समपरासरी: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

No edit summary
No edit summary
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
[[Category:पौधों में परिवहन]][[Category:कक्षा-11]][[Category:जीव विज्ञान]]
[[Category:पौधों में परिवहन]][[Category:कक्षा-11]][[Category:जीव विज्ञान]][[Category:वनस्पति विज्ञान]]
समपरासरी विलयन का मतलब है, जिन विलयनों का परासरण दाब का मान समान होता है। समपरासरी विलयन में विलेय की सांद्रता समान होती है। समपरासरी विलयन में पानी का कोई नेट प्रवाह नहीं होता, जिससे [[कोशिका]] स्थिर रहती है। समपरासरी विलयन के कारण कोशिका न तो सिकुड़ती है और न ही फूलती है।
 
* समपरासरी विलयनों के वे आयतन समान होते हैं जिनमें इनकी ग्राम-अणु मात्राएँ घुली हुई होती हैं।
* लाल रुधिर कणिकाओं तथा नमक का विलयन समपरासरी होता है।
* [[कोशिका झिल्ली]] की अर्धपारगम्य प्रकृति और विलेय की सांद्रता के कारण कोशिकाओं पर [[विलयन]] का प्रभाव पड़ता है।
* अतिपरासरी विलयन में, पानी [[कोशिका]] से बाहर निकल जाता है, जिससे वह सिकुड़ जाती है।
 
सम परासरी [[विलयन]] वे विलयन होते हैं, जब दोनों विलयनों की सांद्रता का मान समान होता है जिससे दोनों विलयन के लिए [[परासरण दाब]] का मान भी बराबर होता है अत: वे विलयन जिनके लिए परासरण दाब का मान समान होता है उन्हें समपरासरी विलयन कहते है। '''''"समान ताप पर जिन विलयनों के परासरण दाब समान होते हैं, उन्हें समपरासरी विलयन कहते हैं। समपरासरी विलयनों में विलयनों की मोलर सान्द्रताएँ समान होती हैं।"'''''
 
समान ताप पर जब दो समपरासरी विलयनों को एक-दूसरे से अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक् करते हैं तब विलायक का प्रवाह किसी भी दिशा में नहीं होता है। वे विलयन जिनके लिए परासरण दाब का मान समान होता है उन्हें समपरासरी विलयन कहते है। अतः
 
एक विलयन का परासरण दाब  = दूसरे विलयन का परासरण दाब<blockquote><math>\Pi 1= \Pi 2</math>
 
<math>\Pi V= n R T</math>
 
<math>\Pi= \frac{w}{mV} R T</math>
 
<math>\Pi= \frac{n}{V} R T</math>
 
<chem>n= \frac{w}{m}</chem>
 
<chem>\Pi= \frac{w}{m V} R T</chem>
 
<math> \frac{w_1}{m_1 V_1} R T =  \frac{w_2}{m_2 V_2} R T</math></blockquote>जहाँ
 
<math>\pi</math> - परासरण दाब
 
n - मोलो की संख्या
 
R - गैस स्थिरांक
 
T - ताप
 
w - विलेय का भार
 
m - विलेय का अणुभार
===उदाहरण===
रूधिर कोशिकाओं के अन्दर स्थित द्रव की [[सान्द्रता पर ताप की निर्भरता|सान्द्रता]] 9% w/V NaCI के बराबर होती है अर्थात् दोनों विलयनों की सान्द्रता समान होने के कारण ये समपरासरी विलयन कहलाते हैं।
==परासरण दाब==
किसी विलयन को विलायक से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग रखने पर होने वाले [[परासरण]] को रोकने के लिए विलयन पर कम-से-कम जितना  बाहरी दाब लगाना पड़ता है, वह विलयन का परासरण दाब कहलाता है। परासरण दाब को π से प्रदर्शित करते है। यह एक संपार्श्विक गुण है, विलेय की प्रकृति पर निर्भर है।
 
एक अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा दो भागों में विभाजित एक कंटेनर की कल्पना करें। यह झिल्ली विलायक अणुओं को निकलने की अनुमति देती है लेकिन विलेय अणुओं को नहीं। यदि एक डिब्बे में दूसरे की तुलना में विलेय की सांद्रता अधिक है, तो विलायक अणु कम विलेय सांद्रता वाली तरफ से उच्च विलेय सांद्रता वाली तरफ चले जाएंगे। विलायक अणुओं की यह गति दबाव बनाती है और इस दबाव को परासरण दाब कहा जाता है। परासरण को यदि रोकना चाहें तो उसे रोकने के लिए उसके विपरीत एक वाह्य दाब लगाना पड़ेगा। परासरण को रोकने के लिये आवश्यक वाह्य दाब की मात्रा को परासरण दाब कहते हैं। किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के सीधे समानुपाती होता है।<blockquote><math>\Pi V= n R T</math>
 
