संग्रह नलिका: Difference between revisions

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एकत्रित करने वाली नली गुर्दे में एक महत्वपूर्ण संरचना है, जो विशेष रूप से मूत्र निर्माण के अंतिम चरणों में शामिल होती है। यह [[नेफ्रॉन]] का हिस्सा है, जो गुर्दे की कार्यात्मक इकाई है, और पानी के पुनः[[अवशोषण]], आयन संतुलन और [[मूत्रमार्ग|मूत्र]] की अंतिम सांद्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
 
== संग्रह करने वाली नली की संरचना ==
 
* संग्रह करने वाली नली एक ट्यूब जैसी संरचना होती है जो विभिन्न नेफ्रॉन के कई दूरस्थ घुमावदार नलिकाओं (DCT) से छानने वाले पदार्थ को प्राप्त करती है।
* यह वृक्क प्रांतस्था से होकर [[वृक्क]] मज्जा में जाती है, जहाँ यह अंततः वृक्क श्रोणि में खाली हो जाती है।
* संग्रह करने वाली नली मुख्य कोशिकाओं और अंतःस्थापित कोशिकाओं से बनी होती है, जो पानी, सोडियम और पोटेशियम के संतुलन को विनियमित करने में मदद करती हैं।
 
== उत्सर्जन प्रक्रियाओं में एकत्रित करने वाली नली के कार्य ==
 
=== पानी का पुनःअवशोषण ===
 
* संग्रह करने वाली नली पानी के पुनःअवशोषण में एक प्रमुख भूमिका निभाती है। जैसे-जैसे निस्यंद नली से होकर आगे बढ़ता है, शरीर की जलयोजन स्थिति के आधार पर पानी रक्तप्रवाह में वापस अवशोषित हो जाता है।
* यह प्रक्रिया हार्मोन एंटीडाययूरेटिक हार्मोन (ADH) द्वारा नियंत्रित होती है। जब शरीर को पानी बचाने की ज़रूरत होती है (जैसे, निर्जलीकरण के दौरान), ADH पानी के लिए संग्रह नली की पारगम्यता को बढ़ाता है, जिससे अधिक पानी को पुनः अवशोषित किया जा सकता है।
 
=== आयनों का पुनः अवशोषण ===
 
* संग्रह नली सोडियम (Na⁺), पोटेशियम (K⁺), और बाइकार्बोनेट (HCO₃⁻) जैसे महत्वपूर्ण आयनों के पुनः [[अवशोषण]] में मदद करती है।
* इन आयनों का संतुलन शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन और एसिड-बेस होमियोस्टेसिस को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
 
=== हाइड्रोजन आयनों (H⁺) का स्राव ===
संग्रह नली की अंतःस्थापित कोशिकाएँ निस्यंद में हाइड्रोजन आयनों (H⁺) के स्राव में शामिल होती हैं। यह शरीर के तरल पदार्थों की अम्लता को कम करके एसिड-बेस संतुलन को विनियमित करने में मदद करता है।
 
=== मूत्र की सांद्रता ===
संग्रह नली मूत्र को केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जैसे-जैसे जल संग्रह नली में पुनः अवशोषित होता है, मूत्र अधिक केंद्रित होता जाता है। यह शरीर में जल संरक्षण के लिए आवश्यक है।
 
== हार्मोन का प्रभाव ==
 
* एंटीडाययूरेटिक हार्मोन (ADH): संग्रह नली में जल पुनः अवशोषण को उत्तेजित करता है, जिससे यह जल के लिए अधिक पारगम्य हो जाता है।
* एल्डोस्टेरोन: संग्रह नली में सोडियम और जल के पुनः अवशोषण को बढ़ाता है, जो रक्तचाप और द्रव संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
* एट्रियल नैट्रियूरेटिक पेप्टाइड (ANP): संग्रह नली में सोडियम पुनः [[अवशोषण]] को रोकता है, जिससे सोडियम और जल [[उत्सर्जन]] बढ़ जाता है, जिससे रक्तचाप कम हो जाता है।
 
जल पुनः अवशोषण: संग्रह नली ADH के प्रभाव में रक्तप्रवाह में कितना जल पुनः अवशोषित होता है, इसे समायोजित करके शरीर में जल संतुलन को विनियमित करने में मदद करती है।
 
* इलेक्ट्रोलाइट संतुलन: यह इलेक्ट्रोलाइट संतुलन और पीएच को बनाए रखने के लिए सोडियम, पोटेशियम और बाइकार्बोनेट के स्तर को नियंत्रित करता है।
* मूत्र सांद्रता: नली पानी को पुनः अवशोषित करके [[मूत्रमार्ग|मूत्र]] को केंद्रित करती है, इस प्रकार शरीर में पानी का संरक्षण करती है।
* एसिड-बेस संतुलन: यह हाइड्रोजन आयनों को स्रावित करके शरीर के पीएच को नियंत्रित करने में मदद करता है।
 
== अभ्यास प्रश्न ==
 
* नेफ्रॉन में संग्रह नलिका कहाँ स्थित होती है?
* गुर्दे में संग्रह नलिका का मुख्य कार्य क्या है?
* संग्रह नलिका मूत्र के निर्माण में किस प्रकार योगदान देती है?
* संग्रह नलिका में पाए जाने वाली दो मुख्य प्रकार की कोशिकाएँ कौन सी हैं, और उनके कार्य क्या हैं?
* बताएँ कि संग्रह नलिका की संरचना उसके कार्य के लिए किस प्रकार अनुकूलित होती है।
* संग्रह नलिका शरीर के जल संतुलन को विनियमित करने में किस प्रकार मदद करती है?

