विलयन में आयनिक साम्यावस्था: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

 
(10 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
[[Category:रसायन विज्ञान]]
[[Category:साम्यावस्था]][[Category:कक्षा-11]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:भौतिक रसायन]]
[[Category:साम्यावस्था]]
[[विलयन]] में आयनिक साम्यवास्था रसायन विज्ञान में एक मौलिक अवधारणा है, विशेष रूप से जलीय विलयनों में वैधुत अपघट्य के और [[अम्ल]] और [[क्षार]] के व्यवहार को समझने में। आयनिक साम्यावस्था एक विलयन में आयनों के बीच स्थापित साम्यावस्था से संबंधित है। जब [[आयनिक चालकता|आयनिक]] [[यौगिक]] जल में घुलते हैं, तो वे अपने घटक आयनों में वियोजित हो जाते हैं। विघटित आयनों और असंबद्ध अणुओं के बीच साम्यावस्था को आयनिक साम्यावस्था कहा जाता है।
 
लवणों का जलीय विलयन उदासीन, अम्लीय और क्षारीय होता है, जो लवण की प्रकृति पर निर्भर करता है। जैसा कि हम जानते हैं कि किसी लवण को जल में विलीन करने पर वह अपने आयनों में टूट जाता है और धनायन और ऋणायन प्राप्त होते हैं दोनों जल के अणुओं से अभिक्रिया करके अम्लीय या क्षारीय विलयन बनाते हैं तो इस अभिक्रिया के लवण का जल अपघटन कहते हैं। लवण का [[जल अपघटन अभिक्रिया|जल अपघटन]] एक उत्क्रमणीय प्रक्रिया है। जिसमे लवण और उसके आयनों के बीच साम्यावस्था होती है। किसी लवण की जल से अभिक्रिया कराने पर अम्ल तथा क्षार का बनना लवण जल अपघटन कहलाता है, सभी प्रकार के लवणों का जल अपघटन नहीं होता है।
 
===उदाहरण===
जल एक दुर्बल वैधुत अपघट्य होता है अतः यह जल्दी आयनित नहीं होता जिसमे जल और उसके आयनों के मध्य साम्यावस्था होती है,
 
<chem>H2O <=> H+ + OH-</chem>
 
शुद्ध जल उदासीन होता है क्योकी उसके आयनों और अणुओं के मध्य साम्यावस्था रहती है।
 
जल द्वारा NCl<sub>3</sub> के जल अपघटन से अमोनियम हाइड्रॉक्साइड और हाइपोक्लोरस अम्ल का निर्माण होता है।
 
<chem>NCl3 + 4H2O -> NH4OH + 3HOCl</chem>
 
== वैधुत अपघट्य ==
वे [[पदार्थ]] जिनको जल में घोलने पर यह अपने आयनों में विभाजित हो जाते है वैधुत अपघट्य [[पदार्थ]] कहलाते हैं। इससे धनायन और ऋणायन प्राप्त होते हैं। जब किसी लवण के जलीय विलयन में विद्युत [[धारा]] प्रवाहित की जाती है, तो विलयन का धनात्मक व ऋणात्मक आयनों में अपघटन हो जाता है। इस घटना को '''''वैधुत अपघट्य''''' कहते हैं।
 
जब किसी विद्युत अपघट्य लवण का जलीय विलयन बनाते हैं, तो लवण दो प्रकार के आयनों में टूट जाता है। इन आयनों पर विपरीत प्रकार के आवेश होते हैं। जिन आयनों पर धन-आवेश होता है, उन्हें ‘धनायन’ कहते हैं तथा ऋणावेश वाले आयनों को ‘ऋणायन’ कहते हैं। जिस उपकरण में लवणों (Salts) के जलीय विलयनों का विद्युत अपघटन होता है उसे वोल्टामीटर’ (Voltameter) कहते हैं।
 
