आवर्त: Difference between revisions
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मेंडलीफ की आवर्त सारणी में [[धातु]] और अधातुओं को अलग-अलग स्थान नहीं दिया गया है। समान गुणों वाले तत्वों को एक ही स्थान पर तथा असमान गुणों वाले तत्वों को अलग-अलग स्थानों पर रखा गया। इस सारणी में समस्थानिकों को कोई स्थान नहीं दिया गया। आवर्त सारणी में कहीं-कहीं पर तत्वों के परमाणु भारो का क्रम ठीक नहीं है।1869 में रूस के रसायनशास्त्री मेंडलीफ ने तत्वों के वर्गीकरण करने का प्रयास किया और एक [[आवर्त सारणी की उत्पत्ति|आवर्त सारणी]] तैयार की। इस सारणी को मेंडलीफ की आवर्त सारणी कहा जाता है। मेंडेलीव के समय तक केवल 63 तत्वों की खोज की गई थी। इसलिए उन 63 तत्वों को इस आवर्त सारणी में स्थान दिया गया। मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कई स्थान | मेंडलीफ की आवर्त सारणी में [[धातु]] और अधातुओं को अलग-अलग स्थान नहीं दिया गया है। समान गुणों वाले तत्वों को एक ही स्थान पर तथा असमान गुणों वाले तत्वों को अलग-अलग स्थानों पर रखा गया। इस सारणी में समस्थानिकों को कोई स्थान नहीं दिया गया। आवर्त सारणी में कहीं-कहीं पर तत्वों के परमाणु भारो का क्रम ठीक नहीं है।1869 में रूस के रसायनशास्त्री मेंडलीफ ने तत्वों के वर्गीकरण करने का प्रयास किया और एक [[आवर्त सारणी की उत्पत्ति|आवर्त सारणी]] तैयार की। इस सारणी को मेंडलीफ की आवर्त सारणी कहा जाता है। मेंडेलीव के समय तक केवल 63 तत्वों की खोज की गई थी। इसलिए उन 63 तत्वों को इस आवर्त सारणी में स्थान दिया गया। मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कई स्थान रिक्त छोड़े गए थे। ये रिक्त स्थान भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों के लिए आरक्षित रखे गए थे। रासायनिक तत्वों के अध्ययन को सरल और व्यवस्थित करने के लिए ने आवर्त सारणी बनाई गई। तत्वों को उनके समान गुण धर्म के आधार पर व्यवस्थित करने के कई प्रयास किये गए। समान गुणों वाले तत्वों को एक समूह में रखा गया है और असमान गुणों को अलग समूह में रखा गया है। | ||
तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमान के वृद्धि क्रम में क्रमबद्ध करने पर क्षैतिज पंक्तियाँ प्राप्त होती हैं जिन्हें 'आवर्त' कहते हैं। | तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमान के वृद्धि क्रम में क्रमबद्ध करने पर क्षैतिज पंक्तियाँ प्राप्त होती हैं जिन्हें 'आवर्त' कहते हैं। | ||
आवर्त सारणी में व्र्ग में ऊपर से नीचे या आवर्त में बायें से दायें जाने पर तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणों के बढ़ने या घटने का एक निश्चित क्रम होता है। तत्वों के गुणों में यह नियमित परिवर्तन उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और [[परमाणु क्रमांक]] पर निर्भर करता है। | आवर्त सारणी में व्र्ग में ऊपर से नीचे या आवर्त में बायें से दायें जाने पर तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणों के बढ़ने या घटने का एक निश्चित क्रम होता है। तत्वों के गुणों में यह नियमित परिवर्तन उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और [[परमाणु क्रमांक]] पर निर्भर करता है। इस कारण तत्वों के गुणों में भी क्रमिक परिवर्तन होता है। तत्वों के गुणों में इस क्रमिक परिबर्तन को ही गुणों में आवर्तिता कहते हैं। | ||
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* चौथे तथा पांचवे आवर्त में बत्तीस तत्व है इसे “दीर्घ आवर्त” कहते हैं। | * चौथे तथा पांचवे आवर्त में बत्तीस तत्व है इसे “दीर्घ आवर्त” कहते हैं। | ||
* छठे आवर्त में 32 तत्व हैं इसे “अतिदीर्घ आवर्त” कहते है। | * छठे आवर्त में 32 तत्व हैं इसे “अतिदीर्घ आवर्त” कहते है। | ||
* मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में आठ वर्ग हैं, और नवां वर्ग में उत्कृष्ट गैसे आती हैं। | * मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में आठ वर्ग हैं, और नवां वर्ग में [[उत्कृष्ट गैसें|उत्कृष्ट गैसे]] आती हैं। | ||
== अभ्यास प्रश्न == | == अभ्यास प्रश्न == |
Latest revision as of 11:41, 6 May 2024
मेंडलीफ की आवर्त सारणी में धातु और अधातुओं को अलग-अलग स्थान नहीं दिया गया है। समान गुणों वाले तत्वों को एक ही स्थान पर तथा असमान गुणों वाले तत्वों को अलग-अलग स्थानों पर रखा गया। इस सारणी में समस्थानिकों को कोई स्थान नहीं दिया गया। आवर्त सारणी में कहीं-कहीं पर तत्वों के परमाणु भारो का क्रम ठीक नहीं है।1869 में रूस के रसायनशास्त्री मेंडलीफ ने तत्वों के वर्गीकरण करने का प्रयास किया और एक आवर्त सारणी तैयार की। इस सारणी को मेंडलीफ की आवर्त सारणी कहा जाता है। मेंडेलीव के समय तक केवल 63 तत्वों की खोज की गई थी। इसलिए उन 63 तत्वों को इस आवर्त सारणी में स्थान दिया गया। मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कई स्थान रिक्त छोड़े गए थे। ये रिक्त स्थान भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों के लिए आरक्षित रखे गए थे। रासायनिक तत्वों के अध्ययन को सरल और व्यवस्थित करने के लिए ने आवर्त सारणी बनाई गई। तत्वों को उनके समान गुण धर्म के आधार पर व्यवस्थित करने के कई प्रयास किये गए। समान गुणों वाले तत्वों को एक समूह में रखा गया है और असमान गुणों को अलग समूह में रखा गया है।
तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमान के वृद्धि क्रम में क्रमबद्ध करने पर क्षैतिज पंक्तियाँ प्राप्त होती हैं जिन्हें 'आवर्त' कहते हैं।
आवर्त सारणी में व्र्ग में ऊपर से नीचे या आवर्त में बायें से दायें जाने पर तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणों के बढ़ने या घटने का एक निश्चित क्रम होता है। तत्वों के गुणों में यह नियमित परिवर्तन उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और परमाणु क्रमांक पर निर्भर करता है। इस कारण तत्वों के गुणों में भी क्रमिक परिवर्तन होता है। तत्वों के गुणों में इस क्रमिक परिबर्तन को ही गुणों में आवर्तिता कहते हैं।
इनमे दो प्रकार की पंक्तियाँ होती हैं:
क्षैतिज पंक्ति को आवर्त कहा गया है।
ऊर्ध्वाधर पंक्ति को वर्ग कहा गया है।
इस सारणी में 18 ऊर्ध्वाधर स्तम्भ हैं जिन्हें वर्ग कहा जाता है। इस आवर्त सारणी में सभी ज्ञात 118 तत्वों को स्थान मिला है। इसमें लेंथिनाइड और ऐक्टिनाइड तत्वों को अलग से स्थान दिया गया है।
जिसमे तत्वों को उनके परमाणु क्रमांकों के बढ़ते क्रम में रखा गया है।
मेंडलीफ की आवर्त सारणी में आवर्त की विशेषताएं
- आवर्त सारणी में उपस्थित क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त कहा गया।
- आवर्त सारणी में उपस्थित ऊर्ध्वाधर पंक्तियों को वर्ग कहा गया।
- पहले आवर्त में केवल दो तत्व (H, He) रखें गए इसे “अतिलघु आवर्त” कहते हैं।
- दूसरे तथा तीसरे आवर्त में आठ-आठ तत्व है इसे “लघु आवर्त” कहते है।
- चौथे तथा पांचवे आवर्त में बत्तीस तत्व है इसे “दीर्घ आवर्त” कहते हैं।
- छठे आवर्त में 32 तत्व हैं इसे “अतिदीर्घ आवर्त” कहते है।
- मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में आठ वर्ग हैं, और नवां वर्ग में उत्कृष्ट गैसे आती हैं।
अभ्यास प्रश्न
- आवर्तिता से आप क्या समझते हैं ?
- आवर्त सारणी में क्षैतिज पंक्ति को क्या कहा गया है?
- आवर्त सारणी में ऊर्ध्वाधर पंक्ति को क्या कहा गया है?
- आवर्त सारणी में आवर्त की क्या विशेषताएं है?