Latest revision as of 13:02, 24 November 2024

एकत्रित करने वाली नली गुर्दे में एक महत्वपूर्ण संरचना है, जो विशेष रूप से मूत्र निर्माण के अंतिम चरणों में शामिल होती है। यह नेफ्रॉन का हिस्सा है, जो गुर्दे की कार्यात्मक इकाई है, और पानी के पुनःअवशोषण, आयन संतुलन और मूत्र की अंतिम सांद्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

संग्रह करने वाली नली की संरचना

  • संग्रह करने वाली नली एक ट्यूब जैसी संरचना होती है जो विभिन्न नेफ्रॉन के कई दूरस्थ घुमावदार नलिकाओं (DCT) से छानने वाले पदार्थ को प्राप्त करती है।
  • यह वृक्क प्रांतस्था से होकर वृक्क मज्जा में जाती है, जहाँ यह अंततः वृक्क श्रोणि में खाली हो जाती है।
  • संग्रह करने वाली नली मुख्य कोशिकाओं और अंतःस्थापित कोशिकाओं से बनी होती है, जो पानी, सोडियम और पोटेशियम के संतुलन को विनियमित करने में मदद करती हैं।

उत्सर्जन प्रक्रियाओं में एकत्रित करने वाली नली के कार्य

पानी का पुनःअवशोषण

  • संग्रह करने वाली नली पानी के पुनःअवशोषण में एक प्रमुख भूमिका निभाती है। जैसे-जैसे निस्यंद नली से होकर आगे बढ़ता है, शरीर की जलयोजन स्थिति के आधार पर पानी रक्तप्रवाह में वापस अवशोषित हो जाता है।
  • यह प्रक्रिया हार्मोन एंटीडाययूरेटिक हार्मोन (ADH) द्वारा नियंत्रित होती है। जब शरीर को पानी बचाने की ज़रूरत होती है (जैसे, निर्जलीकरण के दौरान), ADH पानी के लिए संग्रह नली की पारगम्यता को बढ़ाता है, जिससे अधिक पानी को पुनः अवशोषित किया जा सकता है।

आयनों का पुनः अवशोषण

  • संग्रह नली सोडियम (Na⁺), पोटेशियम (K⁺), और बाइकार्बोनेट (HCO₃⁻) जैसे महत्वपूर्ण आयनों के पुनः अवशोषण में मदद करती है।
  • इन आयनों का संतुलन शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन और एसिड-बेस होमियोस्टेसिस को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

हाइड्रोजन आयनों (H⁺) का स्राव

संग्रह नली की अंतःस्थापित कोशिकाएँ निस्यंद में हाइड्रोजन आयनों (H⁺) के स्राव में शामिल होती हैं। यह शरीर के तरल पदार्थों की अम्लता को कम करके एसिड-बेस संतुलन को विनियमित करने में मदद करता है।

मूत्र की सांद्रता

संग्रह नली मूत्र को केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जैसे-जैसे जल संग्रह नली में पुनः अवशोषित होता है, मूत्र अधिक केंद्रित होता जाता है। यह शरीर में जल संरक्षण के लिए आवश्यक है।

हार्मोन का प्रभाव

  • एंटीडाययूरेटिक हार्मोन (ADH): संग्रह नली में जल पुनः अवशोषण को उत्तेजित करता है, जिससे यह जल के लिए अधिक पारगम्य हो जाता है।
  • एल्डोस्टेरोन: संग्रह नली में सोडियम और जल के पुनः अवशोषण को बढ़ाता है, जो रक्तचाप और द्रव संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
  • एट्रियल नैट्रियूरेटिक पेप्टाइड (ANP): संग्रह नली में सोडियम पुनः अवशोषण को रोकता है, जिससे सोडियम और जल उत्सर्जन बढ़ जाता है, जिससे रक्तचाप कम हो जाता है।

जल पुनः अवशोषण: संग्रह नली ADH के प्रभाव में रक्तप्रवाह में कितना जल पुनः अवशोषित होता है, इसे समायोजित करके शरीर में जल संतुलन को विनियमित करने में मदद करती है।

  • इलेक्ट्रोलाइट संतुलन: यह इलेक्ट्रोलाइट संतुलन और पीएच को बनाए रखने के लिए सोडियम, पोटेशियम और बाइकार्बोनेट के स्तर को नियंत्रित करता है।
  • मूत्र सांद्रता: नली पानी को पुनः अवशोषित करके मूत्र को केंद्रित करती है, इस प्रकार शरीर में पानी का संरक्षण करती है।
  • एसिड-बेस संतुलन: यह हाइड्रोजन आयनों को स्रावित करके शरीर के पीएच को नियंत्रित करने में मदद करता है।

अभ्यास प्रश्न

  • नेफ्रॉन में संग्रह नलिका कहाँ स्थित होती है?
  • गुर्दे में संग्रह नलिका का मुख्य कार्य क्या है?
  • संग्रह नलिका मूत्र के निर्माण में किस प्रकार योगदान देती है?
  • संग्रह नलिका में पाए जाने वाली दो मुख्य प्रकार की कोशिकाएँ कौन सी हैं, और उनके कार्य क्या हैं?
  • बताएँ कि संग्रह नलिका की संरचना उसके कार्य के लिए किस प्रकार अनुकूलित होती है।
  • संग्रह नलिका शरीर के जल संतुलन को विनियमित करने में किस प्रकार मदद करती है?