एन्ट्रॉपी और ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम: Difference between revisions

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== ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम ==
उष्मागतिकी के द्वितीय नियम के अनुसार, किसी भी स्वतः प्रवर्तित प्रक्रम में, विश्व (अर्थात निकाय + परिसर) की एन्ट्रॉपी बढ़ती है।
'''<big>△S<sub>univ =</sub> △S<sub>sys</sub> + △S<sub>surr</sub>  >0</big>'''
'''<big>△S<sub>univ</sub> > 0</big>'''  '''(स्वतः प्रवर्तित)'''
'''<big>△S<sub>univ</sub> = 0</big>''' '''(साम्यावस्था)'''
'''<big>△S<sub>univ</sub> < 0</big>'''  '''(स्वतः अप्रवर्तित)'''
== एन्ट्रापी ==
किसी निकाय की एन्ट्रॉपी उसकी ऐंठाल्प्य के सदृश उसका एक अभिलाक्षणिक ऊष्मागतिक गुण है। एन्ट्रॉपी निकाय का एक अवस्था फलन है। यदि कोई निकाय प्रारंभिक अवस्था A से अंतिम अवस्था B में परिवर्तित होता है तो उसकी एन्ट्रॉपी में परिवर्तन
किसी निकाय की एन्ट्रॉपी उसकी ऐंठाल्प्य के सदृश उसका एक अभिलाक्षणिक ऊष्मागतिक गुण है। एन्ट्रॉपी निकाय का एक अवस्था फलन है। यदि कोई निकाय प्रारंभिक अवस्था A से अंतिम अवस्था B में परिवर्तित होता है तो उसकी एन्ट्रॉपी में परिवर्तन


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यह एक स्वतः प्रवर्तित अभिक्रिया है जो स्वतः होती है।
यह एक स्वतः प्रवर्तित अभिक्रिया है जो स्वतः होती है।
== अभ्यास प्रश्न ==
* ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम क्या है?
* स्वतः प्रवर्तित परिवर्तन स्वतः अप्रवर्तित परिवर्तन से किस प्रकार भिन्न हैं?

Latest revision as of 11:53, 29 May 2024


ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम

उष्मागतिकी के द्वितीय नियम के अनुसार, किसी भी स्वतः प्रवर्तित प्रक्रम में, विश्व (अर्थात निकाय + परिसर) की एन्ट्रॉपी बढ़ती है।

△Suniv = △Ssys + △Ssurr >0

△Suniv > 0 (स्वतः प्रवर्तित)

△Suniv = 0 (साम्यावस्था)

△Suniv < 0 (स्वतः अप्रवर्तित)

एन्ट्रापी

किसी निकाय की एन्ट्रॉपी उसकी ऐंठाल्प्य के सदृश उसका एक अभिलाक्षणिक ऊष्मागतिक गुण है। एन्ट्रॉपी निकाय का एक अवस्था फलन है। यदि कोई निकाय प्रारंभिक अवस्था A से अंतिम अवस्था B में परिवर्तित होता है तो उसकी एन्ट्रॉपी में परिवर्तन

△S = Sअंतिम - Sप्रारंभिक

जहाँ, Sप्रारंभिक और Sअंतिम क्रमशः निकाय की प्रारम्भिक और अंतिम अवस्थाओं की एन्ट्रॉपी है, △S निकाय की एन्ट्रॉपी में परिवर्तन है।

जहां △S का  णात्मक मान यह प्रदर्शित करता है कि परिवर्तन में निकाय का मान घट गया है और △S का धनात्मक मान यह प्रदर्शित करता है कि निकाय का एन्ट्रॉपी का मान बढ़ गया है। एन्ट्रॉपी किसी निकाय में अव्यवस्था या अनियमितता की मात्रा की माप है, जो निकाय अत्यधिक अव्यवस्थित होते है उनकी एन्ट्रापी भी अधिक होती है। बहुत व्यवस्थित निकायों की एन्ट्रापी निम्न होती है। किसी प्रणाली में कण (परमाणु, अणु) कितने फैले हुए या अव्यवस्थित हैं। उच्च एन्ट्रापी उच्च स्तर की अव्यवस्था को इंगित करती है, जबकि कम एन्ट्रापी अधिक व्यवस्थित या संरचित स्थिति को इंगित करती है। यह किसी प्रणाली में अव्यवस्था या यादृच्छिकता की मात्रा का माप है। एन्ट्रॉपी को प्रतीक "s" द्वारा दर्शाया जाता है और यह एक मौलिक गुण है जो हमें रासायनिक प्रतिक्रियाओं और भौतिक प्रक्रियाओं की सहजता और दिशा को समझने में मदद करता है।

एन्ट्रापी और पदार्थ की अवस्थाएँ

  • किसी ठोस में, कण बारीकी से पैक होते हैं और उनकी एन्ट्रापी कम होती है क्योंकि वे अत्यधिक क्रमबद्ध होते हैं।
  • द्रव में, कणों को चलने की अधिक स्वतंत्रता होती है लेकिन फिर भी वे कुछ हद तक व्यवस्थित होते हैं, इसलिए एन्ट्रापी ठोस की तुलना में अधिक होती है लेकिन गैस की तुलना में कम होती है।
  • गैस में कणों को गति करने की सबसे अधिक स्वतंत्रता होती है।

इकाइयाँ

इंटरनेशनल सिस्टम ऑफ़ यूनिट्स (SI) में एन्ट्रॉपी को जूल प्रति केल्विन (J/K) की इकाइयों में मापा जाता है।

एन्ट्रापी और मिश्रण

दो पदार्थों को मिलाने से एन्ट्रापी में वृद्धि हो सकती है क्योंकि कण अधिक अनियमित ढंग से वितरित हो जाते हैं। इसके विपरीत, पदार्थों को अलग करने से एन्ट्रापी में कमी आ सकती है।

स्वतः प्रवर्तित परिवर्तन

जिन परिवर्तनों को अपने आप होने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है, स्वतः प्रवर्तित परिवर्तन कहलाते हैं। और जिन परिवर्तनों को होने की स्वाभाविक प्रवर्त्ती नहीं होती है स्वतः अप्रवर्तित परिवर्तन कहलाते हैं। यह किसी वाह्य प्रक्रिया के द्वारा कराये जाते हैं।

उदाहरण

हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों के मिश्रण में विधुत - स्फुलिंग करने पर ये आपस में मिल कर जल बनाते हैं,

यह एक स्वतः प्रवर्तित अभिक्रिया है जो स्वतः होती है।

अभ्यास प्रश्न

  • ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम क्या है?
  • स्वतः प्रवर्तित परिवर्तन स्वतः अप्रवर्तित परिवर्तन से किस प्रकार भिन्न हैं?