संयुग्मी क्षार: Difference between revisions

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आरेनियस जोकि एक स्वीडिश वैज्ञानिक थे उन्होंने 1807 ने आयनिक सिद्धांत प्रस्तुत किया था। आरेनियस की [[अम्ल]] क्षार संकल्पना के अनुसार अम्ल वह [[पदार्थ]] हैं, जो जल में घोलने पर वियोजित होकर धनावेशित आयनों में केवल हाइड्रोजन आयन देता है तथा क्षार वह पदार्थ है जो जल में घोलने पर वियोजित होकर ऋणावेशित आयनों में केवल हाइड्राक्साइड आयन देता है। जो अम्ल और क्षारक जलीय विलयन में सभी सांद्रताओं पर पूर्णरूप से आयनित हो जाते हैं प्रबल अम्ल और प्रबल क्षारक कहलाते हैं, तथा जो अम्ल और क्षारक जलीय विलयन में आंशिक रूप से आयनित हो जाते हैं दुर्बल अम्ल और दुर्बल क्षारक कहलाते हैं। प्रबल अम्लों और प्रबल क्षारकों की [[आयनन ऊर्जा|आयनन]] की मात्रा सभी सांद्रताओं पर बहुत उच्च होती है। दुर्बल अम्ल और दुर्बल क्षारकों के आयनन की मात्रा भी बहुत कम होती है तथा यह उनकी प्रकृति और [[विलयन]] की सांद्रता पर निर्भर करती है।


== संयुग्मी अम्ल - क्षारक युगल ==
== संयुग्मी अम्ल - क्षारक युगल ==
किसी अम्ल में से एक प्रोटॉन निकल जाने पर जो भाग शेष बचता है उसे उस अम्ल का '''संयुग्मी क्षारक''' कहते हैं, तथा किसी क्षारक में एक प्रोटॉन जुड़ जाने पर जो अम्ल प्राप्त होता है उसे उस क्षारक का '''संयुग्मी अम्ल''' कहते हैं।  
किसी अम्ल में से एक [[प्रोटॉन]] निकल जाने पर जो भाग शेष बचता है उसे उस अम्ल का '''संयुग्मी क्षार''' कहते हैं, तथा किसी क्षार में एक प्रोटॉन जुड़ जाने पर जो अम्ल प्राप्त होता है उसे उस क्षार का '''संयुग्मी अम्ल''' कहते हैं।  


प्रत्येक अम्ल का एक संयुग्मी क्षारक तथा प्रत्येक क्षारक का एक संयुग्मी अम्ल होता है। अम्ल अपने संयुग्मी क्षारक को प्रोटॉन नहीं देता है। अधिक प्रबल अम्ल का संयुग्मी क्षारक अधिक दुर्बल होता है। अधिक प्रबल अम्ल अधिक आसानी से प्रोटॉन देता है, तथा दुर्बल अम्ल आसानी से प्रोटॉन नहीं देता है।
प्रत्येक अम्ल का एक संयुग्मी क्षार तथा प्रत्येक क्षार का एक संयुग्मी अम्ल होता है। अम्ल अपने संयुग्मी क्षार को प्रोटॉन नहीं देता है। अधिक प्रबल अम्ल का संयुग्मी क्षार अधिक दुर्बल होता है। अधिक प्रबल अम्ल अधिक आसानी से प्रोटॉन देता है, तथा दुर्बल अम्ल आसानी से प्रोटॉन नहीं देता है।<blockquote><chem>HCl -> H+ + Cl-</chem></blockquote>HCl एक प्रबल अम्ल है। जब यह एक प्रोटॉन दान करता है, तो एक [[आयन]] उत्पन्न होता है, और इसलिए Cl<sup>-</sup> संयुग्म क्षार है।<blockquote><chem>CH3NH2 + H+  ->  CH3NH3+</chem></blockquote>CH<sub>3</sub>NH<sub>2</sub> एक [[एमीन]] है, और इसलिए एक दुर्बल क्षार है। एक प्रोटॉन जोड़ने पर इसका संयुग्म अम्ल CH<sub>3</sub>NH<sub>3</sub><sup>+</sup> प्राप्त होता है।
 
प्रबल क्षार OH<sup>-</sup> में एक प्रोटॉन जोड़ने से H<sub>2</sub>O को इसका संयुग्मी अम्ल मिलता है।
 
हाइड्रोजन कार्बोनेट आयन, HCO3-, एक डिप्रोटिक अम्ल से प्राप्त होता है और एम्फ़िप्रोटिक होता है। इसका संयुग्म अम्ल H<sub>2</sub>CO<sub>3</sub> है, और इसका संयुग्म क्षार CO3<sup>2–</sup> है।<blockquote><chem>H2CO3 ->  H+ + HCO3-</chem>
 
