दो सामन्तर धाराओं के बीच बल: Difference between revisions
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चुंबकीय क्षेत्र: जब भी किसी तार से विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो यह तार के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र बनाती है। यह चुंबकीय क्षेत्र एक अदृश्य बल क्षेत्र की तरह है, और इसकी ताकत तार के माध्यम से बहने वाली धारा की मात्रा पर निर्भर करती है। दोनों तार अपने चारों ओर अपना चुंबकीय क्षेत्र बनाते हैं क्योंकि उनमें विद्युत धाराएँ प्रवाहित होती हैं। | |||
'''पारस्परिक प्रभाव (इंटरेक्शन):''' इन दोनों तारों के चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं क्योंकि इन्हें समानांतर रखा गया है। जब दो धाराएं एक ही दिशा में बहती हैं (दोनों ऊपर या दोनों नीचे), तो उनके चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे को मजबूत करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप तारों के बीच एक आकर्षक बल उत्पन्न होता है। दूसरी ओर, जब धाराएँ विपरीत दिशाओं में बहती हैं, तो उनके चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे का विरोध करते हैं, जिससे तारों के बीच प्रतिकारक बल उत्पन्न होता है। | |||
'''दाएँ हाथ का नियम:''' चुंबकीय बल की दिशा निर्धारित करने के लिए, हम "दाएँ हाथ के नियम" का उपयोग कर सकते हैं। यदि आप अपने दाहिने अंगूठे को एक तार में करंट की दिशा में इंगित करते हैं और अपनी उंगलियों को मोड़ते हैं, तो जिस दिशा में आपकी उंगलियां मुड़ेंगी वह उस तार के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा को इंगित करेगी। यदि आप दूसरे तार के लिए भी ऐसा ही करते हैं, तो आप यह निर्धारित कर सकते हैं कि बल आकर्षक है या प्रतिकारक। | |||
== संक्षेप में == | == संक्षेप में == | ||
जब दो समानांतर तार विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं, तो वे अपने चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र बनाते हैं। ये चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, जिससे तारों के बीच एक बल उत्पन्न होता है। | जब दो समानांतर तार विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं, तो वे अपने चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र बनाते हैं। ये चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, जिससे तारों के बीच एक बल उत्पन्न होता है। | ||
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Latest revision as of 13:16, 23 September 2024
Force between two parallel currents
कल्पना कीजिए कि आपके पास दो लंबे तार हैं और उनमें से प्रत्येक में विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। विद्युत धारा तार के माध्यम से चलने वाले आवेशित कणों (आमतौर पर इलेक्ट्रॉनों) के प्रवाह की तरह है। अब, जब इन दोनों तारों को एक-दूसरे के समानांतर रखा जाता है, तो कुछ दिलचस्प होता है - वे एक-दूसरे के साथ बातचीत करना शुरू कर देते हैं!
इन दोनों धाराओं के बीच की परस्पर क्रिया उनके बीच एक बल पैदा करती है। इस बल को "चुंबकीय बल" के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह धाराओं द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र से संबंधित है।
कार्य प्रणाली
चुंबकीय क्षेत्र: जब भी किसी तार से विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो यह तार के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र बनाती है। यह चुंबकीय क्षेत्र एक अदृश्य बल क्षेत्र की तरह है, और इसकी ताकत तार के माध्यम से बहने वाली धारा की मात्रा पर निर्भर करती है। दोनों तार अपने चारों ओर अपना चुंबकीय क्षेत्र बनाते हैं क्योंकि उनमें विद्युत धाराएँ प्रवाहित होती हैं।
पारस्परिक प्रभाव (इंटरेक्शन): इन दोनों तारों के चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं क्योंकि इन्हें समानांतर रखा गया है। जब दो धाराएं एक ही दिशा में बहती हैं (दोनों ऊपर या दोनों नीचे), तो उनके चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे को मजबूत करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप तारों के बीच एक आकर्षक बल उत्पन्न होता है। दूसरी ओर, जब धाराएँ विपरीत दिशाओं में बहती हैं, तो उनके चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे का विरोध करते हैं, जिससे तारों के बीच प्रतिकारक बल उत्पन्न होता है।
दाएँ हाथ का नियम: चुंबकीय बल की दिशा निर्धारित करने के लिए, हम "दाएँ हाथ के नियम" का उपयोग कर सकते हैं। यदि आप अपने दाहिने अंगूठे को एक तार में करंट की दिशा में इंगित करते हैं और अपनी उंगलियों को मोड़ते हैं, तो जिस दिशा में आपकी उंगलियां मुड़ेंगी वह उस तार के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा को इंगित करेगी। यदि आप दूसरे तार के लिए भी ऐसा ही करते हैं, तो आप यह निर्धारित कर सकते हैं कि बल आकर्षक है या प्रतिकारक।
संक्षेप में
जब दो समानांतर तार विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं, तो वे अपने चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र बनाते हैं। ये चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, जिससे तारों के बीच एक बल उत्पन्न होता है।