आवोगाद्रो का नियम: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

No edit summary
No edit summary
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 5: Line 5:


# द्रव्यमान - संरक्षण का नियम
# द्रव्यमान - संरक्षण का नियम
# स्थिर अनुपात का नियम
# [[स्थिर अनुपात का नियम]]
# गुणित अनुपात का नियम
# [[गुणित अनुपात का नियम]]
# गै-लूसैक का गैसीय आयतनों का नियम
# गै-लूसैक का गैसीय आयतनों का नियम
# आवोगाड्रो का नियम
# आवोगाद्रो का नियम


== आवोगाड्रो का नियम ==
== आवोगाद्रो का नियम ==
यह एक रासायनिक संयोजन का नियम है। इस नियम के अनुसार, समान ताप, दाब और निश्चित आयतन पर विभिन्न गैसों के अणुओं की संख्या समान होती है। इसे आवोगाद्रो का नियम कहते हैं। माना A और B दो गैसें हैं समान ताप और दाब पर इनका समान आयतन V है तो इन दोनों गैसों के अणुओं की संख्या भी समान n होगी। अथवा इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है:  
यह एक रासायनिक संयोजन का नियम है। इस नियम के अनुसार, समान [[ताप अपघटन|ताप]], दाब और निश्चित आयतन पर विभिन्न गैसों के [[अणु]]ओं की संख्या समान होती है। इसे आवोगाद्रो का नियम कहते हैं। माना A और B दो गैसें हैं समान ताप और दाब पर इनका समान आयतन V है तो इन दोनों गैसों के अणुओं की संख्या भी समान n होगी। अथवा इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है:  
  समान ताप और दाब पर सभी गैसों के समान आयतनों में अणुओं की संख्या भी समान होती है।  
  समान ताप और दाब पर सभी गैसों के समान आयतनों में अणुओं की संख्या भी समान होती है।  
आवोगाद्रो ने परमाणुओं और अणुओं के बीच अंतर की व्याख्या की, जो अब आसानी से समझी जा सकती है।  
आवोगाद्रो ने [[परमाणु]]ओं और अणुओं के बीच अंतर की व्याख्या की, जो अब आसानी से समझी जा सकती है।  


यदि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन आपस में मिलकर जल का निर्माण करते हैं तो आप देखेंगे की हाइड्रोजन के दो आयतन और ऑक्सीजन का एक आयतन आपस में सयुंक्त होकर जल के दो आयतन देते हैं और ऑक्सीजन बिलकुल भी नहीं बचती है। वास्तव में आवोगाड्रो ने इन परमाणुओं की व्याख्या अणुओं को बहुपरमाणुक मान कर की। यदि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को द्विपरमाणुक माना जाए तो इस नियम को समझना काफी आसान हो जायेगा। किन्तु उस समय डॉलटन और कई दूसरे वैज्ञानिकों का मत था कि एक जैसे परमाणु आपस में सयुंक्त नहीं हो सकते और ये द्विपरमाणुक अणु उपस्थित नहीं हो सकते।  
यदि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन आपस में मिलकर जल का निर्माण करते हैं तो आप देखेंगे की [[हाइड्रोजन]] के दो आयतन और ऑक्सीजन का एक आयतन आपस में सयुंक्त होकर जल के दो आयतन देते हैं और ऑक्सीजन बिलकुल भी नहीं बचती है। वास्तव में आवोगाद्रो ने इन परमाणुओं की व्याख्या अणुओं को बहुपरमाणुक मान कर की। यदि हाइड्रोजन और [[ऑक्सीजन-चक्र|ऑक्सीजन]] को द्विपरमाणुक माना जाए तो इस नियम को समझना काफी आसान हो जायेगा। किन्तु उस समय डॉल्टन और कई दूसरे वैज्ञानिकों का मत था कि एक जैसे परमाणु आपस में सयुंक्त नहीं हो सकते और ये द्विपरमाणुक [[अणु]] उपस्थित नहीं हो सकते।  