<chem>HCO3 ->  H+ + CO3^-2</chem></blockquote>हाइड्रोजन कार्बोनेट आयन, HCO<sup>3-</sup>, एक डिप्रोटिक अम्ल से प्राप्त होता है और एम्फ़िप्रोटिक होता है। इसका संयुग्म अम्ल H<sub>2</sub>CO<sub>3</sub> है, और इसका संयुग्म क्षार CO<sub>3</sub><sup>2-</sup> है।
 
== अभ्यास प्रश्न ==
 
* संयुग्मी क्षार क्या है ?
* अम्ल एवं क्षार से आप समझते हैं ?
* हाइड्रोजन कार्बोनेट आयन का रासायनिक सूत्र क्या है ?

Latest revision as of 13:05, 29 May 2024

आरेनियस जोकि एक स्वीडिश वैज्ञानिक थे उन्होंने 1807 ने आयनिक सिद्धांत प्रस्तुत किया था। आरेनियस की अम्ल क्षार संकल्पना के अनुसार अम्ल वह पदार्थ हैं, जो जल में घोलने पर वियोजित होकर धनावेशित आयनों में केवल हाइड्रोजन आयन देता है तथा क्षार वह पदार्थ है जो जल में घोलने पर वियोजित होकर ऋणावेशित आयनों में केवल हाइड्राक्साइड आयन देता है। जो अम्ल और क्षारक जलीय विलयन में सभी सांद्रताओं पर पूर्णरूप से आयनित हो जाते हैं प्रबल अम्ल और प्रबल क्षारक कहलाते हैं, तथा जो अम्ल और क्षारक जलीय विलयन में आंशिक रूप से आयनित हो जाते हैं दुर्बल अम्ल और दुर्बल क्षारक कहलाते हैं। प्रबल अम्लों और प्रबल क्षारकों की आयनन की मात्रा सभी सांद्रताओं पर बहुत उच्च होती है। दुर्बल अम्ल और दुर्बल क्षारकों के आयनन की मात्रा भी बहुत कम होती है तथा यह उनकी प्रकृति और विलयन की सांद्रता पर निर्भर करती है।

संयुग्मी अम्ल - क्षारक युगल

किसी अम्ल में से एक प्रोटॉन निकल जाने पर जो भाग शेष बचता है उसे उस अम्ल का संयुग्मी क्षार कहते हैं, तथा किसी क्षार में एक प्रोटॉन जुड़ जाने पर जो अम्ल प्राप्त होता है उसे उस क्षार का संयुग्मी अम्ल कहते हैं।  

प्रत्येक अम्ल का एक संयुग्मी क्षार तथा प्रत्येक क्षार का एक संयुग्मी अम्ल होता है। अम्ल अपने संयुग्मी क्षार को प्रोटॉन नहीं देता है। अधिक प्रबल अम्ल का संयुग्मी क्षार अधिक दुर्बल होता है। अधिक प्रबल अम्ल अधिक आसानी से प्रोटॉन देता है, तथा दुर्बल अम्ल आसानी से प्रोटॉन नहीं देता है।

HCl एक प्रबल अम्ल है। जब यह एक प्रोटॉन दान करता है, तो एक आयन उत्पन्न होता है, और इसलिए Cl- संयुग्म क्षार है।

CH3NH2 एक एमीन है, और इसलिए एक दुर्बल क्षार है। एक प्रोटॉन जोड़ने पर इसका संयुग्म अम्ल CH3NH3+ प्राप्त होता है।

प्रबल क्षार OH- में एक प्रोटॉन जोड़ने से H2O को इसका संयुग्मी अम्ल मिलता है।

हाइड्रोजन कार्बोनेट आयन, HCO3-, एक डिप्रोटिक अम्ल से प्राप्त होता है और एम्फ़िप्रोटिक होता है। इसका संयुग्म अम्ल H2CO3 है, और इसका संयुग्म क्षार CO32– है।

हाइड्रोजन कार्बोनेट आयन, HCO3-, एक डिप्रोटिक अम्ल से प्राप्त होता है और एम्फ़िप्रोटिक होता है। इसका संयुग्म अम्ल H2CO3 है, और इसका संयुग्म क्षार CO32- है।

अभ्यास प्रश्न

  • संयुग्मी क्षार क्या है ?
  • अम्ल एवं क्षार से आप समझते हैं ?
  • हाइड्रोजन कार्बोनेट आयन का रासायनिक सूत्र क्या है ?