अध्रुवीय आण्विक ठोस: Difference between revisions

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इस प्रकार के ठोसों में इलेक्ट्रॉनों का वितरण सममित होता है, इसलिए ठोस में किसी भी तरफ कोई अतिरिक्त आवेश नहीं होता है, आवेश समान। जब दो विपरीत आवेश  होते हैं तो वे एक-दूसरे को खत्म कर देते हैं। मीथेन, क्लोरीन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन इसके कुछ उदाहरण हैं। वे कमरे के ताप और दाब पर या तो द्रव पदार्थ या गैस होते हैं। वॉनडर वाल् बल वे बल हैं जो इन ठोस पदार्थों में अणुओं को एक साथ पकड़कर रखते हैं। आयनिक या सहसंयोजक बंधों की तुलना में ये बल कमज़ोर होते हैं। ठोस अवस्था में कण (अणु, आयन या परमाणु) बहुत पास पास संकुलित होते हैं। ये प्रबल अंतर-आणविक आकर्षक बलों (संसंजक बलों) द्वारा एक साथ बंधे होते हैं और यादृच्छिक गति नहीं कर सकते। ये निश्चित स्थानों पर रखे जाते हैं और अन्य कणों से घिरे होते हैं। ये ठोस पदार्थों में आणविक गति का केवल एक रूप है, अर्थात् कंपन गति जिसके कारण कण निश्चित स्थिति में घूमते हैं और मिट्टी की सतह को आसानी से नहीं छोड़ सकते हैं। अक्रिस्टलीय ठोस उन ठोस पदार्थों को कहते हैं जिनके परमाणुओं में पर्याप्त दूरी तक कोई सुनिश्चित विन्यास नहीं होता।
इस प्रकार के ठोसों में इलेक्ट्रॉनों का वितरण सममित होता है, इसलिए ठोस में किसी भी तरफ कोई अतिरिक्त आवेश नहीं होता है। जब दो विपरीत आवेश होते हैं तो वे एक-दूसरे को खत्म कर देते हैं। मीथेन, क्लोरीन, [[हाइड्रोजन]] और ऑक्सीजन इसके कुछ उदाहरण हैं। वे कमरे के ताप और दाब पर या तो द्रव [[पदार्थ]] या गैस होते हैं। वॉनडर वाल् बल वे बल हैं जो इन ठोस पदार्थों में अणुओं को एक साथ पकड़कर रखते हैं। आयनिक या सहसंयोजक बंधों की तुलना में ये बल कमज़ोर होते हैं। ठोस अवस्था में कण ([[अणु]], [[आयन]] या [[परमाणु]]) बहुत पास पास संकुलित होते हैं। ये प्रबल अंतर-आणविक आकर्षक बलों (संसंजक बलों) द्वारा एक साथ बंधे होते हैं और यादृच्छिक गति नहीं कर सकते। ये निश्चित स्थानों पर रखे जाते हैं और अन्य कणों से घिरे होते हैं। ये ठोस पदार्थों में आणविक गति का केवल एक रूप है, अर्थात् कंपन गति जिसके कारण कण निश्चित स्थिति में घूमते हैं और मिट्टी की सतह को आसानी से नहीं छोड़ सकते हैं। अक्रिस्टलीय ठोस उन ठोस पदार्थों को कहते हैं जिनके परमाणुओं में पर्याप्त दूरी तक कोई सुनिश्चित विन्यास नहीं होता।


