ऑक्सीकारक: Difference between revisions
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वह अभिकर्मक जो किसी पदार्थ का ऑक्सीकरण करता है अर्थात् उसके ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि करता है, ऑक्सीकारक कहलाता है। वह अभिकर्मक जो किसी पदार्थ का अपचयन करता है अर्थात् उसके ऑक्सीकरण संख्या में कमी करता है, अपचायक कहलाता है। | वह [[अभिकर्मक]] जो किसी [[पदार्थ]] का ऑक्सीकरण करता है अर्थात् उसके ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि करता है, '''''ऑक्सीकारक''''' कहलाता है। वह [[अभिकर्मक]] जो किसी पदार्थ का अपचयन करता है अर्थात् उसके ऑक्सीकरण संख्या में कमी करता है, '''''अपचायक''''' कहलाता है। | ||
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निम्न अभिक्रिया में Na अपचायक है। यह Cl<sub>2</sub> के ऑक्सीकरण संख्या में कमी करता है। तथा Cl<sub>2</sub> ऑक्सीकारक है। यह Na के ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि करता है। | निम्न अभिक्रिया में Na अपचायक है। यह Cl<sub>2</sub> के ऑक्सीकरण संख्या में कमी करता है। तथा Cl<sub>2</sub> ऑक्सीकारक है। यह Na के ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि करता है। | ||
कुछ रासयनिक पदार्थ ऐसे होते है। जो स्वय अपचयित होकर दूसरे को ऑक्सीकृत करते है। इन्हे ऑक्सीकारक कहते है। | कुछ रासयनिक [[पदार्थ]] ऐसे होते है। जो स्वय अपचयित होकर दूसरे को ऑक्सीकृत करते है। इन्हे '''''ऑक्सीकारक''''' कहते है। | ||
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2 KI + H<sub>2</sub>O<sub>2</sub> → I<sub>2</sub> + 2 KOH (आयोडाइड का ऑक्सीकरण) | 2 KI + H<sub>2</sub>O<sub>2</sub> → I<sub>2</sub> + 2 KOH (आयोडाइड का ऑक्सीकरण) | ||
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पुरानी अवधारणा के अनुसार [[अपचयन]] एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हाइड्रोजन या किसी विधुत धनात्मक तत्व को जोड़ा जाता है या ऑक्सीजन या किसी | पुरानी अवधारणा के अनुसार [[अपचयन]] एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हाइड्रोजन या किसी विधुत धनात्मक तत्व को जोड़ा जाता है या ऑक्सीजन या किसी विधुतऋणात्म तत्व को हटाया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक अवधारणा के अनुसार [[अपचयन]] को उस प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें एक परमाणु या [[आयन]] एक या अधिक [[इलेक्ट्रॉन]] प्राप्त करता है। या इसे इस प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है कि आक्सीकरण संख्या का घटना अपचयन कहलाता है। | ||
रासायनिक अभिक्रियाएं वे अभिक्रियाएँ हैं जिनमें एक रासायनिक पदार्थ से दूसरे में इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण सम्मिलित होता है। इन इलेक्ट्रॉन-स्थानांतरण अभिक्रियाओं को ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रियाएँ या रेडॉक्स अभिक्रियाएँ कहा जाता है। इन अभिक्रियाओं के साथ [[ऊष्मा]], प्रकाश और विद्युत आदि के रूप में ऊर्जा परिवर्तन होते हैं। ऑक्सीकरण और अपचयन अभिक्रिया में विभिन्न पदार्थों में ऑक्सीजन या हाइड्रोजन का योग भी शामिल होता है। | रासायनिक अभिक्रियाएं वे अभिक्रियाएँ हैं जिनमें एक रासायनिक पदार्थ से दूसरे में इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण सम्मिलित होता है। इन इलेक्ट्रॉन-स्थानांतरण अभिक्रियाओं को ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रियाएँ या रेडॉक्स अभिक्रियाएँ कहा जाता है। इन अभिक्रियाओं के साथ [[ऊष्मा]], प्रकाश और विद्युत आदि के रूप में ऊर्जा परिवर्तन होते हैं। ऑक्सीकरण और अपचयन अभिक्रिया में विभिन्न पदार्थों में ऑक्सीजन या हाइड्रोजन का योग भी शामिल होता है। |
Latest revision as of 16:30, 29 May 2024
वह अभिकर्मक जो किसी पदार्थ का ऑक्सीकरण करता है अर्थात् उसके ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि करता है, ऑक्सीकारक कहलाता है। वह अभिकर्मक जो किसी पदार्थ का अपचयन करता है अर्थात् उसके ऑक्सीकरण संख्या में कमी करता है, अपचायक कहलाता है।
