योगज अभिक्रिया: Difference between revisions

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वे अभिक्रियाएँ जिनमें दो या दो से अधिक पदार्थ संयोग करके केवल एक [[पदार्थ]] बनाते हैं, योगात्मक अभिक्रियाएं कहलाती हैं। योगात्मक अभिक्रियाएं वे [[यौगिक]] देते हैं जिनमें कार्बन कार्बन के मध्य द्विबंध या त्रिबंध उपस्थित होता है।
'''"वे रासायनिक अभिक्रियाएं, जिनमें कार्बनिक यौगिक [[अभिकर्मक]] का योग होता है तथा असंतृप्त यौगिक संतृप्त यौगिक में परिवर्तित हो जाता है। योगात्मक अभिक्रियाएं कहलाती हैं।"''' योगज अभिक्रियाऐं तब होती हैं जब दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एक उत्पाद बनाते हैं, जिसमे किसी भी अभिकारक की हानि नहीं होती है। 
योगज अभिक्रिया का एक उदाहरण मार्कोनीकोफ़ नियम है:
== असममित एल्कीनों पर HBr की योगज (मार्कोनीकॉफ नियम) ==
असममित एल्कीनों (प्रोपीन) पर HBr का योग कराने पर हेलो [[एल्केन]] प्राप्त होती है। जब एक असममित अभिकर्मक को एक असममित एल्केन में जोड़ा जाता है, तो अभिकर्मक का ऋणात्मक भाग दोहरे बंधन के उस कार्बन परमाणु से जुड़ जाता है जिसमें हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या कम होती है। जब एक प्रोटिक अम्ल (HX) को एक असममित एल्कीन में जोड़ा जाता है, तो अम्लीय हाइड्रोजन खुद को अधिक संख्या में हाइड्रोजन प्रतिस्थापन वाले कार्बन से जोड़ता है, जबकि हैलाइड समूह खुद को कार्बन परमाणु से जोड़ता है जिसमें अधिक संख्या में एल्काइल प्रतिस्थापन होते हैं।
उदाहरण : प्रोपेन जैसे असममित ऐल्कीन में HBr को मिलाने से दो उत्पाद प्राप्त होते हैं।
<chem>CH3 - CH = CH2 + HBr -> CH3 - CH(Br) - CH3</chem>
रूसी रसायनविद मार्कोनीकॉफ ने सन 1869 में इन अभिक्रियाओं का व्यापक अध्धयन करने के पश्चात एक नियम प्रतिपादित किया, जिसे '''मार्कोनीकॉफ का नियम''' कहते हैं।
===चरण - 1===
एल्केन प्रोटोनेटेड होता है और यह अधिक स्थिर धनायन को जन्म देता है, इसमें एक प्राथमिक धनायन है और दूसरा द्वितीयक धनायन है। द्वितीयक धनायन प्राथमिक से अधिक स्थाई होता है। इसलिए प्राथमिक धनायन की तुलना में द्वितीयक धनायन को अधिक महत्व दिया जाता है।
<chem>CH3-CH=CH2 + HBr->CH3-CH+-CH3 + Br-</chem>
===चरण -2===
अब हैलाइड आयन न्यूक्लियोफाइल कार्बधनायन पर आक्रमण करता है। इस प्रतिक्रिया में एल्काइल हैलाइड प्राप्त होता है। चूंकि द्वितीयक कार्बधनायन को अधिक महत्व दिया जाता है अतः मुख्य उत्पाद में हैलोजन द्वितीयक कार्बधनायन पर आने की कोशिश करता है।
<chem>CH3 - CH - CH3 + Br- -> CH3 - CH(Br) - CH3</chem>
== एंटी मार्कोनीकॉफ नियम या खराश प्रभाव ==
एंटी मार्कोनीकॉफ नियम या खराश प्रभाव को परॉक्साइड प्रभाव भी कहते हैं। यह मार्कोनीकॉफ नियम का ठीक विपरीत होता है। इसमें ऑक्सीजन या परॉक्साइड की उपस्थित में असममित एल्कीन पर HBr का योग कराने से ब्रोमीन परमाणु द्विबंध युक्त उस कार्बन से जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या अधिक होती है इस प्रभाव को खराश नामक वैज्ञानिक ने बताया था इसलिए इसे खराश प्रभाव या परॉक्साइड प्रभाव भी कहते हैं।
===जैसे===
प्रोपीन पर का योग कराने पर 1 - ब्रोमो प्रोपेन बनता है।
<chem>CH3-CH=CH2 + HBr ->[O2] CH3-CH2-CH2-Br</chem>
== अभ्यास प्रश्न ==
* मार्कोनीकॉफ नियम अभिक्रिया कितने चरणों में पूर्ण होती है ?
* असममित एल्कीनों पर HBr की योगज अभिक्रिया लिखिए।
* प्रति मार्कोनीकॉफ नियम/खराश प्रभाव अभिक्रिया क्या है ?