'''उदाहरण'''
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Cl<sub>2</sub>, H<sub>2</sub>, CH<sub>4</sub>
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===हाइड्रोजन-बंधित आणविक ठोस===
===हाइड्रोजन-बंधित आणविक ठोस===
इस प्रकार के यौगिकों में अणुओं में अंतर-आणविक बल प्रबल हाइड्रोजन बंध होते हैं। ध्रुवीय और गैर-ध्रुवीय आणविक ठोस पदार्थों की तुलना में, उनके उबलने और पिघलने का तापमान काफी अधिक होता है। कमरे के ताप और दाब पर, वे क्रमशः अस्थिर द्रव  या नर्म ठोस के रूप में उपस्थित होते हैं। जल एक आणविक द्रव का उदाहरण है जो आपस में हाइड्रोजन-बंधित होता है।
इस प्रकार के यौगिकों में अणुओं में अंतर-आणविक बल प्रबल [[हाइड्रोजन बंधित आणविक|हाइड्रोजन बंध]] होते हैं। ध्रुवीय और गैर-ध्रुवीय आणविक ठोस पदार्थों की तुलना में, उनके उबलने और पिघलने का तापमान काफी अधिक होता है। कमरे के ताप और दाब पर, वे क्रमशः अस्थिर द्रव या नर्म ठोस के रूप में उपस्थित होते हैं। जल एक आणविक द्रव का उदाहरण है जो आपस में हाइड्रोजन-बंधित होता है।
===सहसंयोजक ठोस===
===सहसंयोजक ठोस===
एक बड़े अणु का निर्माण पूरे क्रिस्टल में परस्पर जुड़े सहसंयोजक बंध के कारण होता है। उनके गलनांक और क्वथनांक उच्च होते हैं ये सामान्यतः अच्छे चालक होते हैं। इसके अपवाद ग्रेफाइट है।
एक बड़े अणु का निर्माण पूरे क्रिस्टल में परस्पर जुड़े [[सहसंयोजक बंध]] के कारण होता है। उनके [[गलनांक]] और [[क्वथनांक]] उच्च होते हैं ये सामान्यतः अच्छे चालक होते हैं। इसके अपवाद [[ग्रेफाइट]] है।
===धात्विक ठोस===
===धात्विक ठोस===
धात्विक ठोस धातु परमाणु से मिलकर बने होते हैं, जिनमें संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं इसमें या तो इलेक्ट्रान बाहर निकलता है या इन्हे इलेक्ट्रान प्राप्त होता है, इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप धातु परमाणु धनात्मक रूप से आवेशित हो जाते हैं। धात्विक बंध का निर्माण धनावेशित आयनों और इलेक्ट्रॉनों के बीच एक आकर्षण बल के कारण होता है। यह आकर्षण बल धातु आयनों को एक साथ बांधे रखता है। धात्विक ठोसों की एक नियमित संरचना होती है। इनमे इलेक्ट्रॉनों की बड़ी संख्या के कारण, उनमें उत्कृष्ट तापीय और धात्विक चालकता होती है। यही कारण है कि सभी धातुएँ और मिश्र धातुएँ धात्विक ठोस हैं।
धात्विक ठोस धातु परमाणु से मिलकर बने होते हैं, जिनमें संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं इसमें या तो इलेक्ट्रॉन बाहर निकलता है या इन्हे इलेक्ट्रॉन प्राप्त होता है, इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप धातु परमाणु धनात्मक रूप से आवेशित हो जाते हैं। धात्विक बंध का निर्माण धनावेशित आयनों और इलेक्ट्रॉनों के बीच एक आकर्षण बल के कारण होता है। यह आकर्षण बल [[धातु]] आयनों को एक साथ बांधे रखता है। धात्विक ठोसों की एक नियमित संरचना होती है। इनमे इलेक्ट्रॉनों की बड़ी संख्या के कारण, उनमें उत्कृष्ट तापीय और धात्विक चालकता होती है। यही कारण है कि सभी धातुएँ और मिश्र धातुएँ धात्विक ठोस हैं।
===आयनिक ठोस===
===आयनिक ठोस===
एक आयन सामान्य मात्रा में आवेशों से घिरा होता है जो उसके विरोध में होते हैं। उदाहरण के लिए, यौगिक NaCl में Na<sup>+</sup> आयन 6 Cl<sup>-</sup> आयनों से घिरा हुआ है। प्रबल वैधुत आकर्षण बल इन पदार्थों में आयनों को एक साथ रखते हैं, उन्हें अलग होने से रोकते हैं।
एक [[आयन]] सामान्य मात्रा में आवेशों से घिरा होता है जो उसके विरोध में होते हैं। उदाहरण के लिए, यौगिक NaCl में Na<sup>+</sup> आयन 6 Cl<sup>-</sup> आयनों से घिरा हुआ है। प्रबल वैधुत आकर्षण बल इन पदार्थों में आयनों को एक साथ रखते हैं, उन्हें अलग होने से रोकते हैं।
==अभ्यास प्रश्न==
==अभ्यास प्रश्न==
*ध्रुवीय आणविक ठोस से क्या तात्पर्य है?
*ध्रुवीय आणविक ठोस से क्या तात्पर्य है?
*क्रिस्टलीय ठोस एवं अक्रिस्टलीय ठोस में क्या अंतर है?
*क्रिस्टलीय ठोस एवं अक्रिस्टलीय ठोस में क्या अंतर है?
*हाइड्रोजन-बंधित आणविक ठोस की विशेषताएं बताइये।
*हाइड्रोजन-बंधित आणविक ठोस की विशेषताएं बताइये।