<math>\Pi= \frac{w}{mV} R T</math>
 
<math>\Pi= \frac{n}{V} R T</math>
 
<chem>n= \frac{w}{m}</chem>
 
<chem>\Pi= C R T</chem>
 
<chem>C = \frac{w}{m V} R T</chem>
 
<chem>\Pi= \frac{w}{m V} R T</chem>
 
<chem>M = \frac{w}{\Pi V} R T</chem></blockquote>जहाँ
 
<math>\pi</math> - परासरण दाब
 
n - मोलो की संख्या
 
R - गैस स्थिरांक
 
T - ताप
 
w - विलेय का भार
 
m - विलेय का अणुभार
 
किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के समानुपाती होता है। विलयन में विलेय के अणुओं की संख्या जितनी अधिक होती है, विलयन का परासरण दाब उतना ही अधिक होता है।
==अभ्यास प्रश्न==
*परासरण दाब एवं समपरासरी विलयन से आप क्या समझते हैं ?
*परासरण दाब का सूत्र लिखिए।
*समपरासरी विलयन का कोई एक उदाहरण दीजिये।

Latest revision as of 17:51, 12 October 2024

समपरासरी विलयन का मतलब है, जिन विलयनों का परासरण दाब का मान समान होता है। समपरासरी विलयन में विलेय की सांद्रता समान होती है। समपरासरी विलयन में पानी का कोई नेट प्रवाह नहीं होता, जिससे कोशिका स्थिर रहती है। समपरासरी विलयन के कारण कोशिका न तो सिकुड़ती है और न ही फूलती है।

  • समपरासरी विलयनों के वे आयतन समान होते हैं जिनमें इनकी ग्राम-अणु मात्राएँ घुली हुई होती हैं।
  • लाल रुधिर कणिकाओं तथा नमक का विलयन समपरासरी होता है।
  • कोशिका झिल्ली की अर्धपारगम्य प्रकृति और विलेय की सांद्रता के कारण कोशिकाओं पर विलयन का प्रभाव पड़ता है।
  • अतिपरासरी विलयन में, पानी कोशिका से बाहर निकल जाता है, जिससे वह सिकुड़ जाती है।

सम परासरी विलयन वे विलयन होते हैं, जब दोनों विलयनों की सांद्रता का मान समान होता है जिससे दोनों विलयन के लिए परासरण दाब का मान भी बराबर होता है अत: वे विलयन जिनके लिए परासरण दाब का मान समान होता है उन्हें समपरासरी विलयन कहते है। "समान ताप पर जिन विलयनों के परासरण दाब समान होते हैं, उन्हें समपरासरी विलयन कहते हैं। समपरासरी विलयनों में विलयनों की मोलर सान्द्रताएँ समान होती हैं।"

समान ताप पर जब दो समपरासरी विलयनों को एक-दूसरे से अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक् करते हैं तब विलायक का प्रवाह किसी भी दिशा में नहीं होता है। वे विलयन जिनके लिए परासरण दाब का मान समान होता है उन्हें समपरासरी विलयन कहते है। अतः

एक विलयन का परासरण दाब  = दूसरे विलयन का परासरण दाब

जहाँ

- परासरण दाब

n - मोलो की संख्या

R - गैस स्थिरांक

T - ताप

w - विलेय का भार

m - विलेय का अणुभार

उदाहरण

रूधिर कोशिकाओं के अन्दर स्थित द्रव की सान्द्रता 9% w/V NaCI के बराबर होती है अर्थात् दोनों विलयनों की सान्द्रता समान होने के कारण ये समपरासरी विलयन कहलाते हैं।

परासरण दाब

किसी विलयन को विलायक से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग रखने पर होने वाले परासरण को रोकने के लिए विलयन पर कम-से-कम जितना  बाहरी दाब लगाना पड़ता है, वह विलयन का परासरण दाब कहलाता है। परासरण दाब को π से प्रदर्शित करते है। यह एक संपार्श्विक गुण है, विलेय की प्रकृति पर निर्भर है।

एक अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा दो भागों में विभाजित एक कंटेनर की कल्पना करें। यह झिल्ली विलायक अणुओं को निकलने की अनुमति देती है लेकिन विलेय अणुओं को नहीं। यदि एक डिब्बे में दूसरे की तुलना में विलेय की सांद्रता अधिक है, तो विलायक अणु कम विलेय सांद्रता वाली तरफ से उच्च विलेय सांद्रता वाली तरफ चले जाएंगे। विलायक अणुओं की यह गति दबाव बनाती है और इस दबाव को परासरण दाब कहा जाता है। परासरण को यदि रोकना चाहें तो उसे रोकने के लिए उसके विपरीत एक वाह्य दाब लगाना पड़ेगा। परासरण को रोकने के लिये आवश्यक वाह्य दाब की मात्रा को परासरण दाब कहते हैं। किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के सीधे समानुपाती होता है।

जहाँ

- परासरण दाब

n - मोलो की संख्या

R - गैस स्थिरांक

T - ताप

w - विलेय का भार

m - विलेय का अणुभार

किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के समानुपाती होता है। विलयन में विलेय के अणुओं की संख्या जितनी अधिक होती है, विलयन का परासरण दाब उतना ही अधिक होता है।

अभ्यास प्रश्न

  • परासरण दाब एवं समपरासरी विलयन से आप क्या समझते हैं ?
  • परासरण दाब का सूत्र लिखिए।
  • समपरासरी विलयन का कोई एक उदाहरण दीजिये।