हाइजेन्स का सिद्धांत: Difference between revisions
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ह्यूजेंस के सिद्धांत को सुपरपोजिशन के सिद्धांत का उपयोग करके गणितीय रूप से दर्शाया जा सकता है, जो कहता है कि किसी भी बिंदु पर कुल प्रभाव व्यक्तिगत तरंगिकाओं द्वारा उत्पन्न प्रभावों का योग है। इस सिद्धांत को निरूपित करने के लीये : | ह्यूजेंस के सिद्धांत को सुपरपोजिशन के सिद्धांत का उपयोग करके गणितीय रूप से दर्शाया जा सकता है, जो कहता है कि किसी भी बिंदु पर कुल प्रभाव व्यक्तिगत तरंगिकाओं द्वारा उत्पन्न प्रभावों का योग है। इस सिद्धांत को निरूपित करने के लीये : | ||
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बिंदु P पर कुल प्रभाव इन सभी द्वितीयक तरंगिकाओं के सुपरपोजिशन द्वारा दिया जाता है: | बिंदु P पर कुल प्रभाव इन सभी द्वितीयक तरंगिकाओं के सुपरपोजिशन द्वारा दिया जाता है: | ||
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E_P बिंदु P पर परिणामी विद्युत क्षेत्र है। | * E_P बिंदु P पर परिणामी विद्युत क्षेत्र है। | ||
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k तरंग संख्या है (2π/λ के बराबर, जहां λ तरंग दैर्ध्य है)। | * ω कोणीय आवृत्ति है। | ||
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इंटीग्रल सभी द्वितीयक तरंगिकाओं के योगदान को उनके आयामों, दूरियों और चरण अंतरों को ध्यान में रखते हुए सारांशित करता है । | इंटीग्रल सभी द्वितीयक तरंगिकाओं के योगदान को उनके आयामों, दूरियों और चरण अंतरों को ध्यान में रखते हुए सारांशित करता है । |
Latest revision as of 07:18, 15 September 2023
Huygen's Principle
ह्यूजेंस का सिद्धांत तरंग प्रकाशिकी में एक मौलिक अवधारणा है जो हमें यह समझने में मदद करती है कि तरंगें कैसे फैलती हैं और बाधाओं या छिद्रों के साथ कैसे संपर्क करती हैं।
प्रमुख बिंदु
वेवफ्रंट
वेवफ्रंट एक काल्पनिक सतह है जो तरंग के उन बिंदुओं को जोड़ती है जो चरण में होते हैं (जिसका अर्थ है कि उनके दोलन का चरण समान है)।
द्वितीयक तरंगिकाएँ
ह्यूजेंस के सिद्धांत के अनुसार, तरंगाग्र पर प्रत्येक बिंदु छोटी द्वितीयक तरंगिकाओं के स्रोत के रूप में कार्य करता है जो सभी दिशाओं में फैलती हैं।
तरंगाग्र का निर्माण
बाद के समय में नया तरंगाग्र इन द्वितीयक तरंगिकाओं के आवरण से बनता है। तरंगाग्र की दिशा तरंगिकाओं के लंबवत होती है।
गणितीय प्रतिनिधित्व
ह्यूजेंस के सिद्धांत को सुपरपोजिशन के सिद्धांत का उपयोग करके गणितीय रूप से दर्शाया जा सकता है, जो कहता है कि किसी भी बिंदु पर कुल प्रभाव व्यक्तिगत तरंगिकाओं द्वारा उत्पन्न प्रभावों का योग है। इस सिद्धांत को निरूपित करने के लीये :
- P उस बिंदु के रूप में जहां हम तरंग के आयाम और नए तरंगाग्र की स्थिति का पता लगाना चाहते हैं।
- मूल तरंगाग्र पर बिंदु P से विशिष्ट द्वितीयक तरंगिका स्रोत की दूरी के रूप में r।
- A द्वितीयक तरंगिका के आयाम के रूप में।
बिंदु P पर कुल प्रभाव इन सभी द्वितीयक तरंगिकाओं के सुपरपोजिशन द्वारा दिया जाता है:
E_P=\int A^{\frac{ei(kr−ωt)}{r}}dA
जहाँ:
- E_P बिंदु P पर परिणामी विद्युत क्षेत्र है।
- k तरंग संख्या है (2π/λ के बराबर, जहां λ तरंग दैर्ध्य है)।
- ω कोणीय आवृत्ति है।
- t समय है।
इंटीग्रल सभी द्वितीयक तरंगिकाओं के योगदान को उनके आयामों, दूरियों और चरण अंतरों को ध्यान में रखते हुए सारांशित करता है ।
महत्वपूर्ण अवधारणाएं
ह्यूजेंस का सिद्धांत प्रतिबिंब, अपवर्तन और विवर्तन जैसी घटनाओं को समझाने में मदद करता है, क्योंकि यह बताता है कि तरंगें बाधाओं और सीमाओं के साथ कैसे संपर्क करती हैं।
यह सिद्धांत, यह समझने के लिए एक आधार प्रदान करता है, कि तरंगें विभिन्न माध्यमों में कैसे फैलती हैं, जिसमें प्रकाशिकी में प्रकाश तरंगें भी शामिल हैं।
महत्व
ह्यूजेंस का सिद्धांत तरंग प्रकाशिकी और तरंग सिद्धांत में एक मौलिक अवधारणा है, जो तरंग व्यवहार को समझने के लिए एक दृश्य और गणितीय ढांचा प्रदान करता है।
इसका उपयोग ऑप्टिकल सिस्टम में प्रकाश तरंगों के व्यवहार को समझाने के लिए किया जाता है, जैसे कि विभिन्न सामग्रियों से गुजरते समय या बाधाओं का सामना करते समय प्रकाश कैसे झुकता है।
संक्षेप में
ह्यूजेंस के सिद्धांत में कहा गया है कि तरंगाग्र पर प्रत्येक बिंदु को द्वितीयक गोलाकार तरंगों का एक नया बिंदु स्रोत माना जा सकता है। ये द्वितीयक तरंगें बाद में मिलकर नए तरंगाग्र का निर्माण करती हैं। यह वर्णन करता है कि लहरें कैसे फैलती हैं और फैलती हैं।