द्रव्यमान ऊर्जा सिद्धांत: Difference between revisions

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Mass Energy Relation
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द्रव्यमान-ऊर्जा सिद्धांत, जिसे प्रायः समीकरण <math>E=mc^{2},</math>द्वारा व्यक्त किया जाता है, भौतिकी में, विशेष रूप से परमाणु भौतिकी में एक मौलिक अवधारणा है। इसे अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा निबंधित किया गया था और इसने द्रव्यमान और ऊर्जा के बीच सिद्धांतों की समझ में क्रांति ला दी।
 
== द्रव्यमान-ऊर्जा सिद्धांत : मूल अवधारणा ==
 
*    यह अवधारणा बताती है कि द्रव्यमान और ऊर्जा के बीच एक समानता है, और इसे समीकरण <math>E=m\cdot c^2,</math> द्वारा व्यक्त किया जाता है।
*    सरल शब्दों में, इसका तात्पर्य  है कि द्रव्यमान को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है और इसके विपरीत, और रूपांतरण कारक प्रकाश की गति (<math>c</math>) है, जो एक बहुत बड़ी संख्या है (<math>c^2</math> और भी बड़ी है)।
*    यह सिद्धांत परमाणु प्रतिक्रियाओं के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां द्रव्यमान की एक छोटी मात्रा को महत्वपूर्ण मात्रा में ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है, जैसा कि परमाणु विखंडन और संलयन में देखा जाता है।
 
== गणितीय समीकरण ==
द्रव्यमान-ऊर्जा सिद्धांत समीकरण द्वारा व्यक्त किया गया है:
 
<math>E=m\cdot c ^2</math>
 
जहाँ:
 
   <math>E</math> ऊर्जा है (जूल में)।
 
   <math>m</math> द्रव्यमान (किलोग्राम में) है।
 
   <math>c</math> निर्वात में प्रकाश की गति है, जो लगभग <math>3\times10^8</math> मीटर प्रति सेकंड (<math>m/s</math>) है।
 
== आरेख ==
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द्रव्यमान-ऊर्जा सिद्धांत को दर्शाने वाला एक सरलीकृत चित्र  इस तरह दिख सकता है:
 
चित्र में,  देखा जा सकत हैं कि द्रव्यमान (<math>m</math>) और ऊर्जा (<math>E</math>) आपस में जुड़े हुए हैं, और समीकरण<math>E=m\cdot c^2,</math> इस रिश्ते को दर्शाता है।ब्लैक होल के पास का द्रव्यमान पाँच हज़ार प्रकाश वर्ष तक फैले एक अत्यंत ऊर्जावान खगोलभौतिकीय जेट में परिवर्तित हो जाता है । यह दर्शाता है कि द्रव्यमान को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है और इस ही तरह से ऊर्जा से द्रव्यमान का स्थापन भी संभव है ।
 
== प्रमुख बिंदु ==
 
*    द्रव्यमान-ऊर्जा सिद्धांत (<math>E=m\cdot c^2</math>) बताता है कि द्रव्यमान और ऊर्जा समतुल्य और विनिमय हैं।
*    यह परमाणु भौतिकी में एक मौलिक अवधारणा है, जो परमाणु प्रतिक्रियाओं में ऊर्जा रिलीज की व्याख्या करती है।
*    प्रकाश की गति (सीसी) एक बहुत बड़ा स्थिरांक है, यही कारण है कि द्रव्यमान की एक छोटी मात्रा महत्वपूर्ण मात्रा में ऊर्जा जारी कर सकती है।
 
== संक्षेप में ==
द्रव्यमान-ऊर्जा सिद्धांत, जैसा कि आइंस्टीन के समीकरण E=mc² द्वारा वर्णित है, भौतिकी में एक मौलिक अवधारणा है। यह द्रव्यमान और ऊर्जा के बीच समानता पर प्रकाश डालता है और इसका परमाणु प्रतिक्रियाओं, जैसे सितारों, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों और परमाणु हथियारों में गहरा प्रभाव पड़ता है।
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Latest revision as of 12:31, 25 June 2024

Mass Energy Relation

द्रव्यमान-ऊर्जा सिद्धांत, जिसे प्रायः समीकरण द्वारा व्यक्त किया जाता है, भौतिकी में, विशेष रूप से परमाणु भौतिकी में एक मौलिक अवधारणा है। इसे अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा निबंधित किया गया था और इसने द्रव्यमान और ऊर्जा के बीच सिद्धांतों की समझ में क्रांति ला दी।

द्रव्यमान-ऊर्जा सिद्धांत : मूल अवधारणा

  •    यह अवधारणा बताती है कि द्रव्यमान और ऊर्जा के बीच एक समानता है, और इसे समीकरण द्वारा व्यक्त किया जाता है।
  •    सरल शब्दों में, इसका तात्पर्य है कि द्रव्यमान को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है और इसके विपरीत, और रूपांतरण कारक प्रकाश की गति () है, जो एक बहुत बड़ी संख्या है ( और भी बड़ी है)।
  •    यह सिद्धांत परमाणु प्रतिक्रियाओं के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां द्रव्यमान की एक छोटी मात्रा को महत्वपूर्ण मात्रा में ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है, जैसा कि परमाणु विखंडन और संलयन में देखा जाता है।

गणितीय समीकरण

द्रव्यमान-ऊर्जा सिद्धांत समीकरण द्वारा व्यक्त किया गया है:

जहाँ:

   ऊर्जा है (जूल में)।

   द्रव्यमान (किलोग्राम में) है।

   निर्वात में प्रकाश की गति है, जो लगभग मीटर प्रति सेकंड () है।

आरेख

"गैलेक्सी M87 के केंद्र से इलेक्ट्रॉनों और उप-परमाणु कणों का ब्लैक होल-संचालित जेट प्रवाहित होता है"M87*

द्रव्यमान-ऊर्जा सिद्धांत को दर्शाने वाला एक सरलीकृत चित्र इस तरह दिख सकता है:

चित्र में, देखा जा सकत हैं कि द्रव्यमान () और ऊर्जा () आपस में जुड़े हुए हैं, और समीकरण इस रिश्ते को दर्शाता है।ब्लैक होल के पास का द्रव्यमान पाँच हज़ार प्रकाश वर्ष तक फैले एक अत्यंत ऊर्जावान खगोलभौतिकीय जेट में परिवर्तित हो जाता है । यह दर्शाता है कि द्रव्यमान को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है और इस ही तरह से ऊर्जा से द्रव्यमान का स्थापन भी संभव है ।

प्रमुख बिंदु

  •    द्रव्यमान-ऊर्जा सिद्धांत () बताता है कि द्रव्यमान और ऊर्जा समतुल्य और विनिमय हैं।
  •    यह परमाणु भौतिकी में एक मौलिक अवधारणा है, जो परमाणु प्रतिक्रियाओं में ऊर्जा रिलीज की व्याख्या करती है।
  •    प्रकाश की गति (सीसी) एक बहुत बड़ा स्थिरांक है, यही कारण है कि द्रव्यमान की एक छोटी मात्रा महत्वपूर्ण मात्रा में ऊर्जा जारी कर सकती है।

संक्षेप में

द्रव्यमान-ऊर्जा सिद्धांत, जैसा कि आइंस्टीन के समीकरण E=mc² द्वारा वर्णित है, भौतिकी में एक मौलिक अवधारणा है। यह द्रव्यमान और ऊर्जा के बीच समानता पर प्रकाश डालता है और इसका परमाणु प्रतिक्रियाओं, जैसे सितारों, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों और परमाणु हथियारों में गहरा प्रभाव पड़ता है।