== आवोगाद्रो के मत को सराहना मिली ==
== आवोगाद्रो के मत को सराहना मिली ==
Line 23: Line 23:


* रासायनिक संयोजन के नियम से क्या तात्पर्य है।
* रासायनिक संयोजन के नियम से क्या तात्पर्य है।
* आवोगाड्रो का नियम क्या है?
* आवोगाद्रो का नियम क्या है?
* आवोगाड्रो का नियम किसके द्वारा दिया गया है?
* आवोगाद्रो का नियम किसके द्वारा दिया गया है?
* आवोगाड्रो के नियम पर आधारित एक उदाहरण दीजिये।[[Category:कक्षा-11]][[Category:रसायन विज्ञान]]
* आवोगाद्रो के नियम पर आधारित एक उदाहरण दीजिये। [[Category:कक्षा-11]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:भौतिक रसायन]]

Latest revision as of 08:47, 8 May 2024


रासायनिक संयोजन का नियम

तत्वों के संयोजन से यौगिकों का निर्माण होता है। यह निम्न लिखित नियमों के अंतर्गत बताया गया है :

  1. द्रव्यमान - संरक्षण का नियम
  2. स्थिर अनुपात का नियम
  3. गुणित अनुपात का नियम
  4. गै-लूसैक का गैसीय आयतनों का नियम
  5. आवोगाद्रो का नियम

आवोगाद्रो का नियम

यह एक रासायनिक संयोजन का नियम है। इस नियम के अनुसार, समान ताप, दाब और निश्चित आयतन पर विभिन्न गैसों के अणुओं की संख्या समान होती है। इसे आवोगाद्रो का नियम कहते हैं। माना A और B दो गैसें हैं समान ताप और दाब पर इनका समान आयतन V है तो इन दोनों गैसों के अणुओं की संख्या भी समान n होगी। अथवा इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है:

समान ताप और दाब पर सभी गैसों के समान आयतनों में अणुओं की संख्या भी समान होती है। 

आवोगाद्रो ने परमाणुओं और अणुओं के बीच अंतर की व्याख्या की, जो अब आसानी से समझी जा सकती है।

यदि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन आपस में मिलकर जल का निर्माण करते हैं तो आप देखेंगे की हाइड्रोजन के दो आयतन और ऑक्सीजन का एक आयतन आपस में सयुंक्त होकर जल के दो आयतन देते हैं और ऑक्सीजन बिलकुल भी नहीं बचती है। वास्तव में आवोगाद्रो ने इन परमाणुओं की व्याख्या अणुओं को बहुपरमाणुक मान कर की। यदि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को द्विपरमाणुक माना जाए तो इस नियम को समझना काफी आसान हो जायेगा। किन्तु उस समय डॉल्टन और कई दूसरे वैज्ञानिकों का मत था कि एक जैसे परमाणु आपस में सयुंक्त नहीं हो सकते और ये द्विपरमाणुक अणु उपस्थित नहीं हो सकते।

आवोगाद्रो के मत को सराहना मिली

आवोगाद्रो का प्रस्ताव फ्रांसीसी में प्रकाशित हुआ। यह मत सही था फिर इसे महत्व नहीं दिया गया। लगभग 50 वर्षों के बाद सन 1860 में जर्मनी में प्रथम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन रसायन विज्ञान पर रखा गया जिससे कई मतों पर चर्चा की जा सके और एक उचित निष्कर्ष निकाला जा सके, इसमें आवोगाद्रो के कार्य को सराहा गया था।

अभ्यास प्रश्न

  • रासायनिक संयोजन के नियम से क्या तात्पर्य है।
  • आवोगाद्रो का नियम क्या है?
  • आवोगाद्रो का नियम किसके द्वारा दिया गया है?
  • आवोगाद्रो के नियम पर आधारित एक उदाहरण दीजिये।