लेक्लांशे सेल: Difference between revisions
No edit summary |
No edit summary |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
[[Category:वैधुतरसायन]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:भौतिक रसायन]] | [[Category:वैधुतरसायन]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:भौतिक रसायन]] | ||
लेक्लांश सेल जॉर्जेस लेक्लांच द्वारा आविष्कार की गई एक बैटरी है, इस कारण इसका नाम लेक्लांश सेल रखा गया। जिसमें एक वैधुत अपघट्य विलयन होता है, तथा दो इलेक्ट्रोड लगे होते हैं जिसमे एक कैथोड और एक एनोड का कार्य करता है। इस सेल का एक उदाहरण जिंक-कार्बन बैटरी है जिसका अलार्म घड़ियों, फ्लैशलाइट आदि में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। | [[Category:Vidyalaya Completed]] | ||
लेक्लांश सेल जॉर्जेस लेक्लांच द्वारा आविष्कार की गई एक बैटरी है, इस कारण इसका नाम लेक्लांश सेल रखा गया। जिसमें एक वैधुत अपघट्य [[विलयन]] होता है, तथा दो [[इलेक्ट्रोड विभव|इलेक्ट्रोड]] लगे होते हैं जिसमे एक कैथोड और एक एनोड का कार्य करता है। इस [[सेल]] का एक उदाहरण जिंक-कार्बन बैटरी है जिसका अलार्म घड़ियों, फ्लैशलाइट आदि में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। | |||
===जिंक-कार्बन बैटरियां=== | |||
इसमें जिंक (ऋणात्मक इलेक्ट्रोड), मैंगनीज डाइऑक्साइड (धनात्मक इलेक्ट्रोड), अमोनियम क्लोराइड (वैधुत अपघट्य) उपस्थित होते हैं। | |||
लेक्लांश एक प्रकार की प्राथमिक बैटरी है जिसमें कैथोड और एनोड होते हैं, जिसमे वैधुत अपघट्य पदार्थ भरा होता हैं। सेल का आविष्कार पहली बार 1866 में किया गया था। इसका व्यापक रूप से सिग्नलिंग नेटवर्क और उन प्रणालियों में उपयोग किया जाता है जहां निम्न धारा की आवश्यकता होती है। | '''वोल्टेज:''' आमतौर पर प्रति सेल 1.5 वोल्ट। | ||
'''सामान्य अनुप्रयोग:''' घड़ियाँ और रिमोट कंट्रोल की बैटरियां बनाने में। | |||
लेक्लांश एक प्रकार की प्राथमिक बैटरी है जिसमें कैथोड और एनोड होते हैं, जिसमे वैधुत अपघट्य [[पदार्थ]] भरा होता हैं। सेल का आविष्कार पहली बार 1866 में किया गया था। इसका व्यापक रूप से सिग्नलिंग नेटवर्क और उन प्रणालियों में उपयोग किया जाता है जहां निम्न धारा की आवश्यकता होती है। | |||
लेक्लांश बैटरी के तीन रूप होते हैं: जिंक, जिंक क्लोराइड और क्षारीय मैंगनीज। | लेक्लांश बैटरी के तीन रूप होते हैं: जिंक, जिंक क्लोराइड और क्षारीय मैंगनीज। | ||
Line 23: | Line 30: | ||
: <chem>Zn + 2MnO2 + 2NH4Cl -> [Zn(NH3)2Cl2] + 2MnO</chem> | : <chem>Zn + 2MnO2 + 2NH4Cl -> [Zn(NH3)2Cl2] + 2MnO</chem> | ||
== अभ्यास प्रश्न == | |||
* बैटरी से आप क्या समझते हैं? | |||
* प्राथमिक बैटरी क्या हैं? | |||
* लेक्लांशे सेल से आप क्या समझते हैं? |
Latest revision as of 16:02, 30 May 2024
लेक्लांश सेल जॉर्जेस लेक्लांच द्वारा आविष्कार की गई एक बैटरी है, इस कारण इसका नाम लेक्लांश सेल रखा गया। जिसमें एक वैधुत अपघट्य विलयन होता है, तथा दो इलेक्ट्रोड लगे होते हैं जिसमे एक कैथोड और एक एनोड का कार्य करता है। इस सेल का एक उदाहरण जिंक-कार्बन बैटरी है जिसका अलार्म घड़ियों, फ्लैशलाइट आदि में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
जिंक-कार्बन बैटरियां
इसमें जिंक (ऋणात्मक इलेक्ट्रोड), मैंगनीज डाइऑक्साइड (धनात्मक इलेक्ट्रोड), अमोनियम क्लोराइड (वैधुत अपघट्य) उपस्थित होते हैं।
वोल्टेज: आमतौर पर प्रति सेल 1.5 वोल्ट।
सामान्य अनुप्रयोग: घड़ियाँ और रिमोट कंट्रोल की बैटरियां बनाने में।
लेक्लांश एक प्रकार की प्राथमिक बैटरी है जिसमें कैथोड और एनोड होते हैं, जिसमे वैधुत अपघट्य पदार्थ भरा होता हैं। सेल का आविष्कार पहली बार 1866 में किया गया था। इसका व्यापक रूप से सिग्नलिंग नेटवर्क और उन प्रणालियों में उपयोग किया जाता है जहां निम्न धारा की आवश्यकता होती है।
लेक्लांश बैटरी के तीन रूप होते हैं: जिंक, जिंक क्लोराइड और क्षारीय मैंगनीज।
लेक्लांशे सेल में एक जिंक इलेक्ट्रोड ( ऋणात्मक टर्मिनल), एक कार्बन इलेक्ट्रोड (धनात्मक टर्मिनल), और कैथोड के रूप में मैंगनीज डाइऑक्साइड और कार्बन पाउडर का मिश्रण होता है। पुरानी लेक्लांशे सेल की क्षमता सीमित थी और इसमें जंग लगने का खतरा था, जिससे इसका जीवनकाल कम हो गया। और इसका उत्पादन सस्ता था और यह काफी समय तक धारा का स्थिर प्रवाह प्रदान करता था। लेकिन धीरे धीरे यह अपनी सुविधा के कारण लोकप्रिय हो गया।
लेक्लांशे सेल की अभिक्रिया
लेक्लांशे सेल में निम्न अभिक्रिया होती है :
एनोड पर
कैथोड पर
विद्युत-अपघट्य में
सम्पूर्ण अभिक्रिया
अभ्यास प्रश्न
- बैटरी से आप क्या समझते हैं?
- प्राथमिक बैटरी क्या हैं?
- लेक्लांशे सेल से आप क्या समझते हैं?