जैसे
निम्न अभिक्रिया में Na अपचायक है। यह Cl2 के ऑक्सीकरण संख्या में कमी करता है। तथा Cl2 ऑक्सीकारक है। यह Na के ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि करता है।
कुछ रासयनिक पदार्थ ऐसे होते है। जो स्वय अपचयित होकर दूसरे को ऑक्सीकृत करते है। इन्हे ऑक्सीकारक कहते है।
उदाहरण
KMnO4, K2Cr2O7 आदि।
ऑक्सीकरण
पुरानी अवधारणा के अनुसार ऑक्सीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ऑक्सीजन या किसी विद्युतऋणात्मक तत्व को जोड़ा जाता है और हाइड्रोजन या किसी विद्युत्धानात्मक तत्व को हटाया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक अवधारणा के अनुसार ऑक्सीकरण को उस प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें एक परमाणु या आयन एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन बाहर निकालता है। या इसे इस प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है कि आक्सीकरण संख्या का बढ़ना आक्सीकरण कहलाता है।
ऑक्सीकरण अभिक्रियाओं के उदाहरण
1. ऑक्सीजन का योग:
N2 + O2 → 2NO (नाइट्रोजन का ऑक्सीकरण)
2. विद्युत ऋणात्मक तत्व का योग:
2Fe + O2 → Fe2O3 (लोहे का ऑक्सीकरण)
3. हाइड्रोजन को हटाना:
H2S + Br2 → 2 HBr + S (सल्फ़ाइड का ऑक्सीकरण)
4. विद्युत्धानात्मक तत्वों को हटाना:
2 KI + H2O2 → I2 + 2 KOH (आयोडाइड का ऑक्सीकरण)
अपचयन
पुरानी अवधारणा के अनुसार अपचयन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हाइड्रोजन या किसी विधुत धनात्मक तत्व को जोड़ा जाता है या ऑक्सीजन या किसी विधुतऋणात्म तत्व को हटाया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक अवधारणा के अनुसार अपचयन को उस प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें एक परमाणु या आयन एक या अधिक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है। या इसे इस प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है कि आक्सीकरण संख्या का घटना अपचयन कहलाता है।
रासायनिक अभिक्रियाएं वे अभिक्रियाएँ हैं जिनमें एक रासायनिक पदार्थ से दूसरे में इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण सम्मिलित होता है। इन इलेक्ट्रॉन-स्थानांतरण अभिक्रियाओं को ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रियाएँ या रेडॉक्स अभिक्रियाएँ कहा जाता है। इन अभिक्रियाओं के साथ ऊष्मा, प्रकाश और विद्युत आदि के रूप में ऊर्जा परिवर्तन होते हैं। ऑक्सीकरण और अपचयन अभिक्रिया में विभिन्न पदार्थों में ऑक्सीजन या हाइड्रोजन का योग भी शामिल होता है।
अपचयन प्रतिक्रियाओं के उदाहरण
1. हाइड्रोजन का योग:
N2 + 3 H2 → 2NH3 (नाइट्रोजन का अपचयन)
3. ऑक्सीजन को हटाना:
ZnO + C → Zn + CO (जिंक ऑक्साइड का अपचयन)
4. विद्युत्धानात्मक तत्वों को हटाना:
2FeCl3 + H2 → 2FeCl2 + 2HCl (फेरिक क्लोराइड का अपचयन)
ऑक्सीकरण तथा अपचयन में अंतर
ऑक्सीकरण तथा अपचयन में निम्नलिखित अंतर है:
ऑक्सीकरण | अपचयन | |
---|---|---|
1 | जब कोई अभिकारक किसी अभिक्रिया के दौरान इलेक्ट्रॉन दाता का काम करता है, तो इसे ऑक्सीकरण कहा जाता है। | जब एक अभिकारक एक प्रतिक्रिया के दौरान इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करता है, तो इसे अपचयन कहा जाता है। |
2 | ऑक्सीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ऑक्सीजन या किसी विद्युतऋणात्मक तत्व को जोड़ा जाता है | अपचयन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हाइड्रोजन या किसी विधुत धनात्मक तत्व को जोड़ा जाता है या ऑक्सीजन या किसी विधुत तत्व को हटाया जाता है। |
3 | ऑक्सीकरण, जिसमें एक परमाणु या आयन एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन बाहर निकालता है | अपचयन, जिसमें एक परमाणु या आयन एक या अधिक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है। |
अभ्यास प्रश्न
- ऑक्सीकरण तथा अपचयन में अंतर बताइये।
- ऑक्सीकरण क्या है ? एक अभिक्रिया द्वारा समझाइए।
- अपचयन क्या है ? एक अभिक्रिया द्वारा समझाइए।