प्रतिलोम परासरण: Difference between revisions
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यदि किसी [[विलयन]] पर उसके [[परासरण दाब]] से अधिक दाब आरोपित किया जाता है तो अर्ध - पारगम्य झिल्ली माध्यम से विलयन से विलायक का प्रवाह शुद्ध विलायक की तरफ होने लगता है। इस प्रक्रिया को प्रतिलोम परासरण कहते हैं। प्रतिलोम परासरण एक जल [[शोधन]] की प्रक्रिया है जो पीने के जल से आयनों, अवांछित अणुओं को अलग करने के लिए आंशिक रूप से पारगम्य झिल्ली का उपयोग करती है। "यदि उच्च सान्द्रता वाले विलयन की तरफ परासरण दाब से अधिक दाब का प्रयोग करें तो विलायक अधिक सान्द्रता वाले विलयन से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा निम्न सान्द्रता वाले विलयन की तरफ प्रवाहित होने लगता है।" | |||
यदि बर्तन पर उसके परासरण दबाव से अधिक दाब डाला जाता है, तो विलयन के माध्यम से सांद्र विलायक का प्रवाह तनु विलायक की ओर प्रारम्भ होता है। इसे प्रतिलोम परासरण कहा जाता है। | |||
=== प्रतिलोम परासरण का उपयोग === | |||
* प्रतिलोम परासरण का उपयोग जल को शुद्ध करने के लिए किया जाता है। | |||
* चिकित्सा के क्षेत्र में भी इसका महत्वपूर्ण अनुप्रयोग है। | |||
* प्रतिलोम परासरण का उपयोग समुद्री जल एवं कठोर जल को शुद्ध करने में किया जाता है। | |||
प्रतिलोम परासरण के लिए आवश्यक दाब बहुत अधिक होता है। प्रतिलोम परासरण में सेलुलोस एसीटेट की बनी झिल्लियों का उपयोग किया जाता है। ये झिल्लियाँ जल के लिए पारगम्य हैं, परन्तु समुद्री जल में उपस्थित अशुद्धियों के लिए अपारगम्य है। | |||
=== परासरण दाब === | |||
किसी विलयन को विलायक से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग रखने पर होने वाले परासरण को रोकने के लिए विलयन पर कम-से-कम जितना बाहरी दाब लगाना पड़ता है, वह विलयन का [[परासरण दाब]] कहलाता है। परासरण दाब को π से प्रदर्शित करते है। यह एक संपार्श्विक गुण है, विलेय की प्रकृति पर निर्भर है। | |||
एक अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा दो भागों में विभाजित एक कंटेनर की कल्पना करें। यह झिल्ली विलायक अणुओं को निकलने की अनुमति देती है लेकिन विलेय अणुओं को नहीं। यदि एक डिब्बे में दूसरे की तुलना में विलेय की सांद्रता अधिक है, तो विलायक अणु कम विलेय सांद्रता वाली तरफ से उच्च विलेय सांद्रता वाली तरफ चले जाएंगे। विलायक अणुओं की यह गति दबाव बनाती है और इस दबाव को परासरण दाब कहा जाता है। परासरण को यदि रोकना चाहें तो उसे रोकने के लिए उसके विपरीत एक वाह्य दाब लगाना पड़ेगा। परासरण को रोकने के लिये आवश्यक वाह्य दाब की मात्रा को परासरण दाब कहते हैं। किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के सीधे समानुपाती होता है। | |||
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जहाँ | |||
P - परासरण दाब | |||
n - मोलो की संख्या | |||
R - गैस स्थिरांक | |||
T - ताप | |||
w - विलेय का भार | |||
m - विलेय का अणुभार | |||
== अभ्यास प्रश्न == | |||
* प्रतिलोम परासरण से आप क्या समझते हैं ? | |||
* परासरण दाब से आप क्या समझते हैं ? | |||
* प्रतिलोम परासरण का क्या उपयोग है ? |
Latest revision as of 13:22, 30 May 2024
यदि किसी विलयन पर उसके परासरण दाब से अधिक दाब आरोपित किया जाता है तो अर्ध - पारगम्य झिल्ली माध्यम से विलयन से विलायक का प्रवाह शुद्ध विलायक की तरफ होने लगता है। इस प्रक्रिया को प्रतिलोम परासरण कहते हैं। प्रतिलोम परासरण एक जल शोधन की प्रक्रिया है जो पीने के जल से आयनों, अवांछित अणुओं को अलग करने के लिए आंशिक रूप से पारगम्य झिल्ली का उपयोग करती है। "यदि उच्च सान्द्रता वाले विलयन की तरफ परासरण दाब से अधिक दाब का प्रयोग करें तो विलायक अधिक सान्द्रता वाले विलयन से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा निम्न सान्द्रता वाले विलयन की तरफ प्रवाहित होने लगता है।"
यदि बर्तन पर उसके परासरण दबाव से अधिक दाब डाला जाता है, तो विलयन के माध्यम से सांद्र विलायक का प्रवाह तनु विलायक की ओर प्रारम्भ होता है। इसे प्रतिलोम परासरण कहा जाता है।
प्रतिलोम परासरण का उपयोग
- प्रतिलोम परासरण का उपयोग जल को शुद्ध करने के लिए किया जाता है।
- चिकित्सा के क्षेत्र में भी इसका महत्वपूर्ण अनुप्रयोग है।
- प्रतिलोम परासरण का उपयोग समुद्री जल एवं कठोर जल को शुद्ध करने में किया जाता है।
प्रतिलोम परासरण के लिए आवश्यक दाब बहुत अधिक होता है। प्रतिलोम परासरण में सेलुलोस एसीटेट की बनी झिल्लियों का उपयोग किया जाता है। ये झिल्लियाँ जल के लिए पारगम्य हैं, परन्तु समुद्री जल में उपस्थित अशुद्धियों के लिए अपारगम्य है।
परासरण दाब
किसी विलयन को विलायक से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग रखने पर होने वाले परासरण को रोकने के लिए विलयन पर कम-से-कम जितना बाहरी दाब लगाना पड़ता है, वह विलयन का परासरण दाब कहलाता है। परासरण दाब को π से प्रदर्शित करते है। यह एक संपार्श्विक गुण है, विलेय की प्रकृति पर निर्भर है।
एक अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा दो भागों में विभाजित एक कंटेनर की कल्पना करें। यह झिल्ली विलायक अणुओं को निकलने की अनुमति देती है लेकिन विलेय अणुओं को नहीं। यदि एक डिब्बे में दूसरे की तुलना में विलेय की सांद्रता अधिक है, तो विलायक अणु कम विलेय सांद्रता वाली तरफ से उच्च विलेय सांद्रता वाली तरफ चले जाएंगे। विलायक अणुओं की यह गति दबाव बनाती है और इस दबाव को परासरण दाब कहा जाता है। परासरण को यदि रोकना चाहें तो उसे रोकने के लिए उसके विपरीत एक वाह्य दाब लगाना पड़ेगा। परासरण को रोकने के लिये आवश्यक वाह्य दाब की मात्रा को परासरण दाब कहते हैं। किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के सीधे समानुपाती होता है।
जहाँ
P - परासरण दाब
n - मोलो की संख्या
R - गैस स्थिरांक
T - ताप
w - विलेय का भार
m - विलेय का अणुभार
अभ्यास प्रश्न
- प्रतिलोम परासरण से आप क्या समझते हैं ?
- परासरण दाब से आप क्या समझते हैं ?
- प्रतिलोम परासरण का क्या उपयोग है ?