Latest revision as of 11:04, 30 May 2024

इस प्रकार के ठोसों में इलेक्ट्रॉनों का वितरण सममित होता है, इसलिए ठोस में किसी भी तरफ कोई अतिरिक्त आवेश नहीं होता है। जब दो विपरीत आवेश होते हैं तो वे एक-दूसरे को खत्म कर देते हैं। मीथेन, क्लोरीन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन इसके कुछ उदाहरण हैं। वे कमरे के ताप और दाब पर या तो द्रव पदार्थ या गैस होते हैं। वॉनडर वाल् बल वे बल हैं जो इन ठोस पदार्थों में अणुओं को एक साथ पकड़कर रखते हैं। आयनिक या सहसंयोजक बंधों की तुलना में ये बल कमज़ोर होते हैं। ठोस अवस्था में कण (अणु, आयन या परमाणु) बहुत पास पास संकुलित होते हैं। ये प्रबल अंतर-आणविक आकर्षक बलों (संसंजक बलों) द्वारा एक साथ बंधे होते हैं और यादृच्छिक गति नहीं कर सकते। ये निश्चित स्थानों पर रखे जाते हैं और अन्य कणों से घिरे होते हैं। ये ठोस पदार्थों में आणविक गति का केवल एक रूप है, अर्थात् कंपन गति जिसके कारण कण निश्चित स्थिति में घूमते हैं और मिट्टी की सतह को आसानी से नहीं छोड़ सकते हैं। अक्रिस्टलीय ठोस उन ठोस पदार्थों को कहते हैं जिनके परमाणुओं में पर्याप्त दूरी तक कोई सुनिश्चित विन्यास नहीं होता।

उदाहरण

Cl2, H2, CH4

हाइड्रोजन-बंधित आणविक ठोस

इस प्रकार के यौगिकों में अणुओं में अंतर-आणविक बल प्रबल हाइड्रोजन बंध होते हैं। ध्रुवीय और गैर-ध्रुवीय आणविक ठोस पदार्थों की तुलना में, उनके उबलने और पिघलने का तापमान काफी अधिक होता है। कमरे के ताप और दाब पर, वे क्रमशः अस्थिर द्रव या नर्म ठोस के रूप में उपस्थित होते हैं। जल एक आणविक द्रव का उदाहरण है जो आपस में हाइड्रोजन-बंधित होता है।

सहसंयोजक ठोस

एक बड़े अणु का निर्माण पूरे क्रिस्टल में परस्पर जुड़े सहसंयोजक बंध के कारण होता है। उनके गलनांक और क्वथनांक उच्च होते हैं ये सामान्यतः अच्छे चालक होते हैं। इसके अपवाद ग्रेफाइट है।

धात्विक ठोस

धात्विक ठोस धातु परमाणु से मिलकर बने होते हैं, जिनमें संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं इसमें या तो इलेक्ट्रॉन बाहर निकलता है या इन्हे इलेक्ट्रॉन प्राप्त होता है, इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप धातु परमाणु धनात्मक रूप से आवेशित हो जाते हैं। धात्विक बंध का निर्माण धनावेशित आयनों और इलेक्ट्रॉनों के बीच एक आकर्षण बल के कारण होता है। यह आकर्षण बल धातु आयनों को एक साथ बांधे रखता है। धात्विक ठोसों की एक नियमित संरचना होती है। इनमे इलेक्ट्रॉनों की बड़ी संख्या के कारण, उनमें उत्कृष्ट तापीय और धात्विक चालकता होती है। यही कारण है कि सभी धातुएँ और मिश्र धातुएँ धात्विक ठोस हैं।

आयनिक ठोस

एक आयन सामान्य मात्रा में आवेशों से घिरा होता है जो उसके विरोध में होते हैं। उदाहरण के लिए, यौगिक NaCl में Na+ आयन 6 Cl- आयनों से घिरा हुआ है। प्रबल वैधुत आकर्षण बल इन पदार्थों में आयनों को एक साथ रखते हैं, उन्हें अलग होने से रोकते हैं।

अभ्यास प्रश्न

  • ध्रुवीय आणविक ठोस से क्या तात्पर्य है?
  • क्रिस्टलीय ठोस एवं अक्रिस्टलीय ठोस में क्या अंतर है?
  • हाइड्रोजन-बंधित आणविक ठोस की विशेषताएं बताइये।