संरचनात्मक समावयवता: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

No edit summary
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
[[Category:कार्बनिक रसायन: कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें]]
[[Category:कार्बनिक रसायन: कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें]]
[[Category:कक्षा-11]]
[[Category:कक्षा-11]]
[[Category:रसायन विज्ञान]]
[[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कार्बनिक रसायन]]
वे योगिक जिनके अणुसूत्र तो समान होते हैं, किन्तु संरचना भिन्न भिन्न होती है, उन्हें संरचनात्मक समावयवी में वर्गीकृत किया गया है। '''संरचनात्मक समावयवता''' (Structural isomerism या constitutional isomerism (per IUPAC)) वह समावयवता है जिसमें दो या दो से अधिक अणुओं, का अणुसूत्र तो समान होता है किन्तु उनके परमाणु आपस में अलग-अलग क्रम में आबन्धित होते हैं। संरचनात्मक समावयवता, [[त्रिविम समावयवता]] से अलग प्रकार की समावयवता है।
 
जैसे-जैसे कार्बन परमाणुओं की संख्या बढ़ती है, संरचनात्मक समावयवता की विविधता बढ़ती है। यह समावयवता का प्रकार है जिसमें एक निश्चित [[तत्व]] के परमाणुओं की संख्या निश्चित होती है लेकिन इसकी संरचना नए गुणों के साथ एक नया यौगिक बनाने के लिए बदल जाती है।
;उदाहरण
;n-ब्यूटेन और आइसो-ब्यूटेन(दोनों C<sub>4</sub>H<sub>10</sub>)
;एथनॉल और डाईमेथिलइथर (दोनों C<sub>2</sub>H<sub>6</sub>O)
;
==समावयवता के प्रकार==
समावयवता मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं:
{| class="wikitable"
!संरचनात्मक समावयवता
!त्रिविम समावयवता
|-
|स्थिति समावयवता
|प्रकाशीय समावयवता
|-
|श्रृंखला समावयवता
|ज्यामितीय समावयवता
|-
|क्रियात्मक समूह समावयवता
|
|-
|मध्यावयवता
|}
 
===स्थिति समावयवता===
स्थिति समावयवता एक प्रकार का समावयवता है जो क्रियात्मक समूहों और यौगिक में बंधों में अंतर दिखाता है, उन्हें स्थिति समावयवता के रूप में जाना जाता है और इस घटना को स्थिति समावयवता नाम दिया गया है।
 
उदाहरण
 
1-ब्यूटेनॉल और 2-ब्यूटेनॉल (-OH समूह की स्थिति में अंतर)
 
CH<sub>3</sub> - CH<sub>2</sub> - CH<sub>2</sub> - C(OH)-H<sub>2</sub> 1-ब्यूटेनॉल
 
CH<sub>3</sub> - CH<sub>2</sub> - C(OH)H<sub>2</sub> - CH<sub>2</sub>  2-ब्यूटेनॉल
===श्रृंखला समावयवता===
श्रृंखला समावयवता उस प्रकार की समावयवता है जिसमें कार्बन परमाणुओं की श्रृंखला में अंतर आ जाता है, जिसे श्रृंखला समावयवता कहते हैं। इस घटना को श्रृंखला समावयवता के रूप में पहचाना जाता है। सरल शब्दों में कहें तो शृंखला समावयवता कार्बन परमाणुओं की व्यवस्था में अंतर दर्शाती है।
 
उदाहरण
 
हेक्सेन (C<sub>6</sub>H<sub>14</sub>) का उदाहरण लें। हेक्सेन एक ही आणविक सूत्र के साथ चार और अलग-अलग यौगिक बना सकता है। अन्य [[यौगिक]] हैं:
 
CH<sub>3</sub>- CH(CH<sub>3</sub>) - CH<sub>2</sub> - CH<sub>2</sub> - CH<sub>3</sub>
 
