से बहुत महंगे होते हैं। उर्वरक का उपयोग बहुत ही सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
उदाहरण
कभी कभी उर्वरक अधिक सिंचाई के कारण पानी में बह जाते हैं जिससे पौधे उसका पूरा अवशोषण नहीं कर पते हैं। उर्वरक की यह अधिक मात्रा जल प्रदूषण का कारण बनती है।
उर्वरक का अधिक प्रयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति को कम करता है क्योकी उर्वरक में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में उपस्थित जीवों का जीवन चक्र अवरुद्ध करते हैं। उर्वरकों के अधिक उपयोग से फसलों का अधिक उत्पादन कम समय में प्राप्त हो सकता है। लेकिन ये कुछ समय बाद मृदा को हानि पंहुचा सकते हैं।
कार्बनिक खेती
कार्बनिक खेती, खेती करने की एक विधि है जिसमे रासायनिक उर्वरक, पीड़कनाशी, शाकनाशी आदि का उपयोग या तो बहुत कम होता है या बिलकुल नहीं होता है। उदाहरण
नीम की पत्तियों तथा हल्दी का विशेष रूप से जैव कीटनाशक के उपयोग होता है।
अभ्यास प्रश्न
- कार्बनिक खेती से क्या समझते हैं?
- कार्बनिक खेती को किसी एक उदाहरण द्वारा समझाइये।
- उर्वरक क्या हैं ? ये प्रकृति को किस प्रकार हानि पहुंचाते हैं ?