उदाहरण
 
<chem>NaCl  <=> Na+ + Cl-</chem>
 
वैधुत अपघट्य एक ऐसा पदार्थ है जो अपने जलीय विलयन में अपने [[आयन]] में वियोजित हो जाता है। धनावेशित आयनों को धनायन कहा जाता है। ऋणावेशित आयनों को ऋणायन आयन कहा जाता है।
 
आयनों के प्रवाह के कारण वैधुत अपघट्य पदार्थ बिजली के अच्छे चालक होते हैं।
 
उदाहरण: NaCl ([[सोडियम क्लोराइड]]), HCl (हाइड्रोजन क्लोराइड), NaOH ([[सोडियम हाइड्रॉक्साइड]]), CH<sub>3</sub>COOH (एसिटिक अम्ल), NH<sub>4</sub>OH (अमोनियम हाइड्रॉक्साइड), आदि।
==वैधुत अपघट्य पदार्थ के प्रकार==
वैधुत अपघट्य पदार्थ दो प्रकार के होते हैं:
*प्रबल वैधुत अपघट्य
*दुर्बल वैधुत अपघट्य
===प्रबल वैधुत अपघट्य===
प्रबल वैधुत अपघट्य वे वैधुत अपघट्य होते हैं जो पूरी तरह से आयनित होते हैं। इन वैधुत अपघट्य में [[आयनीकरण एन्थैल्पी|आयनीकरण]] की उच्च आयनन एन्थैलपी होने के कारण उच्च [[विद्युत चालकता]] होती है।
 
जैसे - [[सोडियम क्लोराइड]], पोटेशियम क्लोराइड, [[सोडियम हाइड्रॉक्साइड]], पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड।
 
<chem>KCl <=> K+ + Cl-</chem>
===दुर्बल वैधुत अपघट्य===
दुर्बल वैधुत अपघट्य वे वैधुत अपघट्य होते हैं जो आंशिक रूप से आयनित होते हैं। इन वैधुत अपघट्य में आयनीकरण की निम्न आयनन एन्थैलपी होने के कारण  विद्युत चालकता भी निम्न होती है।
 
<chem>CH3COOH <=> CH3COO- + H+</chem>
 
जैसे, ऑक्सालिक अम्ल, फॉर्मिक अम्ल, एसिटिक अम्ल, अमोनियम हाइड्रॉक्साइड, [[कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड या बुझा चूना, Ca(OH)2|कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड]]।
 
== जल का आयनन स्थिरांक एवं इसका आयनिक गुणनफल ==
शुद्ध जल की विशिष्ट चालकता बहुत कम होती है। जल के अणुओं में जल का केवल एक [[अणु]] आयनित होता है साधारण ताप पर जल की [[मोललता]] मोल प्रति लीटर और जल की आयनन की मात्रा है। शुद्ध जल एवं जलीय विलयनों में जल के अनआयनित अणुओं और उसके आयनों के मध्य साम्य रहता है।
 
इस साम्य पर द्रव्य अनुपाती क्रिया का नियम लगाने पर निम्न साम्यस्थिरांक व्यंजक प्राप्त होता है,
 
जहाँ, K, जल का आयनन स्थिरांक है।
 
निश्चित ताप पर, शुद्ध जल एवं तनु जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयनों, H<sup>+</sup>, और हाइड्रॉक्साइड आयनों, OH<sup>-</sup>, की सांद्रताओं का गुणनफल निश्चित और स्थिर होता है। जिसे जल का आयनिक गुणनफल कहते हैं।
 
साधारण ताप (25<sup>0</sup>C) पर,
 
शुद्ध जल में हाइड्रोजन आयनों और हाइड्रॉक्साइड आयनों, की सांद्रताएँ बराबर होती हैं। अतः
 
[H<sup>+</sup>] = [OH<sup>-</sup>] =
 
साधारण ताप (25<sup>0</sup>C) पर, शुद्ध जल में,
 
[H<sup>+</sup>] = [OH<sup>-</sup>] =
 
=  मोल / लीटर
 
जिस जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयनों और हाइड्रॉक्साइड आयनों की सांद्रताएं बराबर होती हैं उसे उदासीन [[विलयन]] कहते हैं। यदि [H<sup>+</sup>] > 1.0 तो विलयन अम्लीय और यदि [H<sup>+</sup>] < 1.0 तो विलयन क्षारीय होता है। यह क्षारीय विलयन में और अम्ल के विलयन में होता है।
 
