वात्या भट्टी: Difference between revisions

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वात्या भट्ठी या ब्लास्ट फर्नेस (Blast furnace) एक प्रकार की धातु-वैज्ञानिक भट्टी (मेटलर्जिकल फर्नेस) है जिसका इस्तेमाल सामान्यतः लोहे जैसी औद्योगिक धातुओं का निर्माण करने हेतु धातुओं को पिघलाने के लिए किया जाता है। वात्या भट्ठी या ब्लास्ट फर्नेस (Blast furnace) एक प्रकार की धातु-वैज्ञानिक भट्टी (मेटलर्जिकल फर्नेस) है जिसका इस्तेमाल सामान्यतः लोहे जैसी औद्योगिक धातुओं का निर्माण करने हेतु धातुओं को पिघलाने के लिए किया जाता है।
वात्या भट्ठी या ब्लास्ट फर्नेस (Blast furnace) एक प्रकार की धातु-वैज्ञानिक भट्टी (मेटलर्जिकल फर्नेस) है जिसका इस्तेमाल सामान्यतः लोहे जैसी औद्योगिक धातुओं का निर्माण करने हेतु धातुओं को पिघलाने के लिए किया जाता है। वात्या भट्ठी या ब्लास्ट फर्नेस (Blast furnace) एक प्रकार की [[धातु]]-वैज्ञानिक भट्टी (मेटलर्जिकल फर्नेस) है जिसका इस्तेमाल सामान्यतः लोहे जैसी औद्योगिक धातुओं का निर्माण करने हेतु धातुओं को पिघलाने के लिए किया जाता है।
[[File:Modern blast furnaces (Wonder Book of Engineering Wonders, 1931).jpg|thumb|वात्या भट्ठी]]
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वात्या भट्ठी में भट्ठी के ऊपर से लगातार ईंधन और अयस्क की आपूर्ति की जाती है जबकि चैंबर के निचले तल में हवा दी जाती है ताकि पदार्थों के नीचे की तरफ आने के दौरान पूरे भट्टी में रासायनिक अभिक्रिया हो सके। अंतिम उत्पाद के रूप में  सामान्यतः नीचे की तरफ से पिघली हुई धातु और धातुमल तथा फर्नेस के ऊपर से धुआं युक्त गैसें निकलती हैं। प्रगलन प्रक्रिया वात्या भट्ठी में की जाती है।
वात्या भट्ठी में भट्ठी के ऊपर से लगातार ईंधन और [[अयस्क]] की आपूर्ति की जाती है जबकि चैंबर के निचले तल में हवा दी जाती है ताकि पदार्थों के नीचे की तरफ आने के दौरान पूरे भट्टी में रासायनिक अभिक्रिया हो सके। अंतिम उत्पाद के रूप में  सामान्यतः नीचे की तरफ से पिघली हुई धातु और धातुमल तथा फर्नेस के ऊपर से धुआं युक्त गैसें निकलती हैं। प्रगलन प्रक्रिया वात्या भट्ठी में की जाती है।


== प्रगलन ==
== प्रगलन ==
अयस्क में उपस्थित अगलनीय अशुद्धियों को दूर करने के लिए उचित गालक मिलाकर मिश्रण को उच्च ताप पर गलाने की क्रिया प्रगलन (smelting) कहलाती है। इस क्रिया में अयस्क को गलित धातु और कोक द्वारा अपचयन किया जाता है अथवा धातुयुक्त पदार्थ पिघल जाता है। गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके गलनीय धातुमल बनाता है जिसे अलग कर लेते हैं। यह प्रक्रिया वात्या भट्ठी में की जाती है।
[[अयस्क]] में उपस्थित अगलनीय अशुद्धियों को दूर करने के लिए उचित गालक मिलाकर मिश्रण को उच्च ताप पर गलाने की क्रिया [[प्रगलन]] (smelting) कहलाती है। इस क्रिया में अयस्क को गलित [[धातु]] और कोक द्वारा अपचयन किया जाता है अथवा धातुयुक्त पदार्थ पिघल जाता है। गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके गलनीय धातुमल बनाता है जिसे अलग कर लेते हैं। यह प्रक्रिया वात्या भट्ठी में की जाती है।


निस्तापन या भर्जन से प्राप्त अयस्क में उचित गालक मिलाकर उसे गर्म किया जाता है। इस प्रकार उच्च ताप पर अयस्क को गलाने की प्रक्रिया को प्रगलन कहा जाता है।  गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके धातुमल बनाता है यह धातुमल हल्का होता है अतः यह गलित धातु के ऊपर तैरता रहता है।
[[निस्तापन]] या [[भर्जन]] से प्राप्त अयस्क में उचित गालक मिलाकर उसे गर्म किया जाता है। इस प्रकार उच्च ताप पर अयस्क को गलाने की प्रक्रिया को प्रगलन कहा जाता है।  गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके धातुमल बनाता है यह धातुमल हल्का होता है अतः यह गलित धातु के ऊपर तैरता रहता है।
===उदाहरण===
===उदाहरण===
काँपर पाइराइट से कॉपर का निष्कर्षण वात्या भट्ठी में प्रगलन द्वारा करने पर निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं।
काँपर पाइराइट से कॉपर का निष्कर्षण वात्या भट्ठी में प्रगलन द्वारा करने पर निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं।

