अध्यारोपण का सिद्धांत: Difference between revisions
Listen
No edit summary |
|||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 15: | Line 15: | ||
व्यतिकरण विन्यास: दो तरंगों की सापेक्ष स्थिति और उनके बीच चरण संबंध के आधार पर, विभिन्न व्यतिकरण विन्यास हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप रचनात्मक व्यतिकरण के क्षेत्रों का निरीक्षण कर जहां तरंगें एक-दूसरे को सुदृढ़ करती हैं, और विनाशकारी व्यतिकरण के क्षेत्रों को देख सकते हैं जहां तरंगें एक-दूसरे को रद्द कर देती हैं। | व्यतिकरण विन्यास: दो तरंगों की सापेक्ष स्थिति और उनके बीच चरण संबंध के आधार पर, विभिन्न व्यतिकरण विन्यास हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप रचनात्मक व्यतिकरण के क्षेत्रों का निरीक्षण कर जहां तरंगें एक-दूसरे को सुदृढ़ करती हैं, और विनाशकारी व्यतिकरण के क्षेत्रों को देख सकते हैं जहां तरंगें एक-दूसरे को रद्द कर देती हैं। | ||
== संक्षेप में == | |||
अध्यारोपण का सिद्धांत न केवल डोर पर तरंगों पर लागू होता है, बल्कि ध्वनि तरंगों, प्रकाश तरंगों और जल तरंगों सहित सभी प्रकार की तरंगों पर भी लागू होता है। यह हमें यह समझने की अनुमति देता है कि तरंगें कैसे परस्पर क्रिया करती हैं और उनके विस्थापन कैसे मिलकर परिणामी तरंग बनाते हैं। | अध्यारोपण का सिद्धांत न केवल डोर पर तरंगों पर लागू होता है, बल्कि ध्वनि तरंगों, प्रकाश तरंगों और जल तरंगों सहित सभी प्रकार की तरंगों पर भी लागू होता है। यह हमें यह समझने की अनुमति देता है कि तरंगें कैसे परस्पर क्रिया करती हैं और उनके विस्थापन कैसे मिलकर परिणामी तरंग बनाते हैं। | ||
[[Category:तरंगे]] | [[Category:तरंगे]][[Category:कक्षा-11]][[Category:भौतिक विज्ञान]] |
Latest revision as of 11:49, 3 August 2023
Principle of superposition
अध्यारोपण का सिद्धांत भौतिकी में एक मौलिक अवधारणा है जो बताता है कि जब दो या दो से अधिक तरंगें मिलती हैं या अतिछादित (ओवरलैप) होती हैं तो क्या होता है। इस सिद्धांत के अनुसार, जब तरंगें संयोजित होती हैं, तो परिणामी तरंग प्रत्येक बिंदु पर व्यक्तिगत तरंगों के विस्थापन के योग से निर्धारित होती है।
उदाहरण
आइए इसे एक डोर (स्ट्रिंग) पर अनुप्रस्थ तरंगों का उपयोग करके एक उदाहरण से समझें । कल्पना कीजिए कि आपके पास दो तार हैं, जिनमें से प्रत्येक में एक तरंग है। जब ये तरंगें एक ही डोर पर मिलती हैं और ओवरलैप होती हैं, तो अध्यारोपण का सिद्धांत बताता है कि परिणामी तरंग डोर के प्रत्येक बिंदु पर व्यक्तिगत तरंगों का योग होगी।
दो तरंगों का अति-छादन
यहां बताया गया है कि जब दो तरंगें अतिछादित होती हैं तो क्या होता है:
रचनात्मक व्यतिकरण (interference): यदि दोनों तरंगों के शिखर (उच्चतम बिंदु) एक-दूसरे के साथ मेल खाते रहे, तो वे जुड़ जाएंगे और रचनात्मक रूप से व्यतिकरण विन्यास प्रस्तुत करेंगे ।" इसका तात्पर्य यह है कि परिणामी तरंग में अकेले प्रत्येक व्यक्तिगत तरंग की तुलना में बड़ा विस्थापन होगा। तरंगों का आयाम जुड़ जाएगा, जिससे अधिक आयाम वाली तरंग बन जाएगी।
विनाशकारी व्यतिकरण: यदि एक तरंग का शिखर दूसरी तरंग के गर्त (निम्नतम बिंदु) के साथ मेल खाती है, तो वे "विनाशकारी व्यतिकरण" करेंगे। इसका मतलब यह है कि परिणामी तरंग में व्यक्तिगत तरंगों की तुलना में छोटा विस्थापन होगा। तरंगों के आयाम एक-दूसरे से घट जाएंगे, जिससे छोटे आयाम वाली तरंग बनेगी या कुछ मामलों में कोई विस्थापन भी नहीं होगा।
व्यतिकरण विन्यास: दो तरंगों की सापेक्ष स्थिति और उनके बीच चरण संबंध के आधार पर, विभिन्न व्यतिकरण विन्यास हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप रचनात्मक व्यतिकरण के क्षेत्रों का निरीक्षण कर जहां तरंगें एक-दूसरे को सुदृढ़ करती हैं, और विनाशकारी व्यतिकरण के क्षेत्रों को देख सकते हैं जहां तरंगें एक-दूसरे को रद्द कर देती हैं।
संक्षेप में
अध्यारोपण का सिद्धांत न केवल डोर पर तरंगों पर लागू होता है, बल्कि ध्वनि तरंगों, प्रकाश तरंगों और जल तरंगों सहित सभी प्रकार की तरंगों पर भी लागू होता है। यह हमें यह समझने की अनुमति देता है कि तरंगें कैसे परस्पर क्रिया करती हैं और उनके विस्थापन कैसे मिलकर परिणामी तरंग बनाते हैं।