2-मिथाइल पेंटेन
 
CH<sub>3</sub> - CH(CH<sub>3</sub>) - CH(CH<sub>3</sub>) - CH<sub>3</sub>
 
2,3 डाइमिथाइल ब्यूटेन
 
CH<sub>3</sub> - CH<sub>2</sub> - CH(CH<sub>3</sub>) - CH<sub>2</sub> - CH<sub>3</sub>
 
3-मिथाइल पेंटेन,
 
CH<sub>3</sub> - C(CH<sub>3</sub>)<sub>2</sub> - CH<sub>2</sub> - CH<sub>3</sub>
 
2,2 - डाइमिथाइलब्यूटेन।
===क्रियात्मक समूह समावयवता===
क्रियात्मक समूह समावयवता एक प्रकार की समावयवता है जिसमें क्रियात्मक समूहों की स्थिति में परिवर्तन होता है और उस यौगिक का रासायनिक सूत्र वही रहता है। इस प्रकार के यौगिकों को क्रियात्मक समूह समावयवता के रूप में जाना जाता है।
 
उदाहरण
 
अल्कोहल और ईथर
 
C<sub>2</sub>H<sub>5</sub>OH
 
CH<sub>3</sub> - O - CH<sub>3</sub>
===मध्यावयवता समावयवता===
मध्यावयवता समावयवता एक प्रकार का समावयवता है जिसमें अल्काइल समूह में अंतर होता है जो क्रियात्मक समूहों से जुड़ा होता है जिन्हें मध्यावयवता समावयवता के रूप में जाना जाता है।
 
उदाहरण
 
मिथाइल प्रोपाइल ईथर और डायथाइल ईथर
 
CH<sub>3</sub> - O - CH<sub>2</sub> - CH<sub>2</sub> - CH<sub>3</sub>
 
C<sub>2</sub>H<sub>5</sub> - O - C<sub>2</sub>H<sub>5</sub>
===टॉटोमेरिज्म (कीटो-एनोल) समावयवता===
जब हाइड्रोजन परमाणुओं की स्थिति या प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों की स्थिति में अंतर होता है तो इसे टॉटोमेरिज्म के रूप में जाना जाता है और इस घटना को टॉटोमेरिज्म के रूप में जाना जाता है।
 
उदाहरण
 
एसीटोन में टॉटोमेरिज्म (कीटो-एनोल)
 
== अभ्यास प्रश्न ==
 
* संरचनात्मक समावयवता से क्या तात्पर्य है ?
* क्रियात्मक समूह समावयवता से आप क्या समझते हैं ?
* टॉटोमेरिज्म (कीटो-एनोल) समावयवता कितने प्रकार के होते हैं ?

Latest revision as of 21:10, 25 May 2024

वे योगिक जिनके अणुसूत्र तो समान होते हैं, किन्तु संरचना भिन्न भिन्न होती है, उन्हें संरचनात्मक समावयवी में वर्गीकृत किया गया है। संरचनात्मक समावयवता (Structural isomerism या constitutional isomerism (per IUPAC)) वह समावयवता है जिसमें दो या दो से अधिक अणुओं, का अणुसूत्र तो समान होता है किन्तु उनके परमाणु आपस में अलग-अलग क्रम में आबन्धित होते हैं। संरचनात्मक समावयवता, त्रिविम समावयवता से अलग प्रकार की समावयवता है।

जैसे-जैसे कार्बन परमाणुओं की संख्या बढ़ती है, संरचनात्मक समावयवता की विविधता बढ़ती है। यह समावयवता का प्रकार है जिसमें एक निश्चित तत्व के परमाणुओं की संख्या निश्चित होती है लेकिन इसकी संरचना नए गुणों के साथ एक नया यौगिक बनाने के लिए बदल जाती है।

उदाहरण
n-ब्यूटेन और आइसो-ब्यूटेन(दोनों C4H10)
एथनॉल और डाईमेथिलइथर (दोनों C2H6O)

