ऑक्सीडेटिव फास्फोराइलेशन: Difference between revisions
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[[Category:वनस्पति विज्ञान]] | ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन कोशिकीय [[श्वसन]] का अंतिम चरण है और यह [[माइटोकॉन्ड्रिया]] में होता है। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोशिकाएँ ATP (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) उत्पन्न करती हैं, जिसका उपयोग विभिन्न कोशिकीय गतिविधियों के लिए ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जाता है। यह प्रक्रिया ग्लाइकोलाइसिस और [[क्रेब्स चक्र]] के बाद होती है और इसमें दो प्रमुख घटक शामिल होते हैं: इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट चेन (ETC) और केमियोस्मोसिस। | ||
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'''प्रोटॉन पंपिंग:''' जारी की गई ऊर्जा का उपयोग प्रोटीन कॉम्प्लेक्स द्वारा माइटोकॉन्ड्रियल मैट्रिक्स से [[प्रोटॉन]] (H⁺ आयन) को इंटरमेम्ब्रेन स्पेस में पंप करने के लिए किया जाता है। यह आंतरिक माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली में एक इलेक्ट्रोकेमिकल ग्रेडिएंट (प्रोटॉन ग्रेडिएंट) बनाता है। | |||
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'''स्थान:''' यह आंतरिक माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली में होता है। | |||
'''प्रक्रिया:''' ETC द्वारा इंटरमेम्ब्रेन स्पेस में पंप किए गए प्रोटॉन (H⁺ आयन) ATP सिंथेस के माध्यम से माइटोकॉन्ड्रियल मैट्रिक्स में वापस प्रवाहित होते हैं, जो आंतरिक माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली में एम्बेडेड एक प्रोटीन कॉम्प्लेक्स है। | |||
'''एटीपी संश्लेषण:''' जैसे ही प्रोटॉन एटीपी सिंथेस से प्रवाहित होते हैं, [[एंजाइम]] एडीपी (एडेनोसिन डिफॉस्फेट) और अकार्बनिक फॉस्फेट (पीआई) को एटीपी में बदलने के लिए प्रोटॉन ग्रेडिएंट से ऊर्जा का उपयोग करता है। ऑक्सीजन की भूमिका (अंतिम इलेक्ट्रॉन स्वीकर्ता): ईटीसी के अंत में, इलेक्ट्रॉनों को ऑक्सीजन (O₂) में स्थानांतरित किया जाता है, जो अंतिम इलेक्ट्रॉन स्वीकर्ता है। ऑक्सीजन प्रोटॉन (H⁺) के साथ मिलकर पानी (H₂O) बनाता है। यह चरण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ईटीसी में इलेक्ट्रॉनों के बैकअप को रोकता है, जिससे प्रक्रिया जारी रहती है। ऑक्सीजन के बिना, ईटीसी बंद हो जाएगा, और एटीपी उत्पादन अवरुद्ध हो जाएगा। | |||
* ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन सेलुलर [[श्वसन]] का वह चरण है जहां एटीपी बड़ी मात्रा में उत्पादित होता है। इसमें इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट चेन (ईटीसी) और केमियोस्मोसिस शामिल हैं। पिछले चरणों (ग्लाइकोलाइसिस और क्रेब्स चक्र) में उत्पन्न NADH और FADH₂ ETC को इलेक्ट्रॉन दान करते हैं। | |||
* इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण से मुक्त ऊर्जा का उपयोग माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली में प्रोटॉन पंप करने के लिए किया जाता है, जिससे प्रोटॉन ग्रेडिएंट बनता है। | |||
* ATP सिंथेस इस ग्रेडिएंट का उपयोग ATP बनाने के लिए करता है क्योंकि प्रोटॉन मैट्रिक्स में वापस प्रवाहित होते हैं। | |||