==अभ्यास प्रश्न==
*वैधुत अपघट्य पदार्थ से आप क्या समझते हैं ?
*वैधुत अपघट्य पदार्थ कितने प्रकार के होते हैं ?
*प्रबल वैधुत अपघट्य को उदाहरण द्वारा समझाइये।
*जल के आयनिक गुणनफल से आप क्या समझते हैं ?

Latest revision as of 12:47, 29 May 2024

विलयन में आयनिक साम्यवास्था रसायन विज्ञान में एक मौलिक अवधारणा है, विशेष रूप से जलीय विलयनों में वैधुत अपघट्य के और अम्ल और क्षार के व्यवहार को समझने में। आयनिक साम्यावस्था एक विलयन में आयनों के बीच स्थापित साम्यावस्था से संबंधित है। जब आयनिक यौगिक जल में घुलते हैं, तो वे अपने घटक आयनों में वियोजित हो जाते हैं। विघटित आयनों और असंबद्ध अणुओं के बीच साम्यावस्था को आयनिक साम्यावस्था कहा जाता है।

लवणों का जलीय विलयन उदासीन, अम्लीय और क्षारीय होता है, जो लवण की प्रकृति पर निर्भर करता है। जैसा कि हम जानते हैं कि किसी लवण को जल में विलीन करने पर वह अपने आयनों में टूट जाता है और धनायन और ऋणायन प्राप्त होते हैं दोनों जल के अणुओं से अभिक्रिया करके अम्लीय या क्षारीय विलयन बनाते हैं तो इस अभिक्रिया के लवण का जल अपघटन कहते हैं। लवण का जल अपघटन एक उत्क्रमणीय प्रक्रिया है। जिसमे लवण और उसके आयनों के बीच साम्यावस्था होती है। किसी लवण की जल से अभिक्रिया कराने पर अम्ल तथा क्षार का बनना लवण जल अपघटन कहलाता है, सभी प्रकार के लवणों का जल अपघटन नहीं होता है।

उदाहरण

जल एक दुर्बल वैधुत अपघट्य होता है अतः यह जल्दी आयनित नहीं होता जिसमे जल और उसके आयनों के मध्य साम्यावस्था होती है,

शुद्ध जल उदासीन होता है क्योकी उसके आयनों और अणुओं के मध्य साम्यावस्था रहती है।

जल द्वारा NCl3 के जल अपघटन से अमोनियम हाइड्रॉक्साइड और हाइपोक्लोरस अम्ल का निर्माण होता है।

वैधुत अपघट्य

वे पदार्थ जिनको जल में घोलने पर यह अपने आयनों में विभाजित हो जाते है वैधुत अपघट्य पदार्थ कहलाते हैं। इससे धनायन और ऋणायन प्राप्त होते हैं। जब किसी लवण के जलीय विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो विलयन का धनात्मक व ऋणात्मक आयनों में अपघटन हो जाता है। इस घटना को वैधुत अपघट्य कहते हैं।

जब किसी विद्युत अपघट्य लवण का जलीय विलयन बनाते हैं, तो लवण दो प्रकार के आयनों में टूट जाता है। इन आयनों पर विपरीत प्रकार के आवेश होते हैं। जिन आयनों पर धन-आवेश होता है, उन्हें ‘धनायन’ कहते हैं तथा ऋणावेश वाले आयनों को ‘ऋणायन’ कहते हैं। जिस उपकरण में लवणों (Salts) के जलीय विलयनों का विद्युत अपघटन होता है उसे वोल्टामीटर’ (Voltameter) कहते हैं।