समावयवता के प्रकार

समावयवता मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं:

संरचनात्मक समावयवता त्रिविम समावयवता
स्थिति समावयवता प्रकाशीय समावयवता
श्रृंखला समावयवता ज्यामितीय समावयवता
क्रियात्मक समूह समावयवता
मध्यावयवता

स्थिति समावयवता

स्थिति समावयवता एक प्रकार का समावयवता है जो क्रियात्मक समूहों और यौगिक में बंधों में अंतर दिखाता है, उन्हें स्थिति समावयवता के रूप में जाना जाता है और इस घटना को स्थिति समावयवता नाम दिया गया है।

उदाहरण

1-ब्यूटेनॉल और 2-ब्यूटेनॉल (-OH समूह की स्थिति में अंतर)

CH3 - CH2 - CH2 - C(OH)-H2 1-ब्यूटेनॉल

CH3 - CH2 - C(OH)H2 - CH2 2-ब्यूटेनॉल

श्रृंखला समावयवता

श्रृंखला समावयवता उस प्रकार की समावयवता है जिसमें कार्बन परमाणुओं की श्रृंखला में अंतर आ जाता है, जिसे श्रृंखला समावयवता कहते हैं। इस घटना को श्रृंखला समावयवता के रूप में पहचाना जाता है। सरल शब्दों में कहें तो शृंखला समावयवता कार्बन परमाणुओं की व्यवस्था में अंतर दर्शाती है।

उदाहरण

हेक्सेन (C6H14) का उदाहरण लें। हेक्सेन एक ही आणविक सूत्र के साथ चार और अलग-अलग यौगिक बना सकता है। अन्य यौगिक हैं:

CH3- CH(CH3) - CH2 - CH2 - CH3

2-मिथाइल पेंटेन

CH3 - CH(CH3) - CH(CH3) - CH3

2,3 डाइमिथाइल ब्यूटेन

CH3 - CH2 - CH(CH3) - CH2 - CH3

3-मिथाइल पेंटेन,

CH3 - C(CH3)2 - CH2 - CH3

2,2 - डाइमिथाइलब्यूटेन।

क्रियात्मक समूह समावयवता

क्रियात्मक समूह समावयवता एक प्रकार की समावयवता है जिसमें क्रियात्मक समूहों की स्थिति में परिवर्तन होता है और उस यौगिक का रासायनिक सूत्र वही रहता है। इस प्रकार के यौगिकों को क्रियात्मक समूह समावयवता के रूप में जाना जाता है।

उदाहरण

अल्कोहल और ईथर

C2H5OH

CH3 - O - CH3

मध्यावयवता समावयवता

मध्यावयवता समावयवता एक प्रकार का समावयवता है जिसमें अल्काइल समूह में अंतर होता है जो क्रियात्मक समूहों से जुड़ा होता है जिन्हें मध्यावयवता समावयवता के रूप में जाना जाता है।

उदाहरण

मिथाइल प्रोपाइल ईथर और डायथाइल ईथर

CH3 - O - CH2 - CH2 - CH3

C2H5 - O - C2H5

टॉटोमेरिज्म (कीटो-एनोल) समावयवता

जब हाइड्रोजन परमाणुओं की स्थिति या प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों की स्थिति में अंतर होता है तो इसे टॉटोमेरिज्म के रूप में जाना जाता है और इस घटना को टॉटोमेरिज्म के रूप में जाना जाता है।

उदाहरण

एसीटोन में टॉटोमेरिज्म (कीटो-एनोल)

अभ्यास प्रश्न

  • संरचनात्मक समावयवता से क्या तात्पर्य है ?
  • क्रियात्मक समूह समावयवता से आप क्या समझते हैं ?
  • टॉटोमेरिज्म (कीटो-एनोल) समावयवता कितने प्रकार के होते हैं ?