Latest revision as of 09:09, 25 May 2024

वे अभिक्रियाएँ जिनमें दो या दो से अधिक पदार्थ संयोग करके केवल एक पदार्थ बनाते हैं, योगात्मक अभिक्रियाएं कहलाती हैं। योगात्मक अभिक्रियाएं वे यौगिक देते हैं जिनमें कार्बन कार्बन के मध्य द्विबंध या त्रिबंध उपस्थित होता है।

"वे रासायनिक अभिक्रियाएं, जिनमें कार्बनिक यौगिक अभिकर्मक का योग होता है तथा असंतृप्त यौगिक संतृप्त यौगिक में परिवर्तित हो जाता है। योगात्मक अभिक्रियाएं कहलाती हैं।" योगज अभिक्रियाऐं तब होती हैं जब दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एक उत्पाद बनाते हैं, जिसमे किसी भी अभिकारक की हानि नहीं होती है।

योगज अभिक्रिया का एक उदाहरण मार्कोनीकोफ़ नियम है:

असममित एल्कीनों पर HBr की योगज (मार्कोनीकॉफ नियम)

असममित एल्कीनों (प्रोपीन) पर HBr का योग कराने पर हेलो एल्केन प्राप्त होती है। जब एक असममित अभिकर्मक को एक असममित एल्केन में जोड़ा जाता है, तो अभिकर्मक का ऋणात्मक भाग दोहरे बंधन के उस कार्बन परमाणु से जुड़ जाता है जिसमें हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या कम होती है। जब एक प्रोटिक अम्ल (HX) को एक असममित एल्कीन में जोड़ा जाता है, तो अम्लीय हाइड्रोजन खुद को अधिक संख्या में हाइड्रोजन प्रतिस्थापन वाले कार्बन से जोड़ता है, जबकि हैलाइड समूह खुद को कार्बन परमाणु से जोड़ता है जिसमें अधिक संख्या में एल्काइल प्रतिस्थापन होते हैं।

उदाहरण : प्रोपेन जैसे असममित ऐल्कीन में HBr को मिलाने से दो उत्पाद प्राप्त होते हैं।

रूसी रसायनविद मार्कोनीकॉफ ने सन 1869 में इन अभिक्रियाओं का व्यापक अध्धयन करने के पश्चात एक नियम प्रतिपादित किया, जिसे मार्कोनीकॉफ का नियम कहते हैं।

चरण - 1

एल्केन प्रोटोनेटेड होता है और यह अधिक स्थिर धनायन को जन्म देता है, इसमें एक प्राथमिक धनायन है और दूसरा द्वितीयक धनायन है। द्वितीयक धनायन प्राथमिक से अधिक स्थाई होता है। इसलिए प्राथमिक धनायन की तुलना में द्वितीयक धनायन को अधिक महत्व दिया जाता है।

चरण -2

अब हैलाइड आयन न्यूक्लियोफाइल कार्बधनायन पर आक्रमण करता है। इस प्रतिक्रिया में एल्काइल हैलाइड प्राप्त होता है। चूंकि द्वितीयक कार्बधनायन को अधिक महत्व दिया जाता है अतः मुख्य उत्पाद में हैलोजन द्वितीयक कार्बधनायन पर आने की कोशिश करता है।

एंटी मार्कोनीकॉफ नियम या खराश प्रभाव

एंटी मार्कोनीकॉफ नियम या खराश प्रभाव को परॉक्साइड प्रभाव भी कहते हैं। यह मार्कोनीकॉफ नियम का ठीक विपरीत होता है। इसमें ऑक्सीजन या परॉक्साइड की उपस्थित में असममित एल्कीन पर HBr का योग कराने से ब्रोमीन परमाणु द्विबंध युक्त उस कार्बन से जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या अधिक होती है इस प्रभाव को खराश नामक वैज्ञानिक ने बताया था इसलिए इसे खराश प्रभाव या परॉक्साइड प्रभाव भी कहते हैं।

जैसे

प्रोपीन पर का योग कराने पर 1 - ब्रोमो प्रोपेन बनता है।

अभ्यास प्रश्न

  • मार्कोनीकॉफ नियम अभिक्रिया कितने चरणों में पूर्ण होती है ?
  • असममित एल्कीनों पर HBr की योगज अभिक्रिया लिखिए।
  • प्रति मार्कोनीकॉफ नियम/खराश प्रभाव अभिक्रिया क्या है ?