उदाहरण

वैधुत अपघट्य एक ऐसा पदार्थ है जो अपने जलीय विलयन में अपने आयन में वियोजित हो जाता है। धनावेशित आयनों को धनायन कहा जाता है। ऋणावेशित आयनों को ऋणायन आयन कहा जाता है।

आयनों के प्रवाह के कारण वैधुत अपघट्य पदार्थ बिजली के अच्छे चालक होते हैं।

उदाहरण: NaCl (सोडियम क्लोराइड), HCl (हाइड्रोजन क्लोराइड), NaOH (सोडियम हाइड्रॉक्साइड), CH3COOH (एसिटिक अम्ल), NH4OH (अमोनियम हाइड्रॉक्साइड), आदि।

वैधुत अपघट्य पदार्थ के प्रकार

वैधुत अपघट्य पदार्थ दो प्रकार के होते हैं:

  • प्रबल वैधुत अपघट्य
  • दुर्बल वैधुत अपघट्य

प्रबल वैधुत अपघट्य

प्रबल वैधुत अपघट्य वे वैधुत अपघट्य होते हैं जो पूरी तरह से आयनित होते हैं। इन वैधुत अपघट्य में आयनीकरण की उच्च आयनन एन्थैलपी होने के कारण उच्च विद्युत चालकता होती है।

जैसे - सोडियम क्लोराइड, पोटेशियम क्लोराइड, सोडियम हाइड्रॉक्साइड, पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड।

दुर्बल वैधुत अपघट्य

दुर्बल वैधुत अपघट्य वे वैधुत अपघट्य होते हैं जो आंशिक रूप से आयनित होते हैं। इन वैधुत अपघट्य में आयनीकरण की निम्न आयनन एन्थैलपी होने के कारण  विद्युत चालकता भी निम्न होती है।

जैसे, ऑक्सालिक अम्ल, फॉर्मिक अम्ल, एसिटिक अम्ल, अमोनियम हाइड्रॉक्साइड, कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड

जल का आयनन स्थिरांक एवं इसका आयनिक गुणनफल

शुद्ध जल की विशिष्ट चालकता बहुत कम होती है। जल के अणुओं में जल का केवल एक अणु आयनित होता है साधारण ताप पर जल की मोललता मोल प्रति लीटर और जल की आयनन की मात्रा है। शुद्ध जल एवं जलीय विलयनों में जल के अनआयनित अणुओं और उसके आयनों के मध्य साम्य रहता है।

इस साम्य पर द्रव्य अनुपाती क्रिया का नियम लगाने पर निम्न साम्यस्थिरांक व्यंजक प्राप्त होता है,

जहाँ, K, जल का आयनन स्थिरांक है।

निश्चित ताप पर, शुद्ध जल एवं तनु जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयनों, H+, और हाइड्रॉक्साइड आयनों, OH-, की सांद्रताओं का गुणनफल निश्चित और स्थिर होता है। जिसे जल का आयनिक गुणनफल कहते हैं।

साधारण ताप (250C) पर,

शुद्ध जल में हाइड्रोजन आयनों और हाइड्रॉक्साइड आयनों, की सांद्रताएँ बराबर होती हैं। अतः

[H+] = [OH-] =

साधारण ताप (250C) पर, शुद्ध जल में,

[H+] = [OH-] =

=  मोल / लीटर

जिस जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयनों और हाइड्रॉक्साइड आयनों की सांद्रताएं बराबर होती हैं उसे उदासीन विलयन कहते हैं। यदि [H+] > 1.0 तो विलयन अम्लीय और यदि [H+] < 1.0 तो विलयन क्षारीय होता है। यह क्षारीय विलयन में और अम्ल के विलयन में होता है।

अभ्यास प्रश्न

  • वैधुत अपघट्य पदार्थ से आप क्या समझते हैं ?
  • वैधुत अपघट्य पदार्थ कितने प्रकार के होते हैं ?
  • प्रबल वैधुत अपघट्य को उदाहरण द्वारा समझाइये।
  • जल के आयनिक गुणनफल से आप क्या समझते हैं ?