Latest revision as of 16:47, 30 May 2024

वात्या भट्ठी या ब्लास्ट फर्नेस (Blast furnace) एक प्रकार की धातु-वैज्ञानिक भट्टी (मेटलर्जिकल फर्नेस) है जिसका इस्तेमाल सामान्यतः लोहे जैसी औद्योगिक धातुओं का निर्माण करने हेतु धातुओं को पिघलाने के लिए किया जाता है। वात्या भट्ठी या ब्लास्ट फर्नेस (Blast furnace) एक प्रकार की धातु-वैज्ञानिक भट्टी (मेटलर्जिकल फर्नेस) है जिसका इस्तेमाल सामान्यतः लोहे जैसी औद्योगिक धातुओं का निर्माण करने हेतु धातुओं को पिघलाने के लिए किया जाता है।

वात्या भट्ठी

वात्या भट्ठी में भट्ठी के ऊपर से लगातार ईंधन और अयस्क की आपूर्ति की जाती है जबकि चैंबर के निचले तल में हवा दी जाती है ताकि पदार्थों के नीचे की तरफ आने के दौरान पूरे भट्टी में रासायनिक अभिक्रिया हो सके। अंतिम उत्पाद के रूप में  सामान्यतः नीचे की तरफ से पिघली हुई धातु और धातुमल तथा फर्नेस के ऊपर से धुआं युक्त गैसें निकलती हैं। प्रगलन प्रक्रिया वात्या भट्ठी में की जाती है।

प्रगलन

अयस्क में उपस्थित अगलनीय अशुद्धियों को दूर करने के लिए उचित गालक मिलाकर मिश्रण को उच्च ताप पर गलाने की क्रिया प्रगलन (smelting) कहलाती है। इस क्रिया में अयस्क को गलित धातु और कोक द्वारा अपचयन किया जाता है अथवा धातुयुक्त पदार्थ पिघल जाता है। गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके गलनीय धातुमल बनाता है जिसे अलग कर लेते हैं। यह प्रक्रिया वात्या भट्ठी में की जाती है।

निस्तापन या भर्जन से प्राप्त अयस्क में उचित गालक मिलाकर उसे गर्म किया जाता है। इस प्रकार उच्च ताप पर अयस्क को गलाने की प्रक्रिया को प्रगलन कहा जाता है।  गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके धातुमल बनाता है यह धातुमल हल्का होता है अतः यह गलित धातु के ऊपर तैरता रहता है।

उदाहरण

काँपर पाइराइट से कॉपर का निष्कर्षण वात्या भट्ठी में प्रगलन द्वारा करने पर निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं।

जहां SiO2 गालक है, जबकि FeSiO3 धातुमल है।

अयस्क में उपस्थित अवांछित सामग्री या अशुद्धता को गैंग कहा जाता है। यह अयस्क भंडारों में पाया जा सकता है जहां खनिज उपस्थित होते है। निष्कर्षण की प्रक्रिया के दौरान, ये अशुद्धियाँ पत्थर, रेत, चट्टान आदि के रूप में अयस्क के साथ मिल जाती हैं। अयस्क की सांद्रता एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग अशुद्धियों को दूर करने के लिए किया जाता है, यह भौतिक और रासायनिक गुणों पर निर्भर होता है। गैंग के कण अवांछित पदार्थ या अशुद्धियाँ जैसे सल्फाइड, ऑक्साइड, सिलिका रेत आदि हैं जो खनिज के साथ मिश्रित होते हैं और इन्हे शुद्ध धातुओं के निष्कर्षण के समय हटा दिया जाता है।

धातुमल

प्रगलन की प्रक्रिया में गालक पदार्थ अशुध्दियों से मिलकर कम गलनांक वाले जो गलनीय पदार्थ बनाते हैं , उसे धातुमल कहा जाता हैं।

अभ्यास प्रश्न

  1. खनिज एवं अयस्क में क्या अंतर है ?
  2. कोई दो अयस्कों के नाम बताइये।
  3. खनिज से अयस्क के निष्कर्षण में कितने चरण होते हैं ?
  4. गैंग से क्या तात्पर्य है?
  5. प्रगलन क्या है?
  6. प्रगलन किस भट्टी में कराया जाता है?