* ऑक्सीजन अंतिम इलेक्ट्रॉन स्वीकर्ता के रूप में कार्य करता है, जिससे पानी बनता है। | |||
== विस्तृत प्रक्रिया: == | |||
=== इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला (ETC): === | |||
'''कॉम्प्लेक्स I (NADH डिहाइड्रोजनेज):''' NADH कॉम्प्लेक्स I को इलेक्ट्रॉन दान करता है। इलेक्ट्रॉन NADH से यूबिक्विनोन (CoQ) में चले जाते हैं, और प्रोटॉन को इंटरमेम्ब्रेन स्पेस में पंप किया जाता है। | |||
'''कॉम्प्लेक्स II (सक्सिनेट डिहाइड्रोजनेज):''' FADH₂ कॉम्प्लेक्स II को इलेक्ट्रॉन दान करता है। इन इलेक्ट्रॉनों को यूबिक्विनोन (CoQ) में स्थानांतरित किया जाता है, लेकिन इस चरण में कोई प्रोटॉन पंप नहीं किया जाता है। | |||
'''कॉम्प्लेक्स III (साइटोक्रोम bc₁ कॉम्प्लेक्स):''' यूबिक्विनोन (CoQ) इलेक्ट्रॉनों को कॉम्प्लेक्स III में स्थानांतरित करता है, जो फिर उन्हें साइटोक्रोम c में स्थानांतरित करता है। प्रोटॉन को इंटरमेम्ब्रेन स्पेस में पंप किया जाता है। कॉम्प्लेक्स IV (साइटोक्रोम c ऑक्सीडेज): साइटोक्रोम c से इलेक्ट्रॉन ऑक्सीजन अणुओं में स्थानांतरित होते हैं, जो प्रोटॉन के साथ मिलकर पानी बनाते हैं। | |||
== केमियोस्मोसिस == | |||
जैसे ही प्रोटॉन (H⁺ आयन) ATP सिंथेस के माध्यम से मैट्रिक्स में वापस प्रवाहित होते हैं, ADP और अकार्बनिक फॉस्फेट (Pi) को ATP में बदलने के लिए ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। ATP सिंथेस के माध्यम से प्रोटॉन का प्रवाह ETC द्वारा बनाए गए प्रोटॉन ग्रेडिएंट द्वारा संचालित होता है। | |||
=== ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन से ATP उपज === | |||
ETC में प्रवेश करने वाले प्रत्येक NADH के परिणामस्वरूप लगभग 3 ATP अणु बनते हैं। प्रत्येक FADH₂ लगभग 2 ATP अणु उत्पन्न करता है। ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन द्वारा उत्पादित कुल एटीपी [[कोशिकीय श्वसन]] के पहले चरणों में उत्पन्न NADH और FADH₂ अणुओं की संख्या पर निर्भर करता है। | |||
== ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन का महत्व == | |||
* एटीपी उत्पादन: यह कोशिकीय श्वसन के दौरान अधिकांश एटीपी का उत्पादन करता है, जो ऊर्जा-गहन कोशिकीय प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है। | |||
* ऑक्सीजन का उपयोग: यह ऑक्सीजन पर निर्भर (एरोबिक श्वसन) है और यही कारण है कि एरोबिक जीवों में कुशल एटीपी उत्पादन के लिए ऑक्सीजन महत्वपूर्ण है। | |||
* पानी का उत्पादन: इसके परिणामस्वरूप उपोत्पाद के रूप में पानी का निर्माण होता है, जो कोशिकीय प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण है। | |||
== संबंधित प्रश्न == | |||
* ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन में शामिल मुख्य चरण क्या हैं? | |||
* इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट चेन (ETC) प्रोटॉन ग्रेडिएंट कैसे बनाती है? | |||
* ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन में ऑक्सीजन की क्या भूमिका है? | |||
* केमियोस्मोसिस के दौरान ATP सिंथेस कैसे काम करता है? |
Latest revision as of 13:09, 20 November 2024
ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन कोशिकीय श्वसन का अंतिम चरण है और यह माइटोकॉन्ड्रिया में होता है। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोशिकाएँ ATP (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) उत्पन्न करती हैं, जिसका उपयोग विभिन्न कोशिकीय गतिविधियों के लिए ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जाता है। यह प्रक्रिया ग्लाइकोलाइसिस और क्रेब्स चक्र के बाद होती है और इसमें दो प्रमुख घटक शामिल होते हैं: इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट चेन (ETC) और केमियोस्मोसिस।
ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन में शामिल चरण:
इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट चेन (ETC):
स्थान: ETC आंतरिक माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली में स्थित होता है।
प्रक्रिया: उच्च-ऊर्जा इलेक्ट्रॉन आंतरिक माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली में एम्बेडेड प्रोटीन कॉम्प्लेक्स (कॉम्प्लेक्स I से कॉम्प्लेक्स IV) की एक श्रृंखला के माध्यम से स्थानांतरित होते हैं।
इलेक्ट्रॉन दाता: इलेक्ट्रॉन NADH और FADH₂ से आते हैं, जो कोशिकीय श्वसन (ग्लाइकोलाइसिस और क्रेब्स चक्र) के पहले चरणों में उत्पादित किए गए थे।
NADH कॉम्प्लेक्स I को इलेक्ट्रॉन दान करता है, और FADH₂ कॉम्प्लेक्स II को इलेक्ट्रॉन दान करता है।
इलेक्ट्रॉन प्रवाह: जैसे ही इलेक्ट्रॉन ETC के कॉम्प्लेक्स से गुजरते हैं, वे ऊर्जा छोड़ते हैं।
प्रोटॉन पंपिंग: जारी की गई ऊर्जा का उपयोग प्रोटीन कॉम्प्लेक्स द्वारा माइटोकॉन्ड्रियल मैट्रिक्स से प्रोटॉन (H⁺ आयन) को इंटरमेम्ब्रेन स्पेस में पंप करने के लिए किया जाता है। यह आंतरिक माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली में एक इलेक्ट्रोकेमिकल ग्रेडिएंट (प्रोटॉन ग्रेडिएंट) बनाता है।
केमियोस्मोसिस:
स्थान: यह आंतरिक माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली में होता है।
प्रक्रिया: ETC द्वारा इंटरमेम्ब्रेन स्पेस में पंप किए गए प्रोटॉन (H⁺ आयन) ATP सिंथेस के माध्यम से माइटोकॉन्ड्रियल मैट्रिक्स में वापस प्रवाहित होते हैं, जो आंतरिक माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली में एम्बेडेड एक प्रोटीन कॉम्प्लेक्स है।
एटीपी संश्लेषण: जैसे ही प्रोटॉन एटीपी सिंथेस से प्रवाहित होते हैं, एंजाइम एडीपी (एडेनोसिन डिफॉस्फेट) और अकार्बनिक फॉस्फेट (पीआई) को एटीपी में बदलने के लिए प्रोटॉन ग्रेडिएंट से ऊर्जा का उपयोग करता है। ऑक्सीजन की भूमिका (अंतिम इलेक्ट्रॉन स्वीकर्ता): ईटीसी के अंत में, इलेक्ट्रॉनों को ऑक्सीजन (O₂) में स्थानांतरित किया जाता है, जो अंतिम इलेक्ट्रॉन स्वीकर्ता है। ऑक्सीजन प्रोटॉन (H⁺) के साथ मिलकर पानी (H₂O) बनाता है। यह चरण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ईटीसी में इलेक्ट्रॉनों के बैकअप को रोकता है, जिससे प्रक्रिया जारी रहती है। ऑक्सीजन के बिना, ईटीसी बंद हो जाएगा, और एटीपी उत्पादन अवरुद्ध हो जाएगा।
- ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन सेलुलर श्वसन का वह चरण है जहां एटीपी बड़ी मात्रा में उत्पादित होता है। इसमें इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट चेन (ईटीसी) और केमियोस्मोसिस शामिल हैं। पिछले चरणों (ग्लाइकोलाइसिस और क्रेब्स चक्र) में उत्पन्न NADH और FADH₂ ETC को इलेक्ट्रॉन दान करते हैं।
- इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण से मुक्त ऊर्जा का उपयोग माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली में प्रोटॉन पंप करने के लिए किया जाता है, जिससे प्रोटॉन ग्रेडिएंट बनता है।
- ATP सिंथेस इस ग्रेडिएंट का उपयोग ATP बनाने के लिए करता है क्योंकि प्रोटॉन मैट्रिक्स में वापस प्रवाहित होते हैं।
- ऑक्सीजन अंतिम इलेक्ट्रॉन स्वीकर्ता के रूप में कार्य करता है, जिससे पानी बनता है।
विस्तृत प्रक्रिया:
इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला (ETC):
कॉम्प्लेक्स I (NADH डिहाइड्रोजनेज): NADH कॉम्प्लेक्स I को इलेक्ट्रॉन दान करता है। इलेक्ट्रॉन NADH से यूबिक्विनोन (CoQ) में चले जाते हैं, और प्रोटॉन को इंटरमेम्ब्रेन स्पेस में पंप किया जाता है।
कॉम्प्लेक्स II (सक्सिनेट डिहाइड्रोजनेज): FADH₂ कॉम्प्लेक्स II को इलेक्ट्रॉन दान करता है। इन इलेक्ट्रॉनों को यूबिक्विनोन (CoQ) में स्थानांतरित किया जाता है, लेकिन इस चरण में कोई प्रोटॉन पंप नहीं किया जाता है।
कॉम्प्लेक्स III (साइटोक्रोम bc₁ कॉम्प्लेक्स): यूबिक्विनोन (CoQ) इलेक्ट्रॉनों को कॉम्प्लेक्स III में स्थानांतरित करता है, जो फिर उन्हें साइटोक्रोम c में स्थानांतरित करता है। प्रोटॉन को इंटरमेम्ब्रेन स्पेस में पंप किया जाता है। कॉम्प्लेक्स IV (साइटोक्रोम c ऑक्सीडेज): साइटोक्रोम c से इलेक्ट्रॉन ऑक्सीजन अणुओं में स्थानांतरित होते हैं, जो प्रोटॉन के साथ मिलकर पानी बनाते हैं।
केमियोस्मोसिस
जैसे ही प्रोटॉन (H⁺ आयन) ATP सिंथेस के माध्यम से मैट्रिक्स में वापस प्रवाहित होते हैं, ADP और अकार्बनिक फॉस्फेट (Pi) को ATP में बदलने के लिए ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। ATP सिंथेस के माध्यम से प्रोटॉन का प्रवाह ETC द्वारा बनाए गए प्रोटॉन ग्रेडिएंट द्वारा संचालित होता है।
ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन से ATP उपज
ETC में प्रवेश करने वाले प्रत्येक NADH के परिणामस्वरूप लगभग 3 ATP अणु बनते हैं। प्रत्येक FADH₂ लगभग 2 ATP अणु उत्पन्न करता है। ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन द्वारा उत्पादित कुल एटीपी कोशिकीय श्वसन के पहले चरणों में उत्पन्न NADH और FADH₂ अणुओं की संख्या पर निर्भर करता है।
ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन का महत्व
- एटीपी उत्पादन: यह कोशिकीय श्वसन के दौरान अधिकांश एटीपी का उत्पादन करता है, जो ऊर्जा-गहन कोशिकीय प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है।
- ऑक्सीजन का उपयोग: यह ऑक्सीजन पर निर्भर (एरोबिक श्वसन) है और यही कारण है कि एरोबिक जीवों में कुशल एटीपी उत्पादन के लिए ऑक्सीजन महत्वपूर्ण है।
- पानी का उत्पादन: इसके परिणामस्वरूप उपोत्पाद के रूप में पानी का निर्माण होता है, जो कोशिकीय प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
संबंधित प्रश्न
- ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन में शामिल मुख्य चरण क्या हैं?
- इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट चेन (ETC) प्रोटॉन ग्रेडिएंट कैसे बनाती है?
- ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन में ऑक्सीजन की क्या भूमिका है?
- केमियोस्मोसिस के दौरान ATP सिंथेस कैसे काम करता है?